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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 28 दिसंबर, 2017

  • 28 Dec 2017
  • 13 min read

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)

केंद्र सरकार द्वारा “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत रूप से नकद रुपए देने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” योजना सामाजिक प्रणाली में चुनौतीपूर्ण विचार-धाराओं और पितृसत्ता की गहरी जड़ों पर प्रहार करने और बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अलावा इसमें जीवन चक्र की निरंतरता में महिला सशक्तीकरण के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • यह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना नहीं है।
  • योजना को ज़िलों में जिलाधीश/ज़िला मजिस्ट्रेट /ज़िला आयुक्त कार्यालय द्वारा लागू किया जाता है और अधिकृत मीडिया एंजेसियों द्वारा इसका प्रचार-प्रसार किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय और मानव संसाधन कल्‍याण मंत्रालय की एक संयुक्‍त पहल है। 
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत क्षेत्रवार हस्‍तक्षेपों में निम्‍नलिखित शामिल हैं:  

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

⇒ आंगनवाड़ी केंद्रों पर गर्भावस्‍था के पंजीकरण को प्रोत्‍साहित करना;
⇒ भागीदारों को प्रशिक्षित करना;
⇒ सामुदायिक लामबंदी और संवेदीकरण;
⇒ अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कार्यकतर्त्ताओं और संस्‍थानों को मान्‍यता और पुरस्‍कार देना।

स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

⇒ गर्भधारण पूर्व और जन्‍म-पूर्व जाँच तकनीकों का निगरानी क्रियान्‍वयन कानून 1994;
⇒ अस्‍पतालों में प्रसव को बढ़ोत्‍तरी, जन्‍म पंजीकरण, पीएनडीटी सेल को मज़बूत करना;
⇒ निगरानीयों समितियों का गठन।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय 

⇒ लड़कियों का सर्वजनीय पंजीकरण;
⇒ ड्रॉप आउट दर में कमी लाना;
⇒ विद्यालयों में लड़कियों के अनुरूप मानक बनाना;
⇒ शिक्षा के अधिकार अधिनियम का सख्‍ती से क्रियान्‍वयन करना;
⇒ लड़कियों के लिये सुचारु शौचालयों का निर्माण।

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस योजना के लिये एक नोडल मंत्रालय है, जो मानव संसाधन विकास और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से ‘बाल लिंगानुपात’ (child sex ratio-CSR) तथा एस.आर.बी. में कमी लाने का प्रयास करता है।

कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग

कृषि, सहयोग और किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture, Cooperation & Farmers Welfare) कृषि क्षेत्र में स्पेस टेक्नोलॉजी एन.पी.एस.टी.ए. (National Programme on use of Space Technology for Agriculture - NPSTA) के उपयोग हेतु एक नए एकीकृत कार्यक्रम को प्रस्तावित कर रहा है, जिसमें कृषि की मैपिंग, मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट के लिये स्पेस आधारित उपकरणों के एकीकृत उपयोग की कल्पना की गई है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित उप-कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा।

⇒ फसल आकलन और निगरानी; 
⇒ कृषि संसाधन प्रबंधन;
⇒ आपदा निगरानी और निवारण;
⇒  सैटेलाइट कम्युनिकेशन और नेविगेशन एप्लीकेशन

  • सभी मौजूदा चालू कार्यक्रम जैसे कि फसल पूर्वानुमान हेतु ‘फसल’ (FASAL), सूखा मूल्यांकन के लिये एन.ए.डी.ए.एम.एस. (NADAMS), बागवानी मूल्यांकन और विकास के लिये ‘चमन’ (CHAMAN), फसल बीमा के लिये ‘किसान’ (KISAN) और क्रॉप इंटेंसिफिकेशन प्लानिंग (Crop Intensification planning) को भी इन प्रस्तावित कार्यक्रमों के तहत शामिल किया जाएगा।
  • स्थानीय स्तर पर किसानों को प्रमाणित/गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता में वृद्धि के लिये सरकार ने ग्राम पंचायतों के स्तर पर 500 बीज उत्पादन और बीज प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का भी प्रस्ताव पेश किया है।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना 

  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना' भारत सरकार के ‘रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय’ के अंतर्गत कार्यरत ‘फार्मास्यूटिकल्स विभाग’ द्वारा प्रारंभ की गई है।
  • इसका उद्देश्य ‘प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ के माध्यम से देश की जनता को सस्ती एवं गुणवत्ता युक्त दवाइयाँ प्रदान करना है। 
  • इन जन औषधि केन्द्रों को गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता में महँगी ब्रांडेड दवाओं के समतुल्य जेनेरिक दवाइयों को कम कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिये स्थापित किया गया है। 
  • इस परियोजना का मूल उद्देश्य है- “Quality Medicines at Affordable Prices for All”।

साक्ष्य आधारित निर्णय हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग
Leveraging Technology for Evidence Based Decision Making

