दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

नाभिकीय संलयन ऊर्जा

  • 11 Feb 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

टोकामक, नाभिकीय संलयन, नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन के बीच अंतर।

मेन्स के लिये:

नाभिकीय संलयन के लाभ, स्वच्छ ऊर्जा।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने नाभिकीय संलयन ऊर्जा के उत्पादन में या सूर्य से ऊर्जा उत्पादन के तरीके की समान प्रक्रिया स्थापित करने में एक नई उपलब्धि हासिल कर ली है।

  • नाभिकीय संलयन द्वारा उत्पन्न ऊर्जा मानव जाति की लंबे समय से चली आ रही खोजों में सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह तुलनात्मक रूप से काफी स्वच्छ मानी जाती है अर्थात् यह कम कार्बन का उत्सर्जन करती है, साथ ही यह तकनीकी दक्षता के साथ 100% स्वच्छ हो सकती है।
  • एक किलोग्राम संलयन ईंधन में एक किलो कोयले, तेल या गैस की तुलना में लगभग 10 मिलियन गुना अधिक ऊर्जा होती है।

कहाँ किया गया यह प्रयोग?

  • यह प्रयोग ‘संयुक्त यूरोपीय टोरस सुविधा’ (JET) साइट में किया गया, जो कि दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी परिचालन साइट है।
  • यह ऊर्जा ‘टोकामक’ नामक मशीन में उत्पन्न की गई, जो कि एक डोनट के आकार का उपकरण है।
    • टोकामक एक मशीन है, जो चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके प्लाज़्मा को सीमित करती है, इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में ‘टोरस’ नाम से जाना जाता है।
  • ड्यूटेरियम और ट्राइटियम हाइड्रोजन के समस्थानिक हैं, इनसे प्लाज़्मा बनाने हेतु इन्हें सूर्य के केंद्र की तुलना में 10 गुना अधिक तापमान पर गर्म किया गया।
    • इसके लिये सुपरकंडक्टर इलेक्ट्रोमैग्नेट्स का उपयोग किया गया क्योंकि यह घूर्णन के साथ संलयन की क्रिया करने में सक्षम है और ऊष्मा के रूप में अत्यधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता है।
  • इन प्रयोगों का रिकॉर्ड और वैज्ञानिक डेटा ITER के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है, जो कि JET का वृहद् और अधिक उन्नत संस्करण है।

नाभिकीय संलयन 

  • नाभिकीय संलयन को कई छोटे नाभिकों के एक बड़े नाभिक में संयोजन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके बाद बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
    • यह विखंडन की विपरीत प्रतिक्रिया है जिसमें भारी आइसोटोप विभाजित होते हैं।
  • संलयन वह प्रक्रिया है जो सूर्य के लिये ऊर्जा का स्रोत है और असीम स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्रदान कर सकती है।
    • सूरज में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण द्वारा उत्पन्न अत्यधिक दबाव संलयन की स्थिति पैदा करता है।
  • संलयन अभिक्रियाएँ प्लाज़्मा नामक पदार्थ की अवस्था में होती हैं। प्लाज़्मा एक गर्म, आवेशित गैस है जो सकारात्मक आयनों और मुक्त गति वाले इलेक्ट्रॉनों से बनी होती है जिसमें ठोस, तरल एवं  गैसों से अलग अद्वितीय गुण होते हैं।
    • उच्च तापमान पर इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक से अलग हो जाते हैं और प्लाज़्मा या पदार्थ की आयनित अवस्था बन जाते हैं। प्लाज़्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था के रूप में भी जाना जाता है।

Nuclear-Fusion

नाभिकीय संलयन के लाभ:

