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डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 30 जनवरी, 2018

  • 30 Jan 2018
  • 8 min read

ब्रूम ग्रास (Broom Grass)

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • झाड़ू घास अथवा ब्रूम ग्रास (Broom Grass) का वैज्ञानिक नाम थायसनोलाएना मैक्सिमा (Thysanolaena maxima) है जो कि पोएसी कुल की एक घास है। इसका उपयोग झाड़ू बनाने में किया जाता है।
  • असम की कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में नकदी फसल के रूप में इसकी व्यापक खेती की जाती है। इसे तिवा, कार्बी और खासी जनजातीय समुदायों के लोगों द्वारा झूम कृषि के तहत एक मिश्रित फसल के रूप में उगाया जाता है। संकटकाल में यह हर साल ईंधन और चारा भी उपलब्ध कराती है। यह एक इको-फ्रेंडली उत्पाद है।
  • भारत में कार्बी आंगलोंग ब्रूम ग्रास का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। ब्रूम ग्रास की खेती अपेक्षाकृत आसान है और इसके लिये कम वित्तीय आगतों की आवश्यकता होती है।
  • इसे सीमांत भूमि, बंजर भूमि और परती भूमि किसी पर भी उगाया जा सकता है। यह बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी तक की एक विस्तृत श्रृंखला पर अच्छी तरह से बढ़ती है।
  • इसका रोपण बीज या राइज़ोम (Rhizomes) दोनों द्वारा किया जा सकता है। राइज़ोम किसी पौधे के उस संशोधित तने को संदर्भित करता है जो ऊर्ध्वाधर के बजाय क्षैतिज दिशा में विकसित होता है। ये मिट्टी के नीचे विकसित होते हैं।  
  • इसकी कटाई फरवरी से शुरू होकर मार्च के अंत तक जारी रहती है।
  • ब्रूम घास की खेती में स्थानीय रोज़गार पैदा करने की क्षमता है और इसका उपयोग ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिये किया जा सकता है। इसका व्यवसाय असम में घरेलू आय का एक प्रमुख स्रोत है। 

सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला

 महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • सूरजकुंड (फरीदाबाद) में 2 फरवरी से 18 फरवरी तक सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के 32वें संस्करण का आयोजन किया जाएगा। इस मेले का 1987 से वार्षिक आयोजन किया जा रहा है।
  • इस मेले में भारत के हस्तशिल्प और हथकरघा की विविधता व समृद्धि को विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया जाता है, ताकि भारतीय लोक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिले।
  • इस मेले का आयोजन संयुक्त रूप से सूरजकुंड मेला प्राधिकरण द्वारा भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और विदेश मामलों के मंत्रालय तथा हरियाणा सरकार के पर्यटन विभाग एवं हरियाणा पर्यटन निगम के साथ मिलकर किया जाता है।
  • मेले के सहभागी देश के रूप में किर्ग़िस्तान (आधिकारिक तौर पर किर्ग़िज़ गणतंत्र) सहित अन्य 20 से अधिक देश इस मेले में शामिल होंगे।
  • किर्गिस्तान द्वारा भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 25 वर्षों की उपलब्धियाँ और अपनी लोक परंपराओं तथा कलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा।  
  • इस मेले के प्रत्येक संस्करण के लिये एक राज्य को ‘थीम स्टेट’ (Theme State) के रूप में चुना जाता है। इस संस्करण के लिये उत्तर प्रदेश को पहली बार थीम स्टेट के रूप में चुना गया है।
  • उत्तर प्रदेश द्वारा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और पुरातात्त्विक विरासत का प्रदर्शन करने के लिये मेला परिसर में प्रवेश हेतु वन्य द्वार, अयोध्या द्वार, ब्रज द्वार, अवध द्वार, बुद्ध द्वार और बुंदेलखंड द्वार के अतिरिक्त बनारस के घाटों का भी अस्थायी निर्माण कर आध्यात्मिक स्थलों का प्रचार प्रसार किया जाएगा।
  • इस बार मेले का आयोजन एक बाल-अनुकूल (Child-Friendly) कार्यक्रम की तरह किया जाएगा और बाल अधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध जीरो-टॉलरेंस को विशिष्ट रूप से दर्शाया जाएगा।
  • सूरजकुंड, फरीदाबाद में स्थित 10वीं सदी का एक प्राचीन जलाशय है। यह एक कृत्रिम जलाशय है जिसका निर्माण तोमर वंश के राजा सूरजपाल द्वारा करवाया गया, जो कि सूर्य उपासक थे।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में अंतर्राष्ट्रीय पक्षी महोत्सव का आयोजन

 महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • जैवविविधता के लिये विश्व-विख्यात दुधवा नेशनल पार्क में आगामी 9-11 फरवरी तक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय पक्षी महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। 2015 से शुरू किये गए इस महोत्सव के पिछले संस्करणों का आयोजन चम्बल सफारी में ही किया जा रहा था। 
  • इस बर्ड फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य दुधवा नेशनल पार्क में इको-पर्यटन और पक्षियों के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त परंपरागत थारू कला, संस्कृति और धरोहर को दुनिया के सामने प्रभावशाली तरीके से प्रदर्शित करना है।
  • गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के मूल निवासी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वाइल्डलाइफ फिल्म तथा वृत्तचित्र निर्माता माइक एच. पाण्डेय को इस महोत्सव का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया है।
  • इसमें देश और दुनिया के 200 से ज्यादा पक्षी विशेषज्ञों के हिस्सा लेने की संभावना है। उनके ठहरने के लिये 10 एकड़ भूमि पर गाँव बसाया जा रहा है, जिसका नाम बंगाल फ्लोरिकन के नाम पर ‘फ्लोरिकन विलेज’ रखा गया है।
  • तीन दिन के आयोजन के दौरान विशेषज्ञ इस अभयारण्य में रहने वाले पक्षियों की 450 प्रजातियों के बारे में सूचनाएँ एकत्र करेंगे।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान

  • दुधवा टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश का एक संरक्षित क्षेत्र है जो मुख्य रूप से लखीमपुर खीरी और बहराइच ज़िलों में फैला हुआ है और इसमें दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य तथा कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
  • लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित दुधवा नेशनल पार्क नेपाल की सीमा से लगे तराई-भाभर क्षेत्र में स्थित है। यह प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 230 किमी दूर अवस्थित है।
  • दुधवा देश के तराई वन्य क्षेत्रों में शामिल है, जहाँ विभिन्न वनस्पति और वन्य जीवों की प्रजातियाँ प्राकृतिक रूप से पाई जाती हैं।
  • इस जंगल का उत्तरी किनारा नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है और इसके दक्षिण में सुहेली नदी बहती है।
  • यहाँ के वन्य क्षेत्र में घने हरे जंगल, लम्बी घास और अन्य कई पेड़ पाए जाते हैं और हिरनों की कई प्रजातियों के अलावा बाघ, तेंदुआ, बारहसिंघा, हाथी, सियार, लकड़बग्घा और एक सींग वाला गेंडा निवास करते हैं।
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