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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हमास का नया रूप - कितना प्रभावी ?

  • 05 May 2017
  • 5 min read

संदर्भ 

हमास का नया राजनीतिक चार्टर इसकी पहले की विरोधाभासी स्थितियों से कुछ अलग है जो इस बात की ओर संकेत करता है कि इस्लामिक आंदोलन इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष का यथार्थ दृष्टिकोण लेने की इच्छाशक्ति रखता है। ध्यातव्य है कि कई वर्षों से हमास की विरोधी फिलिस्तीनी समूहों तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदायों द्वारा आलोचना की जाती रही है। ये सभी इसके वास्तविक चार्टर तथा गतिविधियों पर सदैव ही प्रश्नचिन्ह लगाते रहे हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • इससे पहले भी हमास ने इज़राइल के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की थी परन्तु इसके लिये इसका वास्तविक चार्टर चिंता का विषय बना हुआ था। उदाहरण के लिये, इसमें फिलिस्तीन के प्रत्येक स्थान पर अल्लाह के नाम को जपने की प्रतिज्ञा ली गई थी तथा इज़राइल के विलोपन की भी मांग की गई थी तथा इसमें यहूदी लोगों के खिलाफ लड़ाई करने का भी संकेत दिया गया था।
  • यद्यपि इस नए चार्टर ने मौजूदा चार्टर का स्थान नहीं लिया है तथापि इसके मुख्य उद्देश्य पूर्व के चार्टर के विपरीत हैं । वर्तमान में हमास का कहना है कि यह यहूदी लोगों से नहीं बल्कि जियोनिस्ट लोगों से लड़ रहा है क्योंकि उन्होंने फिलिस्तीन पर अधिकार कर लिया है। 
  • चार्टर में यह भी संकेत दिया गया है कि हमास कोई ऐसा क्रान्तिकारी समूह नहीं है जो अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप करे। इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया है कि यह महज फिलिस्तीनियों के अधिकारों के लिये लड़ रहा है। सबसे अधिक महत्त्पूर्ण यह है कि हमास अब फिलिस्तीनियों के राष्ट्रनिर्माण के लिये उन्हें समर्थन देने को भी तैयार है।
  • हालाँकि, इज़राइल ने इस चार्टर को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि हमास विश्व को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहा है। यदि हमास अपना क्रान्तिकारी रवैया छोड़कर शांति की ओर रुख कर रहा है तो इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नज़रंदाज नहीं कर सकता है। 
  • पहली बार 1967 की सीमारेखा को स्वीकार कर हमास ने इज़राइल के अस्तित्व को स्वीकार किया है। परन्तु यह इतनी जल्दी इज़राइल को मान्यता नहीं दे सकता अथवा सशस्त्र विद्रोह के लिये अपने अधिकारों का त्याग नहीं कर सकता। ये दोनों ही कदम हमास के लिये अलोकप्रिय साबित होंगे परन्तु इसकी वर्तमान रवैये से यह पता चलता है कि वह समझौते के लिये तैयार है।
  • इन परिवर्तनों से हमास और फ़तह के मध्य अंतर, अन्य बड़े फिलिस्तीनी आंदोलन जो पश्चिमी किनारे पर हुआ करते थे तथा हमास के इज़राइल के प्रति दृष्टिकोण में सुधार होगा। काफी समय से फ़तह और हमास के असमान दृष्टिकोण, उनके मध्य हिंसक शक्ति संघर्ष ने फिलिस्तीनी राज्य की मांग को दबाए रखा है। 
  • हाल ही के कुछ वर्षों में इनके कार्यों के विरुद्ध यूनाइटेड फ्रंट का निर्माण करने हेतु इन दोनों दलों को नज़दीक लाने के प्रयास किये गए हैं। यह देखना अत्यधिक रोचक होगा कि क्या हमास के द्वारा सुझाए गए नए तरीके से इन संघर्षों में न्यूनता आएगी?

हमास क्या है?

  • हमास को अरबी भाषा में हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया या इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
  • यह फ़िलिस्तीनी सुन्नी मुसलमानों की एक सशस्त्र संस्था है जो फ़िलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण की मुख्य पार्टी है।
  • हमास का गठन 1987 में मिस्र तथा फ़िलिस्तीन के मुसलमानों ने मिलकर किया था। इसका उद्देश्य क्षेत्र में इज़राइली प्रशासन के स्थान पर इस्लामिक शासन की स्थापना करना था।
  • हमास का प्रभाव गाज़ा पट्टी पर अधिक है।
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