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PM 2.5 में नाइट्रोजन कण का सबसे बड़ा हिस्सा : अध्ययन

  • 09 Jun 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

भारत में नाइट्रोजन प्रदूषण के पहले मात्रात्मक मूल्यांकन (quantitative assessment) रिपोर्ट के अनुसार PM 2.5 में नाइट्रोजन कणों का सबसे बड़ा हिस्सा होता है जो कार्डियोवैस्कुलर (हृदय संबंधी) रोगों और श्वसन से संबंधी बीमारियों से निकटता से जुड़ा है।

नाइट्रोजन उत्सर्जन के कारण व प्रभाव 

  • अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर भारत के कई हिस्सों में शीतकालीन फसल अवशेषों को जलाने से उत्पन्न धुआँ नाइट्रोजन उत्सर्जन का महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता माना गया है|
  • यह प्रतिवर्ष 240 मिलियन किलोग्राम नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx: नाइट्रोजन ऑक्साइड के लिये एक सामान्य शब्द है जो वायु प्रदूषण, अर्थात् नाइट्रिक ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के लिये सर्वाधिक प्रासंगिक है) और लगभग 7 मिलियन किलोग्राम नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का योगदान देता है।
  • भारतीय नाइट्रोजन आकलन, भारतीय पर्यावरण में प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन के स्रोतों, प्रभावों, प्रवृत्तियों और भविष्य के परिदृश्यों का आकलन करता है|
  • यद्यपि कृषि अवशेष नाइट्रोजन उत्सर्जन में सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बने हुए हैं, लेकिन नाइट्रोजन ऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड के गैर-कृषि उत्सर्जन भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं इसका कारण है बिजली, परिवहन, उद्योग और जीवाश्म ईंधन का जलना| 
  • 1991 से 2001 तक भारतीय NOx का उत्सर्जन 52% था जो 2001 से 2011 तक 69% पर पहुँच गया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में कोयले, डीजल और अन्य ईंधन दहन स्रोतों से NOx उत्सर्जन सालाना 6.5% बढ़ रहा है।
  • उर्वरक के रूप में  नाइट्रोजन कृषि के लिये मुख्य इनपुट में से एक है, लेकिन खाद्य श्रृंखला के साथ अक्षमता का मतलब है कि 80% नाइट्रोजन बर्बाद हो जाता है जो वायु तथा जल प्रदूषण के अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान देता है और  इससे मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिक तंत्र और आजीविका के लिये खतरा पैदा होता है।
  • कृषि योग्य मिट्टी ने 2010 में भारत से 70% से अधिक N2O उत्सर्जन में योगदान दिया, इसके बाद अपशिष्ट जल (12%) और आवासीय एवं वाणिज्यिक गतिविधियों (6%) का योगदान है।
  • 2002 से  N2O ने भारतीय कृषि की दूसरी सबसे बड़ी ग्रीन हाउस गैस (GHG) के रूप में मीथेन का स्थान ले लिया है।
  • रासायनिक उर्वरक (जिसमें 82% से अधिक यूरिया होता है) भारत में सभी कृषि संबंधी N2O उत्सर्जन में 77% से अधिक योगदान देता है, जबकि गोबर की खाद तथा  वानस्पतिक खाद (compost) का योगदान N2O उत्सर्जन में 23% है|
  • अधिकांश उर्वरक (70% से अधिक) की खपत अनाज, विशेष रूप से चावल और गेहूँ के उत्पादन में की जाती है, जो भारत में N2O उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार है। 

मवेशी उत्सर्जन 

  • 80% अमोनिया उत्पादन के लिये मवेशी ज़िम्मेदार हैं, हालाँकि स्थिर जनसंख्या के कारण उनकी वार्षिक वृद्धि दर 1% है।
  • भारत विश्व स्तर पर अमोनिया उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है जो NOx उत्सर्जन का लगभग दोगुना है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धि की वर्तमान दर के आधार पर  NOx उत्सर्जन अमोनिया उत्सर्जन से अधिक होगा और 2055 तक यह 8.8 टन तक पहुँच जाएगा|
  • दूसरी ओर कुक्कुट उद्योग ने 6% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, 2016 में 0.415 टन के प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन यौगिकों का उत्सर्जन दर्ज किया है। इसके 2030 तक 1.089 टन तक बढ़ने की उम्मीद है।
  • विशेषज्ञों का सुझाव है कि कृषि के लिये अपशिष्ट जल पोषक तत्त्व की  रिकवरी / रीसाइक्लिंग से सीवेज और अपशिष्ट जल से N2O उत्सर्जन को 40% तक घटाया जा सकता है।
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