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राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण

  • 12 May 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority- NFRA) कंपनियों (पब्लिक इंटरेस्ट एंटिटीज़) और ऑडिटरों का एक सत्यापित एवं सटीक डेटाबेस तैयार करने की प्रक्रिया में है जो इसके नियामकीय दायरे में आते हैं।

  • इस संबंध में NFRA भारत में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs- MCA) के कॉरपोरेट डेटा प्रबंधन (Corporate Data Management- CDM) प्रभाग और तीन मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के साथ जुड़ा हुआ है।

प्रमुख बिंदु:

  • गठन: भारत सरकार द्वारा NFRA का गठन वर्ष 2018 में कंपनी अधिनियम की धारा 132 के तहत किया गया था। यह एक लेखांकन/ऑडिट नियामक संस्था है।
  • पृष्ठभूमि: पंजाब नेशनल बैंक सहित विभिन्न कॉर्पोरेट घोटालों में लेखाकारों तथा इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की कथित खामियों के जाँच के दायरे में आने के बाद NFRA के गठन का निर्णय लिया गया था।
  • संगठन: इसमें एक अध्यक्ष होता है जो लेखाकर्म, लेखांकन, वित्त अथवा विधि में विशेषज्ञता रखता हो तथा इसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। ऐसे ही अन्य सदस्य भी शामिल होते हैं जिनकी संख्या 15 से अधिक नहीं होनी चाहिये।
  • प्रकार्य और कर्त्तव्य
    • केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के लिये लेखाकर्म और लेखापरीक्षा नीतियों तथा कंपनियों द्वारा अपनाए जाने वाले मानकों की अनुशंसा करना;
    • लेखाकर्म मानकों और लेखापरीक्षा मानकों को लागू करना तथा इनके अनुपालन की निगरानी करना;
    • ऐसे मानकों सहित अनुपालन सुनिश्चित करने वाले व्यवसायों की सेवा की गुणवत्ता का पर्यवेक्षण करना;
    • सार्वजनिक हित की रक्षा करना।
  • शक्तियाँ:
    • यह पब्लिक इंटरेस्ट एंटिटीज़ के रूप में नामित कंपनियों और निकायों के निम्नलिखित वर्गों से संबंधित जाँच कर सकता है:
      • ऐसी कंपनियाँ जिनकी प्रतिभूतियाँ भारत में या भारत के बाहर किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं।
      • ऐसी असूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनियाँ जिनकी प्रदत्त पूंजी 500 करोड़ रुपए से कम न हो अथवा वार्षिक कारोबार 1,000 करोड़ रुपए से कम न हो या तत्काल पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के 31 मार्च तक कुल बकाया ऋण, डिबेंचर और जमाएँ 500 सौ करोड़ रुपए से कम न हो;
      • बीमा कंपनियाँ, बैंकिंग कंपनियाँ, बिजली उत्पादन अथवा आपूर्ति से जुड़ी कंपनियाँ।
    • पेशेवर या अन्य कदाचार सिद्ध होने पर इसे निम्नानुसार ज़ुर्माना लगाने का आदेश देने की शक्ति प्राप्त है-
      • व्यक्तियों के मामले में एक लाख रुपए से कम नहीं, लेकिन यह राशि प्राप्त होने वाली फीस के पाँच गुना तक बढ़ सकती है; तथा
      • फर्मों के मामले में दस लाख रुपए से कम नहीं, लेकिन इस राशि प्राप्त फीस के दस गुना तक वृद्धि की जा सकती है।
  • इसके खाते की निगरानी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General- CAG) द्वारा की जाती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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