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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चंद्र विज्ञान कार्यशाला 2021 : इसरो

  • 11 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चंद्रयान-3, GSLV Mk-III, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

मेन्स के लिये:

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के प्रमुख अन्वेषण, चंद्रयान मिशन का वैश्विक परिदृश्य में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) द्वारा चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के प्रचालन के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर चंद्र विज्ञान कार्यशाला 2021 का आयोजन कियागया था।

  • इसरो के अनुसार, चंद्रयान-2 कक्षीय-यान नीतभारों (Orbiter Payloads) के अवलोकन से खोज-श्रेणी (Discovery-class) के परिणाम मिले हैं।
  • चंद्रयान-3 मिशन को अगले वर्ष के अंत में लॉन्च करने की संभावना व्यक्त की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • चंद्रयान-2 के बारे में :

    • चंद्र अन्वेषण मिशन: यह चंद्र अन्वेषण उपग्रहों की भारतीय शृंखला का दूसरा अंतरिक्षयान है।
      • इसमें एक ऑर्बिटर, जिसके लैंडर का नाम विक्रम था तथा चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र का पता लगाने के लिये प्रज्ञान नामक रोवर शामिल था
    • लॉन्च: इसे 22 जुलाई, 2019 को GSLV Mk-III द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था।
      • इसे अगस्त, 2019 में चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था।
      • सितंबर 2019 में ऑर्बिटर और लैंडर मॉड्यूल को दो स्वतंत्र उपग्रहों के रूप में अलग किया गया था।
    • लैंडर की विफलता: विक्रम लैंडर इसरो द्वारा पूर्व निर्धारित योजना के अनुरूप ही उतर रहा था और सितंबर 2019 में चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी. की ऊँचाई तक इसके सामान्य प्रदर्शन को देखा गया था।
      • इसके बाद लैंडर से संपर्क टूट गया तथा लैंडर की हार्ड लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर हुई।
        • छह पहियों वाले रोवर (प्रज्ञान) को लैंडर (विक्रम) के अंदर स्थापित किया गया था।
      • यदि एक सफल सॉफ्ट-लैंडिंग हो जाती तो भारत, तत्कालीन सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाता।
    • ऑर्बिटर की भूमिका: चंद्रमा के चारों ओर अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित ऑर्बिटर अपने आठ उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके ध्रुवीय क्षेत्रों में चंद्रमा के विकास और खनिजों एवं पानी के अणुओं के मानचित्रण को साझा करेगा।
      • सटीक प्रक्षेपण और अनुकूलित मिशन प्रबंधन ने नियोजित एक वर्ष के बजाय ऑर्बिटर के लिये लगभग सात वर्षों का लंबा प्रचालन सुनिश्चित किया है।
  • चंद्रयान-2 ऑर्बिटर द्वारा की गई खोजें:

    • आर्गन-40 की खोज: मास स्पेक्ट्रोमीटर चंद्र एटमाॅस्फेरिक कंपोज़िशनल एक्सप्लोरर 2 (CHACE 2) ने ध्रुवीय कक्षीय प्लेटफॉर्म से चंद्र तटस्थ एक्सोस्फीयर की संरचना का पहला इन-सीटू अध्ययन किया।
      • इसने चंद्रमा के मध्य और उच्च अक्षांशों पर आर्गन- 40 की परिवर्तनशीलता का पता लगाया तथा उसका अध्ययन किया, जो चंद्र के इंटीरियर के मध्य और उच्च अक्षांशों में रेडियोजेनिक गतिविधियों को दर्शाता है।
    • क्रोमियम व मैंगनीज़ की खोज: चंद्रयान -2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास) पेलोड ने रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम और मैंगनीज़ के मामूली तत्त्वों का पता लगाया है।
    • सूर्य के माइक्रोफ्लेयर्स का अवलोकन: क्वाइट-सन पीरियड (Quiet-Sun Period) के दौरान सूर्य के माइक्रोफ्लेयर का अवलोकन, जो कि सूर्य की कोरोनल हीटिंग से संबंधित महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करता है, सोलर एक्स-रे मॉनिटर (XSM) पेलोड द्वारा संपन्न किया गया।
    • हाइड्रेशन सुविधाओं की खोज: चंद्रयान -2 ने अपने इमेजिंग इंफ्रा-रेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS) पेलोड [जिसने चंद्र की सतह पर हाइड्रॉक्सिल (Hydroxyl) और पानी-बर्फ (Water-Ice) के स्पष्ट उपस्थिति का पता लगाया] के साथ चंद्रमा कीजलयोजन विशेषताओं का पहली बार स्पष्ट पता लगाया।
    • उपसतह पर जल-बर्फ की खोज: दोहरी आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार (DFSAR) उपकरण ने उपसतह जल-बर्फ की उपस्थिति का पता लगाया और ध्रुवीय क्षेत्रों में चंद्र रूपात्मक विशेषताओं की उच्च रिज़ॉल्यूशन मैपिंग की।
    • चंद्रमा की इमेजिंग: अपने ऑर्बिटर हाई रेज़ोल्यूशन कैमरा (OHRC) के द्वारा "बेस्ट-एवर" रेज़ोल्यूशन के साथ 100 किमी चंद्र कक्षा से चंद्रमा की इमेजिंग भी प्राप्त की।
    • भूवैज्ञानिक निष्कर्ष: चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरा (TMC 2), जो वैश्विक स्तर पर चंद्रमा की इमेजिंग कर रहा है, ने चंद्र क्रस्टल शॉर्टिंग और ज्वालामुखीय गुंबदों की पहचान के दिलचस्प भूगर्भिक साक्ष्य प्राप्त किये हैं।
    • चंद्रमा के आयनमंडल का अध्ययन: चंद्रयान-2 पर दोहरे आवृत्ति रेडियो विज्ञान (DFRS) प्रयोग ने चंद्रमा के आयनमंडल का अध्ययन किया है, जो चंद्र बाह्यमंडल की तटस्थ प्रजातियों के सौर फोटो-आयनीकरण द्वारा उत्पन्न होता है।

नोट:

  • 'प्रदान' पोर्टल भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा सेंटर (ISSDC) द्वारा होस्ट किया जाता है, जो इसरो मिशन के लिये डेटा संग्रह का नोडल केंद्र है।
  • PRADAN पोर्टल के माध्यम से व्यापक सार्वजनिक उपयोग के लिये चंद्रयान-2 मिशन का डेटा जारी किया जा रहा है।


स्रोत: द हिंदू

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