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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान-श्रीलंका और भारत

  • 02 Mar 2021
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने श्रीलंका का दौरा किया। यह वर्ष 2016 के बाद किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पहली श्रीलंका यात्रा है और कोविड -19 महामारी शुरू होने के बाद से किसी देश की सरकार के प्रमुख द्वारा की गई पहली यात्रा है।

प्रमुख बिंदु:

श्रीलंका-पाकिस्तान संबंध (पृष्ठभूमि):

  • व्यापार:
    • श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2005 में एक मुक्त व्यापार समझौता हुआ। पाकिस्तान दक्षिण एशिया में श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
  • संस्कृति:
    • पिछले दशक में पाकिस्तान ने श्रीलंका के साथ अपने प्राचीन बौद्ध संबंधों और स्थलों के संदर्भ में सांस्कृतिक संबंध स्थापित करने की कोशिश की है।
  • रक्षा सहयोग:
    • रक्षा सहयोग श्रीलंका-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों में एक मजबूत स्तंभ है।
    • वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान श्रीलंका ने पाकिस्तानी जेट विमानों को ईंधन भरने की अनुमति दी थी।
    • वर्ष 2009 में ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (LTTE) के खिलाफ गृह युद्ध में श्रीलंका ने युद्ध के अंतिम चरण में अपने लड़ाकू पायलटों हेतु हथियारों और गोला-बारूद के लिये पाकिस्तान का रुख किया।
    • हाल ही में श्रीलंका ने पाकिस्तान के बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास अमन-21 में भाग लिया।

यात्रा के संबंध में:

  • रक्षा क्रेडिट लाइन सुविधा:
    • पाकिस्तान ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये श्रीलंका को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की नई क्रेडिट लाइन प्रदान करने की पेशकश की है
  • सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा:
    • पाकिस्तान द्वारा श्रीलंका के कैंडी स्थित पेरेडेनिया विश्वविद्यालय में एशियाई संस्कृति और सभ्यताओं के अध्ययन के लिये एक केंद्र स्थापित किया जाएगा।
    • श्रीलंका ने कोलंबो में एक खेल संस्थान का नाम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के नाम पर रखा तथा दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों पर प्रकाश डाला गया।

यात्रा का महत्त्व:

  • पाकिस्तान के संदर्भ में:
    • व्यापार संबंधों में वृद्धि:
  • श्रीलंका के संदर्भ में:
    • UNHRC में समर्थन की मांग:
      • श्रीलंका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के सदस्य राज्यों से इस द्वीपीय राष्ट्र में मानवाधिकार को लेकर जवाबदेही और सामंजस्य पर आगामी प्रस्ताव को खारिज करने की अपील की है।
      • श्रीलंका अपने 26 वर्षीय गृह युद्ध (1983-2009) पीड़ितों को न्याय दिलाने एवं मानवाधिकारों का हनन करने वालों को पकड़ने के लिये नए प्रस्ताव का सामना कर रहा है। यह युद्ध मुख्य रूप से सिंहली प्रभुत्व वाली श्रीलंकाई सरकार और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के विद्रोही समूह के बीच एक संघर्ष था, जिसके बाद तमिल अल्पसंख्यकों के लिये एक अलग राज्य की स्थापना की उम्मीद की गई थी।
    • भारत और पाकिस्तान के साथ संतुलित संबंध:
      • इसने श्रीलंका को भारत और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने का अवसर प्रदान किया है।
      • श्रीलंका ने अपनी संसद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के संबोधन को इसलिये रद्द कर दिया क्योंकि इस बात की आशंका थी कि वे कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे।
    • मुस्लिम विरोधी छवि में सुधार:
      • यह यात्रा इस्लामिक देशों में श्रीलंका की छवि को हुए नुकसान में सुधार कर सकती है, क्योंकि श्रीलंका ने हाल ही में कोविड-19 से मरने वाले मुसलमानों के शवों को दफनाने से इनकार कर दिया था।
      • श्रीलंका की आबादी में लगभग 11% मुस्लिम हैं, पिछले कुछ दशकों से सिंहली बौद्धों के साथ इनके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं, जिसकी परिणति पिछले कुछ वर्षों में दंगों एवं अशांति के रूप में हुई है।

