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कृषि

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना

  • 29 Feb 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, ऑपरेशन ग्रीन्स

मेन्स के लिये:

कृषि प्रसंस्करण संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries- MoFPI) की अध्यक्षता में गठित अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समिति (Inter-Ministerial Approval Committee- IMAC) द्वारा ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ (Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana- PMKSY) के तहत 32 नवीन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई।

मुख्य बिंदु:

  • इन परियोजनाओं के तहत 17 राज्यों में लगभग 406 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

परियोजनाओं का उद्देश्य:

  • परियोजनाओं के तहत 15 हज़ार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गारों के सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि, कृषि उपज की शेल्फ-लाइफ (Shelf-Life) में वृद्धि के लिये आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों की शुरुआत, किसानों की आय में स्थिरता आदि की परिकल्पना की गई है।

खाद्यान प्रसंस्करण का महत्त्व:

  • भारतीय किसानों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के उपभोक्ताओं से जोड़ने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग

(Food Processing Industries):

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का तात्पर्य ऐसी गतिविधियों से है जिसमें प्राथमिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्यवर्द्धन किया जाता है। उदाहरण के लिये डेयरी उत्पाद, दूध, फल तथा सब्जियों का प्रसंस्करण, पैकेट बंद भोजन तथा पेय पदार्थ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत आते हैं।

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों, सरकार एवं बेरोज़गार युवाओं के बीच कड़ी का कार्य कर भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर सकता है।
  • चीन के बाद भारत खाद्य पदार्थों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, साथ ही विशाल जनसंख्या तथा बढ़ती आर्थिक समृद्धि के कारण भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिये बड़ा बाज़ार उपलब्ध है।
  • सस्ते श्रम बल की उपस्थिति के कारण भी भारत में खाद्य प्रसंस्करण अपेक्षाकृत कम लागत पर किया जा सकता है। इससे वैश्विक व्यापार में भारत को लाभ प्राप्त हो सकता है।

उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ:

  • भारत में बुनियादी अवसंरचनाओं का अभाव है। भारत में न तो राष्ट्रीय राजमार्गों और न ही डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की स्थिति इतनी अधिक सशक्त है कि देश के प्रत्येक हिस्से में मौजूद किसान को स्टोर मालिकों से संबद्ध किया जा सके।
  • वर्तमान में यह उद्योग विभिन्न राज्य स्तरीय एवं केंद्रीय कानूनों से शासित होता है, जिससे उद्योग संबंधी कानूनों में स्पष्टता का अभाव है।
  • भारत में खाद्य पदार्थों की जाँच हेतु आधुनिक तकनीक से युक्त प्रयोगशालाओं तथा जाँच मानकों में एकरूपता का अभाव है।
  • खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की कमी है, जिसके कारण इस उद्योग में न तो नवाचार हो पाता है और न ही जागरूकता का वातावरण तैयार हो पाता है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • खाद्य उत्पादों के विनिर्माण में स्वचालित मार्ग के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश।
  • खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं / इकाइयों को सस्ता ऋण प्रदान करने के लिये ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक’ (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) ने 2000 करोड़ रुपए का एक विशेष कोष बनाया गया है।
  • खाद्य और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयाँ और कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर को ‘प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के ऋण’ (Priority Sector Lending-PSL) के लिये कृषि गतिविधि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लाभ पर आयकर में 100% छूट जैसे राजकोषीय उपाय।
  • 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ टमाटर, प्याज़ और आलू (Tomato, Onion and Potato- TOP) की फसलों की मूल्य शृंखला के एकीकृत विकास के लिये केंद्रीय क्षेत्र योजना "ऑपरेशन ग्रीन्स" का प्रारंभ।

PMKSY

योजना का उद्देश्य:

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण क्षमताओं का निर्माण, मूल्य संवर्द्धन, खाद्यान अपव्यय में कमी के लिये प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाना तथा मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का आधुनिकीकरण एवं विस्तार करना है।
  • व्यक्तिगत प्रसंस्करण इकाइयों की गतिविधियों में फसल कटाई के बाद की विभिन्न प्रक्रियाओं (Post-harvest Processes) यथा- मूल्य संवर्द्धन, उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाने जैसी सुविधाएँ, संरक्षण कार्य आदि शामिल हैं।

योजना के प्रावधान:

  • PMKSY योजना को MoFPI मंत्रालय लागू कर रहा है जिसके कार्यान्वयन की अवधि वर्ष 2016-20 है तथा कुल परिव्यय राशि 6,000 करोड़ रुपए है।
  • इस योजना की सात घटक योजनाएँ हैं-
    1. मेगा फूड पार्क
    2. एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना
    3. कृषि-प्रसंस्करण समूहों ( Agro-Processing Clusters) के लिये बुनियादी ढाँचा
    4. बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का निर्माण
    5. खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता का निर्माण / विस्तार
    6. खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना
    7. मानव संसाधन और संस्थान

कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर

(Agro Processing Cluster):

  • यह किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations- FPOs) को आधुनिक बुनियादी अवसंरचना युक्त आपूर्ति शृंखला के माध्यम से बाज़ारों से जोड़ता है।
  • क्लस्टर आधारित प्रणाली से लागत में कमी आती है तथा लाभ बढ़ जाता है, क्योंकि क्लस्टर में विभिन्न इकाइयाँ आपस में जुड़कर परिवहन लागत, श्रम लागत तथा समय की बचत करते हैं।

उद्योग में संभावना:

  • भारत में मूल्यवर्द्धन की अपार क्षमता एवं संभावनाओं के कारण खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उच्च विकास और उच्च लाभ के क्षेत्र के रूप में उभरा है। पिछले पाँच वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में चक्रीय वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate- CAGR) लगभग 8% रही है।
  • खाद्यान प्रसंस्करण बाज़ार 14.6% के CAGR के साथ वर्ष 2016 के 322 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 543 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास से बड़े-बड़े निवेशक इस क्षेत्र में शामिल होंगे और संविदा पर आधारित खेती का विकास होगा, जिससे भारत में कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान संभव होगा।

स्रोत: PIB

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