इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

भारत में ऑनलाइन गेमिंग बाज़ार

  • 13 Oct 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ऑनलाइन गेमिंग, जुआ, डिजिटल इंडिया, गेम ऑफ स्किल, गेम ऑफ चांस, बेटिंग।

मेन्स के लिये:

ऑनलाइन गेमिंग और उसका प्रभाव

चर्चा में क्यों?

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा गठित टास्क फोर्स ने भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के लिये अपनी सिफारिशों की एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की है।

टास्क फोर्स की सिफारिशें:

  • ऑनलाइन गेमिंग हेतु केंद्रीय स्तर का कानून:
    • ऑनलाइन गेमिंग के लिये केंद्रीय स्तर का कानून वास्तविक धन और मुफ्त गेम पर लागू होना चाहिये, जिसमें ई-स्पोर्ट्स, ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स कॉन्टेस्ट तथा कार्ड गेम शामिल हैं।
    • बिना किसी वास्तविक धन के दाँव के रूप में कैज़ुअल गेम को ऐसे नियमों के दायरे से बाहर रखा जा सकता है, जब तक कि भारत में उनके उपयोगकर्त्ताओं की संख्या अधिक न हो।
  • ऑनलाइन गेमिंग उद्योग हेतु नियामक निकाय:
    • इसने ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिये एक नियामक निकाय बनाने की भी सिफारिश की है।
    • निकाय यह निर्धारित करेगा कि कौशल या अवसर के खेल के रूप में क्या योग्यता है, और तद्नुसार विभिन्न गेमिंग प्रारूपों को प्रमाणित करता है, अनुपालन और प्रवर्तन सुनिश्चित करता है।
      • "गेम ऑफ स्किल" मुख्य रूप से एक अवसर के बजाय किसी खिलाड़ी की विशेषज्ञता के मानसिक या शारीरिक स्तर पर आधारित होता है।
      • "गेम ऑफ चांस" हालाँकि मुख्य रूप से किसी भी प्रकार के यादृच्छिक कारक द्वारा निर्धारित किया जाता है। गेम ऑफ चांस में कौशल का उपयोग मौजूद होता है लेकिन उच्च स्तर का मौका सफलता को निर्धारित करता है।
  • त्रि-स्तरीय विवाद समाधान तंत्र:
    • ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिये सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत निर्धारित एक त्रि-स्तरीय विवाद समाधान तंत्र, जिसमें शामिल हैं:
      • गेमिंग प्लेटफॉर्म स्तर पर एक शिकायत निवारण प्रणाली,
      • उद्योग का स्व-नियामक निकाय,
      • सरकार के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति।
  • एक कानूनी इकाई के रूप में ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म:
    • भारतीय उपयोगकर्त्ताओं को रियल मनी ऑनलाइन गेम की पेशकश करने वाले किसी भी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म (घरेलू या विदेशी) को भारतीय कानून के तहत शामिल एक कानूनी इकाई की आवश्यकता होगी।
    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत इन प्लेटफाॅर्मों को 'रिपोर्टिंग संस्थाओं' के रूप में भी माना जाएगा।
    • इन प्लेटफाॅर्मों को वित्तीय खुफिया इकाई-भारत को संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट करने की भी आवश्यकता होगी।
  • क्षेत्र का विनियमन:
    • MeitY द्वारा विनियमन:
      • MeitY ई-स्पोर्ट्स श्रेणी को छोड़कर ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिये नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य कर सकता है, जिसका नेतृत्व खेल विभाग कर सकता है।
      • MeitY द्वारा विनियमन के दायरे में केवल ऑनलाइन गेमिंग, यानी गेम्स ऑफ स्किल’ शामिल होने चाहिये।
      • टास्क फोर्स की सिफारिश के अनुसार, ऑनलाइन सट्टेबाज़ी और जुए के प्रकृति में संयोग के खेल होने के मुद्दों को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिये।
    • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा विनियमन:
      • ऑनलाइन गेमिंग के कुछ अन्य पहलुओं जैसे विज्ञापन, सामग्री वर्गीकरण से संबंधित आचार संहिता आदि को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा विनियमित किया जा सकता है।
    • उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा विनियमन:
      • उपभोक्ता मामले मंत्रालय अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिये इस क्षेत्र को विनियमित कर सकता है।

