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नीति आयोग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराने पर ही प्राप्त होगा ‘अल्पसंख्यक दर्जा’

  • 15 May 2017
  • 4 min read

संदर्भ
वे शैक्षिक ट्रस्ट और संस्थाएँ जो ‘अल्पसंख्यक दर्जा’(minority status) प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें अब नीति आयोग के साथ स्वयं का पंजीकरण एक गैर-सरकारी संगठन(NGO) के रूप में होगा| इनमें सरकारी सहायता प्राप्त करने वाले अथवा न करने वाले संस्थान दोनों शामिल हैं|

प्रमुख बिंदु

  • नीति आयोग के पोर्टल ‘दर्पण’ (Darpan) में पंजीकरण कराने का तात्पर्य यह है कि ट्रस्ट के सभी वित्तीय लेनदेन और पदाधिकारी सरकार की निगरानी में होंगे क्योंकि इसके लिये सभी संस्थाओं और पदाधिकारियों को अपने पैन और आधार के विवरण को भी नीति आयोग के पोर्टल में पंजीकृत कराना होगा|
  • हालाँकि ‘अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं के लिये राष्ट्रीय आयोग’(National Commission for Minority Educational Institutions) ने कहा है कि यह नियम ऐसी संस्थाओं पर लागू नहीं होगा जिन्हें निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित किया जाता है| अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त होने के पश्चात विद्यालय और कॉलेज आरक्षण के दायरे में आ जाते हैं तथा उनके मामलों में सरकार का हस्तक्षेप भी सीमित ही होता है|
  • नए नियम के अनुसार, सभी आवेदकों को नीति आयोग के पोर्टल ‘एनजीओ दर्पण’(NGO Darpan) में ट्रस्ट अथवा संस्थाओं के विशेष पहचान पत्र को जमा कराना होगा| केवल निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित संस्थाओं के लिये इसकी आवश्यकता नहीं होगी| 
  • ट्रस्ट अथवा संस्थाओं का यह विशिष्ट पहचान पत्र एनजीओ की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरणों से मिलना चाहिये|
  • अल्पसंख्यक दर्जे का प्रमाण पत्र केवल आवेदक द्वारा उसके विशिष्ट पहचान पत्र को उपलब्ध कराए जाने के पश्चात ही दिया जाएगा|
  • इसकी स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी तथा वर्तमान समय तक आयोग 12,954 विद्यालयों तथा कॉलेजों को अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा प्रदान कर चुका है|
  • पिछले वर्ष सरकार ने एनजीओ और स्वयं सेवी संगठनों के लिये यह अनिवार्य कर दिया है कि वे नीति आयोग के पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराएँ ताकि उन्हें मंत्रालय से अनुदान प्राप्त हो सके| हालाँकि, सरकारी धन प्राप्त न करने वाली संस्थाओं और एनजीओ को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है|

क्या है संविधान का अनुच्छेद 29?
इस अनुच्छेद के अनुसार, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक अपनी पसंद के शैक्षिक संस्थान की स्थापना तथा उसका संचालन कर सकते हैं| इसके अतिरिक्त, ऐसे ट्रस्ट अथवा संस्थाएँ जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय शामिल होते हैं, वे भी अल्पसंख्यक संस्थान की स्थापना कर सकते हैं|

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