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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मेथनॉल इकॉनमी फण्ड

  • 28 Dec 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग द्वारा स्वच्छ ईंधन के उत्पादन और प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु 4000-5000 करोड़ की राशि वाले  मेथनॉल इकॉनमी फण्ड को स्थापित करने की योजना पर काम किया जा रहा है।

उद्देश्य :

  • 1 जनवरी 2018 से वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में  मेथनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देना। 
  • तीन से चार मेथनॉल प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना के साथ अगले तीन वर्षों में कम से कम एक संयंत्र  को परिचालन में लाना।
  • अगले 5 से 8 वर्षों में देश की जीवाश्म आवश्यकताओं में 50% तक की कटौती के लिये  3 से 4 मिलियन टन मेथनॉल उत्पादन की स्थापित क्षमता प्राप्त करना।

मेथनॉल (CH3OH) :

  • मेथनॉल को काष्ठ एल्कोहल (Wood Alcohal ) भी कहा जाता है। यह एक बायोडिग्रेडेबल अर्थात् जैव-अपघटनीय पदार्थ है ।
  • यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक रंगहीन और स्वच्छ तरल पदार्थ है, जिसे प्राकृतिक गैस, कोयला और नवीकरणीय फीडस्टॉक्स की विस्तृत श्रृंखला से भी उत्पादित किया जा सकता है।
  • मेथनॉल एक स्वच्छ, सस्ता, सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा विकल्प के रूप में उभरा है जिसका उपयोग परिवहन ईंधन और खाना पकाने के ईंधन के लिये किया जा सकता है। 
  • अगले कुछ वर्षों में यह भारत के तेल आयात बिल में अनुमानित 20 प्रतिशत तक कटौती करने में सहायक हो सकता है।
  • यह एक उच्च कुशल ईंधन है, जिसे गैसोलीन / डीज़ल के साथ मिश्रित किया जा सकता है। यह नाइट्रोजन और सल्फाइड के ऑक्साइड्स (NOx & SOx) तथा पर्टिकुलेट मैटर (PM) की कम मात्रा का उत्सर्जन करता है।
  • इसे डाइमिथाइल ईथर (डीएमई) में परिवर्तित किया जा सकता है, जो डीज़ल का एक स्वच्छ विकल्प है और इसे एलपीजी के साथ भी मिश्रित किया जा सकता है।
  • कम उत्पादन लागत, ऊर्जा सुरक्षा का बेहतर विकल्प और गैसोलीन की तुलना में ज्वलनशीलता कम होने के कारण कम सुरक्षा जोखिम होने के मेथनॉल के अन्य लाभ भी है। 

प्रमुख बिंदु :

  • नीति आयोग पेट्रोल और डीज़ल के वैकल्पिक ईंधन के रूप में मेथनॉल के प्रचलन को बढ़ाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये दिसंबर के अंत तक एक रूपरेखा का निर्माण करने जा रहा है।
  • इस रूपरेखा को जनवरी 2018  से लागू करने की योजना है। इस रूपरेखा के तहत कोयला, निष्प्रयोजित गैस (Stranded Gas) और बायोमास को मेथनॉल में परिवर्तित करने की सुविधाएँ जुटाने के प्रयास किये जाएंगे।
  • देश की मेथनॉल उत्पादन की वर्तमान स्थापित क्षमता 0.47 मिलियन टन है और देश में मेथनॉल का कुल उत्पादन 0.2 मिलियन टन है। लेकिन 2016 में देश की मेथनॉल की कुल खपत 1.8 मिलियन टन थी।
  • भारतीय मानक ब्यूरो ने ईंधन के रूप में  मेथनॉल को प्रमाणित किया है और शीघ्र ही इसके लिये विनियामक अनुमोदनों को अधिसूचित कर दिया जाएगा।
  • नीति आयोग द्वारा पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों और उपकरणों जैसे डीजल जनरेटर्स, बसों, रेल इंजन, नौकाओं और जहाज़ों को मेथनॉल द्वारा संचालित करने की कई परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।
  • भारत के पहले उच्च राख वाले कोयला आधारित मेथनॉल संयंत्र को पश्चिम बंगाल में कॉल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा स्थापित करने की योजना है।
  • इस रूपरेखा के सफल क्रियान्वयन पर यह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के संपूरक की तरह कार्य कर सकती है जिसका उद्देश्य अस्वच्छ एवं अस्वास्थ्यकर रसोई ईंधन को स्वच्छ एवं दक्ष ईंधन से विस्थापित करना है।

वैश्विक परिदृश्य :

  • भारत में कोयला से मेथनॉल उत्पन्न करने की संभावनाओं का पूर्ण दोहन नहीं किया गया है, जबकि वैश्विक स्तर पर इस प्रौद्योगिकी का प्रचलन वृहद् स्तर पर है। 
  • 85 एमटीपीए (Metric tonnes per annum) के वैश्विक मेथनॉल उत्पादन में  55% हिस्सा चीन का है और परिवहन ईंधन के रूप में इसका उपयोग एलपीजी के साथ सम्मिश्रित कर किया जा रहा है।
  • कोयले के भंडार की दृष्टि से भारत 5वां सबसे बड़ा देश होने के कारण भारत के लिये इसमें अपार संभावनाएँ है जिससे भारत को अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में तथा अपने नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।
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