केंद्रीय स्तर पर एक कानून का उद्देश्य:

  • ऑनलाइन गेमिंग एक राज्य विषय होने के नाते:
    • ऑनलाइन गेमिंग राज्य का विषय रहा है, लेकिन राज्य सरकारों के अनुसार, उन्हें अपने राज्य के भीतर कुछ एप्स या वेबसाइटों को अवरुद्ध करने के नियम को लागू करना बेहद मुश्किल होता है।
    • इसके अलावा चिंता का अन्य विषय यह है कि एक राज्य में पारित नियम दूसरे में लागू नहीं होते हैं, जिससे देश में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के तरीके में असंगतता पैदा हुई है।
    • राज्य सरकारों के पास बाहरी सट्टेबाज़ी वेबसाइटों के लिये ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करने हेतु केंद्र के समान इन्हें अवरुद्ध करने की शक्तियाँ भी नहीं हैं।
  • सामाजिक सरोकार:
    • देश में ऑनलाइन गेम के प्रसार से उत्पन्न होने वाली कई सामाजिक चिंताओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
    • देश के विभिन्न हिस्सों में ऑनलाइन गेम पर लोगों द्वारा बड़ी रकम गँवाने की कई घटनाएँ और इनकी वजह से होने वाली आत्महत्या की घटनाएँ सामने आई हैं।
  • नियामक ढाँचे की अनुपलब्धता:
    • इसके साथ ही वर्तमान में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने के लिये कोई नियामक ढाँचा नहीं है जैसे कि शिकायत निवारण तंत्र, खिलाड़ी संरक्षण उपायों को लागू करना, डेटा और बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा एवं भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंध आदि।

भारत के ऑनलाइन गेमिंग बाज़ार का विस्तार:

  • राजस्व और उद्योग वृद्धि:
    • भारतीय मोबाइल गेमिंग उद्योग का राजस्व वर्ष 2022 में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है और वर्ष 2025 में इसके 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • देश में यह उद्योग वर्ष 2017-2020 के बीच 38% की CAGR से बढ़ा, जबकि चीन में 8% और अमेरिका में 10% था।
      • 15% की CAGR वृद्धि के साथ वर्ष 2024 तक इसका राजस्व बढ़कर 153 बिलियन रुपए होने की संभावना है।
  • उपयोगकर्त्ताओं में वृद्धि:
    • भारत में भुगतान करने वाले नए गेमिंग उपयोगकर्त्ताओं (NPUs) का प्रतिशत लगातार दो वर्षों से दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है जो वर्ष 2020 में 40% और वर्ष 2021 में 50% तक पहुँच गया है।
    • EY FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लेनदेन-आधारित गेम का राजस्व 26% बढ़ा है और भुगतान करने वाले गेमर्स की संख्या 17% बढ़कर वर्ष 2020 के 80 मिलियन से वर्ष  2021 में 95 मिलियन हो गई।

आगे की राह

  • मज़बूत नीतिगत ढाँचा:
    • भारत ई-गेमिंग उद्योग की क्षमता का दोहन करने, राजस्व को अधिकतम करने और वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता बनने की दिशा में प्रयास करने के लिये मज़बूत नीतिगत ढाँचे और डिजिटल बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है।
    • संचालन की देखरेख करने, सामाजिक मुद्दों के समाधान वाली प्रगतिशील नीतियों का मसौदा तैयार  करने, स्किल या चांस के खेल को उपयुक्त रूप से वर्गीकृत करने, उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने और अपराध को रोकने हेतु एक सरकारी निकाय की आवश्यकता है।
  • सरकार और गेमिंग कंपनियों के बीच सहयोग:
    • गेमिंग कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर अवैध गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन को रोकने के लिये गेमर्स को शिक्षित करने तथा केवाईसी करने एवं उपयोगकर्त्ता प्रमाणीकरण आदि जैसी सर्वोत्तम प्रक्रियाओं द्वाराा उत्तरदायी गेमिंग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के साथ काम करना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2