हाल में नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, महत्त्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation - MoSPI) और भारत में संयुक्त राष्ट्र की प्रगति को ट्रैक करने के लिये तथा परिणाम-आधारित निगरानी के महत्त्व को स्वीकार करते हुए साक्ष्य आधारित निर्णय हेतु निकटवर्ती प्रौद्योगिकी लिये एक योजना का अनावरण किया गया। 

प्रमुख बिंदु

  • एसडीजी प्रगति पर नज़र रखने के लिये एमओएसपीआई और यूएन भारत के लिये एसडीजी डैशबोर्ड (SDG Dashboard) के संबंध में साझेदारी में कार्य कर रहे है। 
  • इस साझेदारी का लक्ष्य है विभिन्न डेटासैट, पोर्टलों और क्षेत्रों से डेटा एकत्र करके एक सामान्य मंच पर उपलब्ध करना है।
  • इसके अलावा, एमओएसपीआई और संयुक्त राष्ट्र संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और एमओपीआई को एक साथ लाने के लिये विकास समन्वय समिति (Development Coordination Committee) की स्थापना करने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं, ताकि एसडीजी निगरानी के कार्य में संलग्नित विशेषज्ञों और हितधारकों को अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने में मदद मिल सके।
  • भारतीय सांख्यिकी सेवा और भारत में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के अंतर्गत भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा एस.आर.एस. आधारित जन्म और मृत्यु पंजीकरण के स्वचालन संबंधी मामलों और बेरोज़गारी एवं रोज़गार संबंधी डेटा के संग्रहण जैसे मामलों के अध्ययन के लिये ‘लेवरेजिंग टेक्नोलॉजी फॉर एविडेंस बेस्ड डिसीजन मेकिंग’ (Leveraging Technology for Evidence Based Decision-making) पर आधारित सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  • इस सम्मेलन के अंतर्गत एमओएसपीआई द्वारा बढ़ी आवृत्ति पर रोज़गार आँकड़े डेटा संग्रह और विश्लेषण को सरल बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला गया।
  • इसके प्रमुख तत्त्वों में संरचित और असंरचित डेटा दोनों के विस्तारण, उपकरणों और सेंसर से डेटा संग्रहण के साथ-साथ डेटा खनन, कंप्यूटिंग क्षमता तथा भंडारण में भारी वृद्धि को भी शामिल किया गया है।
  • आँकड़ों के लोकतंत्रीकरण में जहाँ लोग न सिर्फ डेटा का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि इसे भी तैयार करने, विकास कार्यक्रमों के प्रभावों पर नज़र रखने की क्षमता विकसित करने के साथ-साथ इन्हें डिज़ाइन और कार्यान्वित करने में अपना उल्लेखनीय योगदान दे सकते हैं।

समीप कार्यक्रम (SAMEEP)

भारतीय विदेश नीति को आम लोगों तक पहुँचाने के लिये भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry Of External Affairs-MEA) ने ‘समीप’ (SAMEEP) नामक पहल लॉन्च की है। इसका पूरा नाम ‘छात्र और विदेश मंत्रालय सहभागिता कार्यक्रम’ (Students and MEA Engagement Programme-SAMEEP) है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस ‘छात्र और विदेश मंत्रालय सहभागिता कार्यक्रम’ का मुख्य उद्देश्य भारत की विदेश नीति और वैश्विक गतिविधियों से छात्रों को अवगत कराना है। 
  • ‘समीप’ का संचालन आउटरीच मिशन की तरह किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम के तहत मंत्रालय के अंडर-सेक्रेटरी एवं इससे उच्च अधिकारियों को अपने गृह नगर, विशेषतया जहाँ से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की है, में विद्यार्थियों से संवाद करने हेतु भेजा जाएगा।
  • ये अधिकारी छात्रों को भारतीय विदेश नीति के आधारभूत तत्त्वों, प्राथमिकताओं, कूटनीति के संचालन, भारत की वैश्विक प्रतिबद्धताओं, विदेश मंत्रालय के कार्य करने के तरीके  इत्यादि के बारे में बताएँगे। 
  • कार्यक्रम का एजेंडा न सिर्फ छात्रों को विश्व में भारत के स्थान और इसकी वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं के बारे में जागरूक करना है, बल्कि कैरियर विकल्प के रूप में कूटनीति में रुचि बढ़ाना भी है।
  • अधिकारियों को मंत्रालय द्वारा एक बुनियादी मानकीकृत प्रस्तुति प्रदान की जाएगी, लेकिन अपने स्वयं के अनुभवों और सुधारों को इसमें जोड़ने के लिये वे स्वतंत्र होंगे। 
  • इस पहल का ‘समीप’ नाम mygov.in पर आए सुझावों के आधार पर रखा गया है। विदेश मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया पर ‘प्रवक्ता से पूछो’ (Ask the Spokesperson) नामक इंटरैक्टिव कार्यक्रम के तहत भारत की विदेश नीति के विभिन पहलुओं पर सवालों का जवाब भी दिया जा रहा है।
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