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कृषि

PM कुसुम

  • 04 Feb 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

PM कुसुम, ऑफ-ग्रिड सौर पंप, सौर ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि श्रमिकों का सशक्तीकरण।

मेन्स के लिये:

PM कुसुम, इसका महत्त्व और चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों? 

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (The Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने PM-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) के तहत ग्रामीण भारत में 30,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की समय-सीमा बढ़ाकर मार्च 2026 कर दी है।

PM कुसुम:

  • परिचय: 
    • पीएम-कुसुम योजना को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सौर पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े क्षेत्रों में ग्रिड पर निर्भरता कम करने के लिये शुरू किया गया था।
  • घटक: 
    • भूमि पर स्थापित 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना।
    • 20 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना।
    • ग्रिड से जुड़े 15 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण (Solarisation)।
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य किसानों को उनकी शुष्क भूमि पर सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने और इसे ग्रिड को बेचने में सक्षम बनाना है।
    • यह ग्रिड को अधिशेष सौर ऊर्जा बेचने की अनुमति देकर किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करता है।

उपलब्धियाँ:

PM_KUSUM

योजना का महत्त्व:

  • ऊर्जा तक पहुँच बढ़ाना: 
    • यह किसानों को अधिशेष सौर ऊर्जा को राज्यों को बेचने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
    • इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सुविधा की पहुँच बढ़ाने और कृषि तथा अन्य ग्रामीण गतिविधियों के लिये ऊर्जा का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करने की उम्मीद है।
  • जलवायु आपदा के प्रभावों को कम करने में मदद: 
    • यदि किसान अधिशेष विद्युत बेचने में सक्षम होते हैं, तो उन्हें विद्युत बचाने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा, इससे भूजल का उचित और कुशल उपयोग होगा।
    • इसके अलावा विकेंद्रीकृत सौर-आधारित सिंचाई सुविधा प्रदान कर प्रदूषण फैलाने वाले डीज़ल से निज़ात पाई जा सकती है।
    • पूरी तरह से लागू होने पर पीएम-कुसुम कार्बन उत्सर्जन को प्रतिवर्ष 32 मिलियन टन CO2 तक कम कर देगी।
  • रोज़गार और सशक्तीकरण:  
    • इस योजना के तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना, रखरखाव और संचालन के परिणामस्वरूप रोज़गार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।
    • इस योजना में ग्रामीण समुदायों को ऊर्जा उत्पादन और वितरण पर नियंत्रण प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाएगी।

संबद्ध चुनौतियाँ:

  • वित्तीय और लॉजिस्टिक्स मुद्दे:  
    • सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने की लागत अधिक हो सकती है और यह आवश्यक वित्तपोषण को लेकर किसानों के समक्ष बाधक बन सकता है।
    • यह मामला घरेलू उपकरणों की उपलब्धता का है। पंप घरेलू आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये एक चुनौती नहीं हैं, जबकि सौर पंपों की उपलब्धता अभी भी एक मुद्दा है। 
  • घटता भू-जल स्तर: 
    • विद्युत सब्सिडी के कारण विद्युत की आवर्ती लागत इतनी कम है कि किसान निरंतर जल को पंप करते रहते हैं और जिससे जल स्तर नीचे जा रहा है।
    • सोलर इंस्टालेशन में जल स्तर गिरने की स्थिति में उच्च क्षमता वाले पंपों को अद्यतन करना अधिक कठिन काम है क्योंकि लोगों को नए सोलर पैनल लगाने होंगे, जो महँगे हैं। 
  • नियामक बाधाएँ और स्थिरता:
    • ऐसी विनियामक बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं जो योजना के सुचारु कार्यान्वयन को रोकती हैं जैसे कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं को ग्रिड से जोड़ने पर प्रतिबंध
    • विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं को ग्रिड के साथ एकीकृत करने से तकनीकी चुनौतियाँ और स्थिरता के मुद्दे सामने आ सकते हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति इस विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा योजना की सफलता की कुंजी है। भारत में ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ा कोई भी सुधार तब तक प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सकता, जब तक कि केंद्र, राज्य और अन्य सभी हितधारकों के बीच इस संदर्भ में आम सहमति न बन जाए।
  • सिंचाई के लिये पारंपरिक डीज़ल या विद्युत चालित पंपों से सौर पंपों की तरफ बढ़ने के साथ ही किसानों को 'ड्रिप इरिगेशन' (Drip irrigation) जैसे आधुनिक उपायों को भी अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि के साथ ही पानी और बिजली की भी बचत होगी।
  • इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और हितधारकों की इस पहल में गंभीरता के साथ भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये कार्यान्वयन की उच्च लागत तथा व्यापक रखरखाव की चुनौतियों को देखते हुए योजना की बेंचमार्क कीमतों को अधिक आकर्षक बनाना होगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) 

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रारंभ किया गया था।
  2. इस गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश सम्मिलित हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • विकासशील देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु भारत और फ्राँस ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) लॉन्च किया है।
  • इसे भारतीय प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में लॉन्च किया गया था। इसका सचिवालय भारत के गुरुग्राम में स्थित है। अतः कथन 1 सही है।
  • प्रारंभिक चरण में ISA को पूरी तरह या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा (उष्णकटिबंधीय क्षेत्र) के मध्य स्थित देशों की सदस्यता हेतु खोला गया था।
  • वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिये ISA की सदस्यता खोली गई थी। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य नहीं हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • वर्तमान में 80 देशों ने ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं और इसकी पुष्टि की है, जबकि 98 देशों ने ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँँ हैं। विस्तृत वर्णन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020)

स्रोत: द हिंदू

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