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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-जापान इस्पात विवाद

  • 05 Apr 2017
  • 4 min read

समाचारों में क्यों ?
हाल ही में जापान ने डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) से अनुरोध किया है कि वह भारत-जापान इस्पात विवाद की सुनवाई तय समय से पहले करने पर विचार करे, जिसका कि भारत ने पुरजोर विरोध किया है| विदित हो कि जापान ने इस्पात के व्यापार के संबंध में भारत के साथ हितों के टकराव को लेकर डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) से इसका हल निकलने को कहा है| आमतौर पर बातचीत से विवाद हल करने वाले जापान की ओर से उठाया गया यह कदम सबको हैरान कर रहा है|

क्या भारत-जापान इस्पात विवाद ?
जापान का आरोप है कि पिछले एक साल से भारत में उसका इस्पात का निर्यात आधा हो गया है क्योंकि भारत ने कुछ प्रतिबंध लगा रखे हैं| गौरतलब है कि इस पूरे विवाद को दुनियाभर में व्यापार विवादों की शुरुआत का संकेत माना जा रहा है| जापान को आमतौर पर आक्रामक प्रतिक्रियाएँ करते नहीं देखा गया है, इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक यह देश विवादों को बातचीत से हल करने का पक्षधर रहा है लेकिन इस्पात जापान के वैश्विक उद्योग का अहम हिस्सा है| जापान के कुल निर्यात में इस्पात का हिस्सा 50 प्रतिशत का है|

जापान, भारत में अपने घटते लौह-इस्पात के निर्यात को लेकर चिंतित है, गौरतलब है कि भारत ने सितंबर 2015 में कुछ इस्पात उत्पादों पर 20 प्रतिशत की ड्यूटी लगा दी थी और फरवरी 2016 में उसने इस्पात के आयात के लिये एक न्यूनतम मूल्य निश्चित कर दिया ताकि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देश भारत के लौह-इस्पात उद्योग में सेंध न लगा पाएँ| इस संबंध में जापान ने डब्ल्यूटीओ से 20 दिसंबर को सलाह मांगी थी| जापान का कहना है कि भारत का कदम विश्व व्यापार संगठन के नियमों के विपरीत है और इस कारण से भारत में उसका निर्यात गिरा है|

जापान जहाँ 2015 में भारत को लौह-इस्पात का निर्यात करने वाला छठा सबसे बड़ा देश था वहीं नवंबर 2016 में यह 10वें स्थान पर आ गया था| 

निष्कर्ष
भारत ने इस्पात पर न्यूनतम आयात शुल्क इसलिये लगाया था क्योंकि चीन, जापान और कोरिया जैसे इस्पात अधिशेष वाले देशों से बाज़ार बिगाड़ने वाले मूल्य पर इस्पात का आयात सितंबर 2014 से घरेलू उद्योग के लिये चिंता का विषय बना हुआ है| भारत ने घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से संरक्षण के लिये कुछ इस्पात उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क भी लगाया है| 

दरअसल, लौह-इस्पात को लेकर दुनियाभर में व्यापारिक विवाद बढ़ रहे हैं| दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक चीन ने बेहद सस्ती कीमतों पर लौह-इस्पात का निर्यात किया है| इस कारण वियतनाम, मलेशिया और दक्षिण कोरिया ने उस पर पाबंदी लगा दी थी| नतीजतन चीन का निर्यात 2016 में 3.5 प्रतिशत तक गिर गया था| भारत भी नहीं चाहता कि विदेशों से आने वाले सस्ते इस्पात से उसका घरेलु बाज़ार पट जाए, इसी को ध्यान में रखकर भारत ने इस्पात उत्पादों पर शुल्क लगाया है|

जहाँ डब्लूटीओ के माध्यम से विवादों के निपटारे का सवाल है भारत को इसके लिये कमर कस लेना होगा क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार संधियों को तोड़ने और भारी भरकम आयात कर लगाने की बातें कही हैं उससे डब्ल्यूटीओ में व्यापारिक विवादों का सैलाब देखने को मिल सकता है|

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