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महिला बैंक का एसबीआई में होगा विलय

  • 17 Mar 2017
  • 3 min read

समाचारों में क्यों?

वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को गति देने के क्रम में जल्द ही भारतीय महिला बैंक का देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में विलय कर दिया जाएगा। विदित हो कि बैंकों के विलय के मामले को ‘बैंक्स बोर्ड ब्यूरो’ (बीबीबी) की सहमति से आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है और यहाँ सरकार का काम सिर्फ दो या इससे अधिक बैंकों को विलय के सन्दर्भ में बातचीत के लिये एक मंच पर लाना है। विलय का फैसला बैंकों को ही करना होगा।

गौरतलब है कि एसबीआई ने भारतीय महिला बैंक के खुद में विलय के लिये मंजूरी मांगी थी। इस प्रस्ताव के तहत एसबीआई इन बैंकों का कारोबार, परिसंपत्तियों तथा देनदारियों सहित का अधिग्रहण करना चाहता है। इस कदम का उद्देश्य बेहतर तरीके से कामकाज के संचालन के साथ-साथ पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी है।

क्या है बैंक्स बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी):

गौरतलब है कि सरकार ने फरवरी 2016 में “बैंक्स बोर्ड ब्यूरो” बीबीबी बनाया और उसे सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में शीर्ष पदों के लिये उम्मीदवार तय करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। बाद में सरकार ने बैंकों के लिये पूंजी जुटाने की योजना तैयार करने के अलावा व्यवसायिक रणनीति तैयार करने का दायित्व भी बीबीबी को सौंप दिया था। इसके वर्तमान अध्यक्ष विनोद राय  हैं।

भारतीय महिला बैंक

भारतीय महिला बैंक लिमिटेड महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के स्वर्णिम सपने के साथ खोला गया भारत में बैंकिंग उद्योग में अपनी तरह का पहला बैंक है। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2013 को महिला बैंक को कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया। 19 नवम्बर 2013 को मुंबई महानगर में बैंक का उदघाटन हुआ, वर्तमान में बैंक की देशभर में 85 शाखाएँ हैं।

भारतीय महिला बैंक का उद्देश्य महिलाओं में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना, महिलाओं की आजीविका के लिये सहायक बनना, समावेशी विकास को सुगम बनाना, महिलाओं की संपत्ति के स्वामित्व को बढ़ावा देना और महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। साथ ही महिला बैंक, बैंकिंग एवं वित्तीय उत्पादों, सेवाओं तथा सुविधाओं को बिना किसी परेशानी के महिलाओं को उपलब्ध कराता है।

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