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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 11 अक्टूबर, 2018

  • 11 Oct 2018
  • 9 min read

विश्व डाक दिवस

  • विश्व डाक दिवस प्रत्येक वर्ष 9 अक्तूबर को मनाया जाता है।
  • 1874 में स्विट्ज़रलैंड की राजधानी बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना की गई थी जिसके उपलक्ष्य में विश्व डाक दिवस मनाया जाता है।
  • इसे 1969 में जापान के टोक्यो में आयोजित UPU कॉन्ग्रेस द्वारा विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया गया था।
  • विश्व डाक दिवस का उद्देश्य पूरे विश्व में लोगों के दैनिक जीवन, व्यापार और सामाजिक तथा आर्थिक विकास में डाक की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाना है।
  • 2015 में दुनिया के सभी देशों ने सतत् विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु एक साथ काम करने के लिये खुद को वचनबद्ध किया था। इसलिये, विकास के लिये अवसंरचना प्रदान करते हुए आज डाक की प्रासंगिक भूमिका और अधिक बढ़ जाती है। 

सर छोटू राम

हाल ही में किसानों के नेता सर छोटू राम की 64 फीट ऊँची मूर्ति का अनावरण किया गया। यह मूर्ति हरियाणा में उनके गाँव सांपला में लगाई गई है। 

सर छोटू राम का परिचय

  • छोटू राम का जन्म 1881 में पंजाब के रोहतक (अब हरियाणा) में हुआ था। छोटू राम का असली नाम राय रिछपाल था।
  • वह सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली के छात्र रहे।
  • सर छोटू राम को 1937 में नाइट की उपाधि दी गई थी।
  • वह नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी के संस्थापक थे। सर छोटू राम को अविभाजित पंजाब का राजस्व मंत्री बनाया गया था। वह स्वतंत्रता से पहले किसानों को सशक्त बनाने और किसान-समर्थक कानून लागू करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। आधुनिक अवधारणाओं जैसे-कर्ज निपटान बोर्ड, ब्याज पर कैप्स, कृषकों हेतु मूलभूत निष्पक्षता को 1930 के इन्ही कानूनों में शामिल किया गया था।
  • उन्हें भाखड़ा बांध के जनक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने 1923 में भाखड़ा बांध की कल्पना की थी।
  • वह किसानों द्वारा खेती पर किये गए खर्च के लिये क्षतिपूर्ति देने की अवधारणा के भी जनक थे, यही अवधारणा ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ के रूप में विकसित हुई है।
  • सर छोटू राम देश के पहले बड़े कृषि सुधारक के रूप में उभरे जो कृषिविदों के पक्ष में खड़े रहे तथा उनके अधिकारों के लिये लड़े।

माजुली द्वीप के लिये नई रो-रो सुविधा

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India- IWAI) असम सरकार के सहयोग से माजुली द्वीप के लिये रोल ऑन – रोल ऑफ (Roll on- Roll off, Ro-Ro) सुविधा शुरू करेगी।

  • इस रो-रो सुविधा वाले नदी मार्ग के इस्‍तेमाल से 423 किलोमीटर लंबे घुमावदार सड़क मार्ग की दूरी, घटकर केवल 12.7 किलोमीटर रह जाएगी।
  • IWAI ने नई सेवा के लिये 9.46 करोड़ रुपए की लागत से एक नया जहाज़ एमवी भूपेन हजारिका खरीदा है और इसके लिये आवश्‍यक टर्मिनल कि सुविधा प्रदान की गई है। 
  • यह 46.5 मीटर लंबा और 13.3 मीटर चौड़ा जहाज़ 8 ट्रक और 100 यात्रियों को ले जा सकता है। IWAI ब्रह्मपुत्र नदी में इस्‍तेमाल के लिये कुछ और ऐसे रो-रो जहाज़ खरीदने की योजना बना रहा है।
  • इससे पहले IWAI इसी तरह की रो-रो सेवा धुबरी और हतसिंगीमारी के बीच शुरू कर चुका है जिससे यात्रा की दूरी 190 किलोमीटर कम हो गई है। 
  • इसके लिये धुबरी में एक स्‍थायी रो-रो टर्मिनल का निर्माण किया गया है। ब्रह्मपुत्र नदी के 11 स्‍थानों पर तैरते हुए टर्मिनल बनाए गए हैं। ये टर्मिनल हैं- हतसिंगीमारी, धुबरी, जोगीघोपा, तेजपुर, सिलघाट, विश्‍वनाथ घाट, नीमाती, सेंगाजन, बोगीबील, डिब्रूगढ़/ओकलैंड और ओरिमघाट।

