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भारतीय समाज

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति

  • 22 Nov 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में आत्महत्या की स्थिति, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति, भारत में आत्महत्याओं की स्थिति, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने "राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति" की घोषणा की है।

  • यह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जिसमें वर्ष 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10% की कमी लाने के लिये समयबद्ध कार्ययोजना और बहु-क्षेत्रीय सहयोग शामिल है।
  • यह रणनीति आत्महत्या की रोकथाम के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र रणनीति के अनुरूप है।

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति:

  • यह रणनीति मोटे तौर पर अगले तीन वर्षों के भीतर आत्महत्या के लिये प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रयास करती है।
  • यह मनोरोग बाह्य रोगी विभाग स्थापित करेगा जो अगले पाँच वर्षों के भीतर सभी ज़िलों में ज़िला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम सेवाएँ प्रदान करेगा।
  • इसका उद्देश्य अगले आठ वर्षों के भीतर सभी शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक कल्याण पाठ्यक्रम को एकीकृत करना है।
  • यह ज़िम्मेदार मीडिया रिपोर्टिंग और आत्महत्या के साधनों तक पहुँच को प्रतिबंधित करने हेतु दिशा-निर्देश विकसित कर आत्महत्याओं को रोकने की परिकल्पना करता है।

भारत में आत्महत्याओं की स्थिति:

  • राष्ट्रीय आँकड़े:
  • दैनिक वेतनभोगी:
    • वर्ष 2021 में आत्महत्या पीड़ितों के बीच दैनिक वेतनभोगी सबसे बड़ा पेशेवर समूह बना रहा, जो 42,004 आत्महत्याओं (25.6%) के लिये ज़िम्मेदार है।
    • आत्महत्या से दिहाड़ी मज़दूरों की मृत्यु का हिस्सा पहली बार चतुर्थांश आँकड़े को पार कर गया है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्याओं की संख्या में वर्ष 2020 से वर्ष 2021 तक 7.17% की वृद्धि हुई।
      • हालाँकि इस अवधि के दौरान दैनिक वेतनभोगी समूह में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 11.52% की वृद्धि हुई।

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  • कृषि क्षेत्र:
    • कुल दर्ज आत्महत्याओं में "कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्तियों" की कुल हिस्सेदारी वर्ष 2021 के दौरान 6.6% थी।
  • व्यवसाय के अनुसार वितरण:
    • उच्चतम वृद्धि "स्व-नियोजित व्यक्तियों" द्वारा दर्ज की गई जो कि 16.73% थी।
    • "बेरोज़गार व्यक्तियों" का समूह एकमात्र ऐसा समूह था जिसने आत्महत्याओं में गिरावट दर्ज की, जो वर्ष 2020 में 15,652 से 12.38% घटकर वर्ष 2021 में 13,714 हो गई।

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  • आत्महत्या का कारण:
    • 32.2%: पारिवारिक समस्याओं के कारण (विवाह से संबंधित समस्याओं के अलावा)।
    • 4.8%: विवाह से संबंधित समस्याओं के कारण।
    • 18.6%: बीमारी की समस्याओं के कारण।
  • राज्य:
    • वर्ष 2021 में रिपोर्ट की गई आत्महत्याओं की संख्या के मामले में महाराष्ट्र देश में सबसे ऊपर है, इसके बाद तमिलनाडु और मध्य प्रदेश हैं।
    • वर्ष 2021 में देश भर में दर्ज आत्महत्याओं की कुल संख्या में महाराष्ट्र का योगदान 13.5% था।
  • केंद्रशासित प्रदेश:
    • दिल्ली में सबसे अधिक 2,840 आत्महत्याएँ दर्ज की गईं।

आत्महत्याओं को कम करने के लिये भारत की क्या पहल है?

  • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017:
    • MHA 2017 का उद्देश्य मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है।
  • किरण:
    • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचारों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना करने वाले लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन "किरण (KIRAN)" शुरू की है।
  • मनोदर्पण पहल:
    • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) (अब शिक्षा मंत्रालय) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मनोदर्पण पहल लॉन्च की। इसका उद्देश्य छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को कोविड-19 के समय में उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB):

  • NCRB, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है, की स्थापना वर्ष 1986 में गृह मंत्रालय के तहत अपराध और अपराधियों संबंधी सूचना के भंडार के रूप में कार्य करने के लिये की गई थी ताकि अपराधियों के जाँचकर्त्ताओं को अपराध एवं अपराधी की कड़ी को समझने में सहायता मिल सके।
  • इसकी स्थापना राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय की टास्क फोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
  • NCRB देश भर में अपराध का विस्तृत वार्षिक आँकड़ा ('भारत में अपराध' रिपोर्ट) प्रकाशित करता है।
    • वर्ष 1953 से प्रकाशित होने के बाद यह रिपोर्ट देश भर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को समझने में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है।

स्रोत: हिंदू

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