  • प्रचुर मात्रा में ऊर्जा: नियंत्रित तरीके से परमाणुओं को एक साथ मिलाने से कोयले, तेल या गैस के जलने जैसी रासायनिक प्रतिक्रिया की तुलना में लगभग चार मिलियन गुना अधिक ऊर्जा और नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रियाओं (समान द्रव्यमान पर) की तुलना में चार गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है।  
    • संलयन की क्रिया में शहरों और उद्योगों को बिजली प्रदान करने हेतु आवश्यक बेसलोड ऊर्जा (Baseload Energy) प्रदान करने की क्षमता है।
  • स्थिरता: संलयन आधारित ईंधन व्यापक रूप से उपलब्ध है और लगभग विखंडनीय है। ड्यूटेरियम को सभी प्रकार के जल से डिस्टिल्ड किया जा सकता है, जबकि फ्यूज़न प्रतिक्रिया के दौरान ट्रिटियम का उत्पादन किया जाएगा क्योंकि न्यूट्रॉन लिथियम के साथ फ्यूज़न करते हैं। 
  • CO₂ का उत्सर्जन नहीं: संलयन की क्रिया से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों जैसे हानिकारक विषाक्त पदार्थों का उत्सर्जन नहीं होता है। इसका प्रमुख सह- उत्पाद हीलियम है जो कि एक अक्रिय और गैर-विषाक्त गैस है।
  • लंबे समय तक रहने वाला रेडियोधर्मी कचरे से बचाव: नाभिकीय संलयन रिएक्टर कोई उच्च गतिविधि, लंबे समय तक रहने वाले परमाणु अपशिष्ट का उत्पादन नहीं करते हैं।
  • प्रसार का सीमित जोखिम: फ्यूज़न में यूरेनियम और प्लूटोनियम जैसे विखंडनीय पदार्थ उत्पन्न नहीं होते हैं (रेडियोधर्मी ट्रिटियम न तो विखंडनीय है और न ही विखंडनीय सामग्री है)। 
  • पिघलने का कोई खतरा नहीं: संलयन के लिये आवश्यक सटीक स्थितियों तक पहुंँचना और उन्हें बनाए रखना काफी मुश्किल है तथा यदि संलयन की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी होती है, तो प्लाज़्मा सेकंड के भीतर ठंडा हो जाता है और प्रतिक्रिया बंद हो जाती है।

अन्य संबंधित पहलें:

  • इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) असेंबली: इसका उद्देश्य ऊर्जा के व्यापक और कार्बन मुक्त स्रोत के रूप में ‘नाभिकीय संलयन’ की व्यवहार्यता को साबित करने के लिये दुनिया के सबसे बड़े टोकामक का निर्माण करना है। ITER के सदस्यों में चीन, यूरोपीय संघ, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • चीन का कृत्रिम सूर्य: चीन द्वारा डिज़ाइन किया गया ‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ (EAST) उपकरण सूर्य द्वारा किये गए नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के समान प्रक्रिया का संचालन करता है।

नाभिकीय संलयन बनाम नाभिकीय विखंडन

नाभिकीय विखंडन

नाभिकीय संलयन 

परिभाषा

विखंडन का आशय एक बड़े परमाणु का दो या दो से अधिक छोटे परमाणुओं में विभाजन से है।

नाभिकीय संलयन का आशय दो हल्के परमाणुओं के संयोजन से एक भारी परमाणु नाभिक के निर्माण की प्रकिया से है।

घटना

विखंडन प्रकिया सामान्य रूप से प्रकृति में घटित नहीं होती है।

प्रायः सूर्य जैसे तारों में संलयन प्रक्रिया घटित होती है।

ऊर्जा आवश्यकता

विखंडन प्रकिया में दो परमाणुओं को विभाजित करने में बहुत कम ऊर्जा लगती है।

दो या दो से अधिक प्रोटॉन को एक साथ लाने के लिये अत्यधिक उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्राप्त ऊर्जा

विखंडन द्वारा जारी ऊर्जा रासायनिक प्रतिक्रियाओं में जारी ऊर्जा की तुलना में एक लाख गुना अधिक होती है, हालाँकि यह नाभिकीय संलयन द्वारा जारी ऊर्जा से कम होती है।

संलयन से प्राप्त ऊर्जा विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा से तीन से चार गुना अधिक होती है।

ऊर्जा उत्पादन 

विखंडन प्रकिया का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में किया जाता है।

यह ऊर्जा उत्पादन के लिये  एक प्रायोगिक तकनीक है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow