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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

रूस का ‘नौका’ मॉड्यूल

  • 28 Jul 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, ‘नौका’ मॉड्यूल

मेन्स के लिये 

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ (ISS) में ‘नौका’ नाम की अपनी सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला लॉन्च की है।

‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ (ISS) 

  • ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ एक निवास योग्य कृत्रिम उपग्रह है, जो कि पृथ्वी की निचली कक्षा में सबसे बड़ी मानव निर्मित संरचना है।
  • यह पाँच अंतरिक्ष एजेंसियों: नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन), रॉसकॉसमॉस (रूस), जाक्सा (जापान), ESA (यूरोप) और CSA (कनाडा) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
  • एक अंतरिक्ष स्टेशन मुख्य रूप से एक बड़ा अंतरिक्षयान है, जो लंबी अवधि के लिये पृथ्वी की निम्न कक्षा में रहता है।
  • यह अंतरिक्ष में एक बड़ी प्रयोगशाला की तरह है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक परीक्षण करने और हफ्तों या महीनों तक रहने की अनुमति देता है।

अन्य अंतरिक्ष स्टेशन

  • चीन ने अपने स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन का एक मानव रहित मॉड्यूल ‘तियानहे’ लॉन्च किया है, जिसके वर्ष 2022 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
  • भारत वर्ष 2030 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिससे भारत अमेरिका, रूस और चीन की एक विशिष्ट सूची में शामिल हो जाएगा।

प्रमुख बिंदु

नौका मॉड्यूल: 

  • रूसी भाषा में ‘नौका’ का अर्थ विज्ञान है। यह अंतरिक्ष में रूस की सबसे महत्त्वाकांक्षी अनुसंधान सुविधा है और इसमें ऑक्सीजन जनरेटर, रोबोट कार्गो क्रेन, एक शौचालय तथा रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के लिये बिस्तर शामिल है।
  • इसे एक प्रोटॉन रॉकेट (रूस में रॉकेट समूह- रूस की अंतरिक्ष सूची में सबसे शक्तिशाली) का उपयोग करके कक्षा में भेजा गया है और इसे ISS तक पहुँचने में आठ दिन लगेंगे।
    • इस दौरान इंजीनियर और फ्लाइट कंट्रोलर अंतरिक्ष में नौका का परीक्षण करेंगे तथा अंतरिक्ष स्टेशन पर इसके आगमन की तैयारी करेंगे।
  • यह ‘पर्स’ की जगह लेगा और महत्त्वपूर्ण ‘ज़्वेज़्दा मॉड्यूल’ से जुड़ा होगा जो सभी अंतरिक्ष स्टेशन को जीवन समर्थन प्रणाली प्रदान करता है एवं रूसी कक्षीय खंड (ROS) के संरचनात्मक व कार्यात्मक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
    • ‘पर्स’ सितंबर 2001 से अंतरिक्ष स्टेशन का हिस्सा रहा है, जो रूसी अंतरिक्षयान के लिये ‘डॉकिंग पोर्ट’ और रूसी स्पेसवॉक के लिये एक ‘एयरलॉक’ के रूप में कार्य कर रहा है।

महत्त्व:

  • यह ISS के रहने योग्य आयतन को बढ़ाकर 70 घन मीटर कर देगा। इसका प्रयोग अंतरिक्ष यात्री अतिरिक्त जगह का प्रयोग करने और कार्गो स्टोर करने के लिये करेंगे।
  • नौका भविष्य के संचालन के लिये एक नई ‘साइंस फैसिलिटी’, डॉकिंग पोर्ट और स्पेसवॉक एयरलॉक के रूप में काम करेगी।
  • 20 से अधिक वर्षों से लोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों के तहत अनुसंधान कर रहे हैं जो पृथ्वी पर संभव नहीं है, यह मॉड्यूल किये जा रहे शोध कार्यों को बढ़ाने में मदद करेगा।
    • जीव विज्ञान, मानव शरीर क्रिया विज्ञान, भौतिकी और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे विभिन्न विषयों में अनुसंधान किया जा रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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