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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ऑर्गनॉइड इंटेलिजेंस एंड बायो-कंप्यूटर

  • 07 Mar 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ऑर्गनॉइड इंटेलिजेंस, बायो-कंप्यूटर के संभावित उपयोग।

मेन्स के लिये:

ऑर्गनॉइड -कल्चर के खतरे और अवसर।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक नए क्षेत्र के लिये ‘ऑर्गनॉइड इंटेलिजेंस’ नामक संभावित क्रांतिकारी या गेम चेंजर योजना की रूपरेखा तैयार की है, जिसका उद्देश्य ‘बायोमीटर’ बनाना है, जहाँ प्रयोगशाला में विकसित की जाने वाली 3D ब्रेन कल्चर/मस्तिष्क संस्कृति को वास्तविक दुनिया के सेंसर और इनपुट/आउटपुट उपकरणों से युग्मित किया जाएगा।

  • यह अनुमान है कि प्रौद्योगिकी मस्तिष्क की प्रसंस्करण शक्ति का उपयोग कर मानव अनुभूति, सीखने और अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के जैविक आधारों को समझने में मदद करेगी।

प्रौद्योगिकी:

  • ये "मिनी-ब्रेन" (4 मिमी. तक के आकार के साथ) मानव स्टेम कोशिकाओं का उपयोग करके बनाए गए हैं और विकासशील मानव मस्तिष्क के कई संरचनात्मक एवं कार्यात्मक विशेषताओं को शामिल करते हैं। इसका उपयोग मानव मस्तिष्क के विकास तथा दवाओं का परीक्षण एवं संबंधित प्रतिक्रिया को समझने हेतु किया जाता है।
    • हालाँकि प्रयोगशाला में विकसित मस्तिष्क के अंग पर्याप्त रूप से उन्नत नहीं होते हैं क्योंकि उनमें आवश्यक संवेदी इनपुट और रक्त परिसंचरण की कमी होती है जो मानव मस्तिष्क जैसे जटिल अंग के विकास हेतु आवश्यक हैं।

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  • शोधकर्त्ताओं ने यह भी देखा कि मानव मस्तिष्क की ऑर्गनॉइड संस्कृतियों ने इसे चूहे के मस्तिष्क में प्रत्यारोपित करके कार्यात्मक गतिविधि को प्रदर्शित किया।
    • यह प्रणाली मानवीय संदर्भ में मस्तिष्क रोगों का अध्ययन करने का एक तरीका प्रदान कर सकती है।
    • ऑर्गनॉइड्स अभी भी चूहों के मस्तिष्क के वातावरण में स्थित हैं, जो मानव मस्तिष्क का सटीक प्रतिनिधित्त्व नहीं हो सकता है।

नवीन बायो-कंप्यूटर:

  • शोधकर्त्ताओं ने "बायो-कंप्यूटर" बनाने के लिये मशीन लर्निंग का उपयोग करके आधुनिक कंप्यूटिंग विधियों के साथ मस्तिष्क ऑर्गनॉइड्स को संयोजित करने की योजना बनाई है।
  • वे मल्टी-इलेक्ट्रोड संरचनाओं के अंदर ऑर्गनॉइड विकसित करेंगे जो न्यूरोनल फायरिंग पैटर्न को और संवेदी उत्तेजनाओं की नकल कर सकते हैं।
  • मानवीय व्यवहार या जीव विज्ञान पर न्यूरॉन प्रतिक्रिया पैटर्न के प्रभाव की जाँच मशीन-लर्निंग के तरीकों का उपयोग करके की जाएगी।
  • मानव न्यूरॉन्स को पहले से ही एक माइक्रोइलेक्ट्रोड के रूप में सजाया गया है और टेबल टेनिस के खेल के दौरान इलेक्ट्रॉनों द्वारा उत्पादित विद्युत गतिविधि का उत्पादन करना सिखाया गया है।

'बायो-कंप्यूटर' में अवसर:

  • पार्किंसंस रोग और माइक्रोसेफली जैसी बीमारियों वाले रोगियों की स्टेम कोशिकाओं के उपयोग से विकसित मस्तिष्क ऑर्गनॉइड्स इन स्थितियों के लिये दवा के विकास में सहायता कर सकते हैं।
  • ये ऑर्गनॉइड स्वस्थ और रोगी-व्युत्पन्न ऑर्गनॉइड के बीच मस्तिष्क संरचना, कनेक्शन और सिग्नलिंग पर डेटा की तुलना करके मानव संज्ञान, सीखने और स्मृति के जैविक आधार में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
  • बुनियादी अंकगणित में कंप्यूटर की तुलना में धीमी होने के बावजूद मानव मस्तिष्क, जटिल सूचनाओं को संसाधित करने में मशीनों से बेहतर प्रदर्शन करता है।

आगे की राह

  • वर्तमान समय में मानव मस्तिष्क के अंगों का व्यास 1 mm से कम है, जो वास्तविक मानव मस्तिष्क के आकार का लगभग 3 मिलियनवांँ हिस्सा है। अतएव मस्तिष्क-ऑर्गनॉइड का मापन कर इसकी कंप्यूटिंग क्षमता में सुधार करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • ‘बिग डेटा’ इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग कर प्रत्येक न्यूरॉन और संयोजन से स्नायु संबंधी सूचनाओं को बनाए रखना और उसका विश्लेषण करना आवश्यक होगा।
  • शोधकर्त्ताओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों के परिवहन एवं अपशिष्ट उत्पादों को हटाने के लिये माइक्रोफ्लुइडिक सिस्टम भी विकसित करना होगा।
  • इस कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाले नैतिक मुद्दों की पहचान, उन पर चर्चा और उनका विश्लेषण करने की भी आवश्यकता है।

स्रोत : द हिंदू

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