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शासन व्यवस्था

उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विधेयक

  • 30 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने निजी विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पारित किया जिसका उद्देश्य राज्य के 27 निजी विश्वविद्यालयों को एक ही कानून के अंतर्गत लाना है।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय एकीकरण, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सद्भाव, अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना, नैतिक उन्नति और देशभक्ति को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विधेयक के तहत विश्वविद्यालयों के उद्देश्यों में शामिल किया गया है।
  • विश्वविद्यालय का निर्माण अथवा गठन करने के लिये अब एक वचन पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। वचन पत्र में ये घोषणा करनी होगी कि विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार की देश विरोधी गतिविधियों का संचालन नहीं होने दिया जाएगा। यदि इस प्रकार के कृत्य परिसर में होते हुए पाए जाते हैं तो इनको विश्वविद्यालय निर्माण की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामलों में उत्तर प्रदेश सरकार आवश्यक कार्यवाही करने के लिये अधिकृत होगी।
  • उत्तर प्रदेश के सभी नए निजी विश्वविद्यालय तथा पुराने 27 विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश निजी विश्वविद्यालय के अधिनियमों के अनुसार शासित होंगे इससे पहले सभी निजी विश्वविद्यालय भिन्न-भिन्न अधिनियमों के माध्यम से शासित होते थे।
  • नई प्रणाली में शुल्क संरचना, शिक्षा की गुणवत्ता तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) के दिशा-निर्देशों को लागू कराने में एकरूपता लाई जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के अनुभवों का उपयोग भी इस प्रणाली में किया जाएगा।
  • विश्वविद्यालय में न्यूनतम 75 प्रतिशत स्थाई शिक्षकों का होना आवश्यक होगा तथा शिक्षकों गुणवत्ता की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी।
  • शहर में किसी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिये न्यूनतम 20 एकड़ भूमि का होना आवश्यक होगा जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वविद्यालय निर्माण के लिये 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। मौजूदा 27 विश्वविद्यालयों को इस स्थिति में आने के लिये एक वर्ष का समय दिया जाएगा।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

(University Grants Commission-UGC)

  • 28 दिसंबर, 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने औपचारिक तौर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नींव रखी थी।
  • विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग विश्‍वविद्यालयी शिक्षा के मापदंडों के समन्‍वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्‍थापित एक स्‍वायत्‍त संगठन है।
  • पात्र विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्‍त, आयोग केंद्र और राज्‍य सरकारों को उच्‍चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्‍यक उपायों पर सुझाव भी देता है।
  • इसका मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली में अवस्थित है। इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलूरू में हैं।

स्रोत: द हिंदू

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