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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 फरवरी, 2018

  • 20 Feb 2018
  • 7 min read

विश्व पर्यावरण दिवस 2018

विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें 119 देशों द्वारा भाग लिया गया तथा पहली बार एक ही पृथ्वी के सिद्धांत को स्वीकार किया गया।

  • इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया।

उद्देश्य

  • इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रसार करने के साथ-साथ राजनीतिक चेतना को जागृत करना है, ताकि समय रहते इस संदर्भ में प्रभावी कदम उठाए जा सकें।

थीम

  • इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस, 2018 की थीम ‘बीट प्लस्टिक पॉल्यूशन' है। 
  • पिछले वर्ष कनाडा में इसका आयोजन किया गया था। जबकि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की वैश्विक मेज़बानी भारत को मिली है।

जल संसाधन पर दक्षिणी राज्‍यों का क्षेत्रीय सम्‍मेलन

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सरंक्षण मंत्रालय द्वारा ‘जल संसाधनों पर दक्षिणी राज्‍यों के क्षेत्रीय सम्‍मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन की अध्यक्षता जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सरंक्षण तथा संसदीय मामलों के राज्‍य मंत्री द्वारा की जाएगी।

  • इस सम्‍मेलन में दक्षिण भारत के छह राज्‍यों - आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना का प्रतिनिधित्‍व इन राज्यों  के जल संसाधन मंत्रालयों के मंत्री, प्रधान सचिव और मुख्‍य अभियंता करेंगे।

उद्देश्य

  • सम्‍मेलन का उद्देश्‍य जल संसाधन और राज्‍यों से जुड़े लंबित मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।
  • इनमें कावेरी, जल बंटवारे पर उच्‍चतम न्‍यायालय के हाल के आदेश, मुल्‍लई-पेरियार बांध, गोदावरी और कावेरी जैसी नदियों को आपस में जोड़ने, कृष्‍णा एवं गोदावरी प्रबंधन बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से जुड़ी अधिसूचना, परम्‍बीकुलम अलियार परियोजना, पोलावरम परियोजना तथा ऐसे ही कईं अन्‍य अंतर्राज्‍यीय मुद्दों को शामिल किया जाएगा।

सौरमंडल के बाहर 100 नए ग्रह

खगोलविदों द्वारा करीब 100 नए एक्ज़ोप्लैनेट की खोज की गई है। एक्ज़ोप्लैनेट हमारे सौरमंडल के बाहर अन्य तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रह होते हैं। खगोलविदों द्वारा नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप के2 की सहायता से जुटाए गए डाटा का अध्ययन करने के बाद इन एक्ज़ोप्लैनेटों की खोज की गई।

 

  • बाहरी ग्रहों की खोज के लिये वर्ष 2009 में पहली बार केपलर टेलीस्कोप लंदन (आइएएनएस) लॉन्च किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • हालाँकि, वर्ष 2013 में इस टेलीस्कोप में कुछ तकनीकी समस्या आने के बाद इसमें कुछ बदलाव करके वर्ष 2014 में फिर से लॉन्च किया गया।
  • के2 ने इस मिशन के सबसे चमकीले तारे एचडी 212657 की खोज करने में भी सफलता हासिल की. इस मिशन के तहत केपलर स्पेस टेलीस्कोप के2 द्वारा अभी तक तकरीबन 300 ग्रहों की खोज की जा चुकी है।
  • सबसे पहला एक्ज़ोप्लैनेट 1995 में खोजा गया था। उसके बाद से अब तक तकरीबन 3,600 एक्ज़ोप्लैनेट की खोज की जा चुकी है। 

एक्ज़ोप्लैनेट

  • सौर प्रणाली के बाहर स्थित सभी ग्रह ‘एक्ज़ोप्लैनेट’ कहलाते हैं। 
  • ‘प्रॉक्सिमा सेंटॉरी’ सूर्य के सबसे नज़दीक का तारा है।
  • हाल ही में ‘प्रॉक्सिमा सेंटॉरी’ तारे की परिक्रमा करने वाले ग्रह "प्रॉक्सिमा सेंटॉरी बी" की खोज की गई है; जो सूर्य के सबसे नज़दीक का "एक्ज़ोप्लैनेट" है।
  • यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में लगभग 1.3 गुना भारी है। 
  • सौर प्रणाली में ‘एस्टेरॉयड बेल्ट’ के बाहर स्थित ग्रहों (बृहस्पति, शनि, यूरेनस एवं नैपच्यून) को "बाह्य ग्रह" (Outer Planet) की संज्ञा दी गई है।

अटल पेंशन योजना

असंगठित क्षेत्र में समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को पेंशन अथवा वृद्धावस्था में आय सुरक्षा के दायरे में लाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा मई 2015 में ‘अटल पेंशन योजना’ (एपीवाई) की शुरुआत की गई थी। 

  • इसे ‘राष्ट्रीय पेंशन स्कीम तंत्र’ के माध्यम से ‘पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण’ (पी.एफ.आर.डी.ए.) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
  • गौरतलब है कि पी.एफ.आर.डी.ए. का उद्देश्य किसी भी पेंशन योजना के अंतर्गत कवर नहीं किये गए अधिकतम लोगों को ए.पी.वाई. योजना के तहत कवर करना है, ताकि भारत एक राष्ट्र के रूप में पेंशन रहित समाज से पेंशन सेवा भोगी समाज की ओर अग्रसर हो तथा यहाँ के नागरिक वृद्धावस्था में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।
  • ध्यातव्य है कि 18-40 वर्ष की आयु के नागरिक इस योजना में शामिल होने के लिये अर्ह है। 
  • इसके अंतर्गत 60 वर्ष की उम्र के पश्चात् पेंशनकर्त्ता को 1000-5000 रुपए प्रतिमाह तक के न्यूनतम मासिक पेंशन प्रदान करने की गारंटी भारत सरकार द्वारा दी गई है।
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