पृष्ठभूमि

  • ब्रह्मपुत्र नदी स्थित माजुली द्वीप दुनिया के सबसे बड़े द्वीपों में से एक है और इसे संपर्क व्यवस्था के मामले में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
  • इसमें 144 गाँव हैं जिनकी आबादी 1,50,000 से अधिक है। 
  • नदी के किसी भी तरफ रहने वाले लोगों को अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों के लिये विभिन्‍न स्‍थानों पर परंपरागत नौकाओं का इस्‍तेमाल करना पड़ता है। पर्याप्‍त संख्‍या में पुल, कार्गों और यात्रियों की आवाज़ाही के अभाव में लंबा रास्‍ता तय करना पड़ता है जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती है।

ऑनलाइन आश्‍वासन निगरानी प्रणाली

हाल ही में केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्रालय द्वारा विकसित ‘ऑनलाइन आश्‍वासन निगरानी प्रणाली (Online Assurances Monitoring System- OAMS)’ को लॉन्च किया किया गया।

  • इस प्रणाली के लागू होने से संसद के दोनों सदनों के पटल पर दिये जाने वाले आश्‍वासनों से संबंधित सूचनाएँ अब पेपरलेस हो गई हैं।
  • ‘OAMS’ का उद्घाटन हो जाने से अब ई-ऑफिस के ज़रिये संसदीय मामलों के मंत्रालय द्वारा छाँटे गए सभी आश्‍वासन इस प्रणाली या सिस्‍टम पर नज़र आएंगे और विभिन्‍न मंत्रालय/ विभाग, लोकसभा सचिवालय एवं राज्‍यसभा सचिवालय समस्‍त उद्देश्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए इस सिस्‍टम के ज़रिये उन्‍हें संप्रेषित करेंगे। 
  • इसमें संसदीय आश्‍वासनों से संबंधित विभिन्‍न कार्यकलाप शामिल होंगे जिनमें कार्यान्‍वयन रिपोर्ट भेजना, उसे वापस लेने का अनुरोध करना, विस्‍तार करने के लिये अनुरोध करना और संबंधित निर्णय शामिल हैं। 
  • इस प्रणाली के लागू होने के बाद अब किसी भी तरह के कागज़ी संदेश को स्‍वीकार नहीं किया जाएगा।

OAMS की आवश्यकता

  • मानवीय ढिलाई और दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने के कारण आश्‍वासनों को पूरा करने की प्रक्रिया में कई तरह की समस्‍याएँ उभर कर सामने आती हैं जिससे यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत कम पारदर्शी हो जाती है। 
  • लोकसभा, राज्‍यसभा और संसदीय मामलों के मंत्रालय में विभिन्‍न मॉ्ड्यूल को उपयोग में लाया जा रहा है जिससे संबंधित आंकड़ों में सही ढंग से मिलान नहीं हो पाता है। 
  • उपरोक्त कारणों से लंबित आश्‍वासनों की वास्‍तविक स्थिति पर करीबी नज़र रखने और उन्‍हें त्‍वरित ढंग से पूरा करने के उद्देश्‍य से एक ऑनलाइन आश्‍वासन निगरानी प्रणाली की स्‍थापना की गई है।
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