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भारतीय अर्थव्यवस्था

एनआरआई विदेशी मुद्रा जमा तथा COVID- 19

  • 24 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विदेशी मुद्रा जमा

मेन्स के लिये:

COVID-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने की दिशा में प्रोटोकॉलों की बढ़ती संख्या के बीच, निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों ने नोटों के माध्यम से इस महामारी के संचरण के डर से अनिवासी भारतीयों द्वारा जमा की जाने वाली विदेशी मुद्रा को स्वीकार करने से मना कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • बैंकों का मानना है कि अनिवासी भारतीय (Non-resident Indians- NRIs) खाताधारकों को सरकार ने बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने से रोकने की दिशा में कोई उपाय नहीं किये हैं, जबकि नोटों के माध्यम से COVID-19 के संचरण का जोखिम रहता है तथा इन मुद्राओं का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
  • NRIs अपने निवास स्थान तथा अपने मूल देश के बीच व्यापक ब्याज दर का अंतर होने तथा इस ब्याज दर का लाभ उठाने के लिये भारतीय बैंकों में अपना फंड जमा कराते हैं।

विदेशी विनिमय दर

(Foreign Exchange Rate): 

  • विदेशी मुद्रा की प्रति इकाई की घरेलू मुद्रा में कीमत ‘विदेशी विनिमय दर’ कही जाती है। विनिमय दर दो देशों की मुद्राओं के विनिमय के अनुपात को व्यक्त करती है। 
  • कुछ अर्थशास्त्री इसे घरेलू करेंसी का बाहरी मूल्य भी कहते हैं।

NRIs जमा खाते:

  • NRIs भारतीय बैंकों में दो प्रकार के जमा खाते खोल सकते हैं-
    1. प्रत्यावर्तनीय जमा (Repatriable Deposits) 
    2. अप्रत्यावर्तनीय जमा (Non Repatriable Deposits)
  • NRIs के पास प्रत्यावर्तनीय जमा खाते के 2 विकल्प होते हैं-  

विदेशी मुद्रा- अनिवासी- बैंक खाता(Foreign Currency Non-Resident- Banks):

  • इसे संक्षिप्त में FCNR- (B) खाते के रूप में जाना जाता है, जिसमें मुद्रा जोखिम बैंकों द्वारा वहन किया जाता है।  

गैर-निवासी बाह्य-रुपया- खाता (Non Resident External-Rupee-Account):

  • इसे संक्षिप्त में NRE- (RA) खाते के रूप में जाना जाता है, जहाँ विदेशी मुद्रा जोखिम जमाकर्त्ता द्वारा वहन किया जाता है।

विदेशी मुद्रा भंडार

(Foreign Exchange Reserves):

  • विदेशी मुद्रा भंडार, विदेशी मुद्रा के रूप में केंद्रीय बैंक में आरक्षित संपत्ति होती है, जिसमें बॉन्ड, ट्रेज़री बिल एवं अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं। 
  • ये परिसंपत्तियाँ कई उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं, लेकिन यदि राष्ट्रीय मुद्रा में तेज़ी से अवमूल्यन होता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाती है, तो केंद्रीय बैंक ऐसे समय में इस परिसंपत्ति का उपयोग बैकअप फंड के रूप मे करता है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं: 

  • विदेशी मुद्रा आस्तियाँ (जैसे डॉलर) 
  • गोल्ड 
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights)
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में आरक्षित निधि

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विदेशी मुद्रा भंडार पर COVID- 19 का प्रभाव:

  • नवीनतम आँकड़ों (13 मार्च 2020) के अनुसार मुद्रा आरक्षित 487 बिलियन डॉलर के शिखर से गिरकर 481.9 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • COVID-19 महामारी के परिणामस्वरूप विदेशी निवेशक उभरते बाज़ारों से निवेश को बाहर खींच रहे हैं।
  • ऐसा अनुमान है कि उन्होंने भारतीय बाजारों से करीब 9 बिलियन डॉलर की रकम निकाली है, जिससे रुपये के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है। 
  • विदेशी मुद्रा भंडार में आगे और तेज़ी से कमी होने की आशंका है, क्योंकि प्रमुख निवेशक प्रमुख वित्तीय बाजारों से पैसा निकालकर अमेरिकी ट्रेज़री जैसे सुरक्षित स्थानों में निवेश कर रहे हैं।

स्रोत: द हिंदू

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