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भारतीय अर्थव्यवस्था

मॉरीशस लीक

  • 26 Jul 2019
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

स्विस लीक्स, पनामा पेपर्स लीक्स और पैराडाइज़ पेपर्स के बाद मॉरीशस में 200,000 से अधिक ईमेल, अनुबंधों (Contracts) और बैंक दस्तावेज़ों के लीक होने से यह पता चला है कि विभिन्न कॉर्पोरेट सेक्टर्स ने मॉरीशस में निवेश करके भारी मात्रा में कर-चोरी की है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके अंतर्गत कई कॉर्पोरेट कंपनियों ने अपनी सहयोगी बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को कैपिटल गेन टैक्स के अंतर्गत इसकी सुविधा पहुँचाई, जिससे भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बुरी तरह प्रभावित हुआ है|
  • 18 देशों कि संयुक्त इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (International Consortium of Investigative Journalists) द्वारा एक ऑफशोर स्पेशलिस्ट फर्म Conkers Dill & Pearman द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों का विश्लेषण किया।

Conkers Dill & Pearman क्या है?

  • वर्ष 1998 में बरमूडा-निवासी वित्तीय विश्लेषक रोज़र क्रॉम्बी ने अपनी पुस्तक में कंपनी के कॉर्पोरेट और वाणिज्यिक कानून पर ज़ोर देते हुए फुल सर्विस लॉ फर्म के रूप में वर्णित किया तथा कंपनियों एवं व्यक्तियों को संपत्तियों के प्रबंधन के बारे में विश्वसनीयता पूर्वक प्रबंधन की पेशकश की।
  • इस फर्म के तीन संस्थापक- जेम्स रेजिनाल्ड कॉनयेर्स (James Reginald Conyers), निकोलस बेयर्ड डिल (Nicholas Bayard Dill) और जेम्स यूजीन पियरमैन (James Eugene Pearman) बरमूडा में प्रतिष्ठित व्यक्ति थे और सार्वजनिक पदों पर कार्यरत थे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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