भारत के लिये चिंता का विषय:

  • पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिशों में बाधाएँ:
    • भारत निकटतम पड़ोसी के रूप में पाकिस्तान को अब तक श्रीलंका के संदर्भ में गंभीर प्रतिद्वंद्वी नहीं मानता है।
    • हालाँकि इस यात्रा से यह संकेत मिला है कि पाकिस्तान को "अलग-थलग" करने के भारत के प्रयासों के बावजूद श्रीलंका उसका पड़ोसी मित्र है।
  • चीन से बढ़ती निकटता:
    • कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल के विकास के लिये एक त्रिपक्षीय समझौते (जापान और भारत के साथ) से श्रीलंका के अलग होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की यात्रा और जाफना के एक द्वीप पर हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा संबंधी कंपनी स्थापित करने के लिये एक चीनी कंपनी को अनुबंध प्रदान करना भारत के लिये चिंता का कारण है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के हितों को खतरा:
    • हिंद महासागर क्षेत्र में श्रीलंका, चीन और पाकिस्तान के बीच हितों का बढ़ता सामंजस्य चिंता का विषय है।
    • हिंद महासागर के लिये भारत की रणनीतिक दृष्टि (SAGAR) की उपलब्धि में और चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का मुकाबला करने में श्रीलंका की केंद्रीय भूमिका है।
    • श्रीलंका द्वारा पाकिस्तान को 50 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन ऐसे समय में प्रदान की गई है जब भारत ने नौसेना की क्षमता को मज़बूत करने के लिये पड़ोसी मालदीव को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन प्रदान की  है और तटीय सुरक्षा के लिये मॉरीशस के साथ 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता किया है।
  • संपर्क:
    • ग्वादर बंदरगाह CPEC द्वारा चीन के झिंजियांग प्रांत से जुड़ा है, जो वर्ष 2013 में चीन द्वारा शुरू की गई महत्त्वाकांक्षी मल्टी बिलियन डॉलर की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का एक महत्त्वपूर्ण तटीय किनारा है।
    • वर्तमान में पाकिस्तान द्वारा श्रीलंका के साथ संबंध स्थापित करने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह पर फिर से काम शुरू करने की कोशिश कर रहा है, जिसे भारत मध्य एशिया और अफगानिस्तान के लिये पाकिस्तान को दरकिनार कर एक मार्ग के रूप में देखता है।
  • पाकिस्तान द्वारा कट्टरपंथ का प्रसार:
    • भारतीय सुरक्षा संस्थाओं ने छिटपुट मात्रा में विशेष रूप से पूर्वी श्रीलंका के मुस्लिमों के कट्टरपंथीकरण में पाकिस्तान की भूमिका पर चिंता व्यक्त की है।

आगे की राह:

  • श्रीलंका ने भारत और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को स्पष्ट रूप से संतुलित करने का प्रयत्न किया है तथा यह संकेत दिया है कि दोनों देशों के साथ उसके अलग-अलग संबंध हैं तथा भारत को श्रीलंका-पाकिस्तान संबंधों से चिंतित नहीं होना चाहिये। श्रीलंका और मालदीव के साथ वर्ष 2020 में एक त्रिपक्षीय समुद्री वार्ता को पुनर्जीवित करना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
  • भारत को श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे द्वारा प्रस्तावित एक पुराने उपाय पर भी विचार करना चाहिये, जिसके तहत भारत के मध्य से एक ओवरलैंड आर्थिक गलियारे की बात की गई थी जो श्रीलंका को मध्य एशिया और उससे आगे के लिये एक मार्ग प्रदान करेगा।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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