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भारत की कुष्ठ रोग के विरुद्ध लड़ाई

  • 21 Oct 2025
  • 43 min read

स्रोत: पी. आई. बी.

भारत में कुष्ठ रोग की व्यापकता दर वर्ष 1981 में 57.2 प्रति 10,000 से घटकर वर्ष 2025 में 0.57 हो गई है, जो 99% की कमी दर्शाती है।

  • राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) ने अब कुष्ठ रोग के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना और रोडमैप (2023-2027) को अपनाया है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक संचरण को रोकना और शून्य स्वदेशी मामलों को प्राप्त करना है।

कुष्ठ रोग

  • कुष्ठ रोग या हैन्सन रोग, माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। यह संक्रमण तंत्रिकाओं, श्वसन तंत्र, त्वचा और आँखों को प्रभावित कर सकता है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो अल्सर, विकृति और विकलांगता का कारण बन सकता है।
  • कुष्ठ रोग अनुपचारित रोगियों के साथ निकट और निरंतर संपर्क के दौरान नाक और मुँह से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है।
  • कुष्ठ रोग एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) है जो अभी भी 120 से अधिक देशों में पाया जाता है तथा प्रतिवर्ष इसके लगभग 200,000 नए मामले सामने आते हैं।

स्वतंत्रता के बाद से भारत ने कुष्ठ रोग से कैसे लड़ाई लड़ी है?

  • प्रारंभिक प्रयास:
  • NLEP के अंतर्गत प्रमुख परिणाम::
    • उन्मूलन प्राप्ति: भारत ने 2005 में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन का दर्जा (व्यापकता दर <1/10,000) प्राप्त किया तथा इसे कायम रखा।
      • वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय स्तर पर PR 0.57 है तथा ग्रेड 2 विकलांगता घटकर 1.88 प्रति मिलियन हो गई है।
    • संचरण और विकलांगता में कमी: नए सामने आए मामलों में बाल मामलों का प्रतिशत 2014-15 में रहे 9.04% से धीरे-धीरे कम होकर 2024-25 में 4.68%  पर आ गया है
      • इसी अवधि में नये मामले का पता लगाने की दर 9.73 से घटकर 7.0 प्रति 100,000 हो गई।
      • पात्र संपर्कों के बीच पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PEP) कवरेज में सुधार हुआ और यह 92% हो गया।

  • राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) 2023-2027: NLEP एक नई रणनीति विकसित कर रहा है, जो वैश्विक कुष्ठ रोग रणनीति 2021-2030 और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन के रोडमैप के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक कुष्ठ रोग संचरण को समाप्त करना तथा कोविड-19 के प्रभाव से उबरना है।
    • यह योजना रणनीतिक हस्तक्षेपों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है और वर्ष 2027 तक कुष्ठ रोग संचरण को रोकने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सुस्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत करती है।

    कुष्ठ रोग उन्मूलन हेतु अन्य राष्ट्रीय और वैश्विक पहलें

    राष्ट्रीय स्तर पर:

    • निकुस्थ 2.0 पोर्टल: रोगियों की ट्रैकिंग और ज़िलास्तरीय निगरानी के लिये डिजिटाइज्ड प्रणाली।
    • कुष्ठ रोग हेतु राष्ट्रीय AMR सर्विलांस (2023): दवा प्रतिरोध के रुझानों पर निगरानी।
    • आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK) के साथ एकीकरण: सभी आयु समूहों के लिये स्क्रीनिंग सुनिश्चित करता है।
    • PVTG टैगिंग: प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों  को शामिल करना।
    • विशेष निगरानी: उन 121 ज़िलों के लिये जहाँ प्रचलन अधिक है (>1/10,000)।

    वैश्विक सहयोग

    • WHO: भारत-WHO सहयोग के तहत निशुल्क MDT आपूर्ति, तकनीकी सहायता और कार्यक्रम निगरानी सुनिश्चित होती है। WHO ने भारत के मॉडिफाइड लेप्रेसी एलीमिनेशन कैंपेन (MLECs), दूरदराज के क्षेत्रों के लिये विशेष कार्रवाई परियोजनाएँ और बिहार में COMBI पायलट का भी समर्थन किया।
    • विश्व बैंक: सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) और सामुदायिक आधारित हस्तक्षेपों के लिये  वित्तपोषण किया (1993-2004)।

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न. राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन में सफलता का प्रतीक है। NLEP के विकास और प्रमुख रणनीतियों पर चर्चा कीजिये, जिन्होंने कुष्ठ रोग को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने में योगदान दिया।

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

    1. कुष्ठ रोग क्या है?
    कुष्ठ रोग (हैनसेन डिज़ीज़) एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री बैक्टीरिया के कारण होता है। यह त्वचा, नसें, आँखें और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है तथा यदि इलाज न किया जाए तो घाव, विकृतियाँ व अक्षमता पैदा कर सकता है।

    2. भारत में वर्तमान कुष्ठ रोग प्रचलन दर (2025) क्या है?
    भारत की राष्ट्रीय प्रचलन दर 0.57 प्रति 10,000 है (2025); 31 राज्य और 638 ज़िले में प्रचलन दर <1/10,000 है, जो राष्ट्रीय उन्मूलन स्थिति की पुष्टि करता है।

    3. निकुस्थ 2.0 क्या है और इसका महत्त्व क्या है?
    निकुस्थ 2.0 एक डिजिटाइज्ड ICT पोर्टल (वर्ष 2023 में लॉन्च) है, जो रीयल-टाइम रोगी रिकॉर्ड, दवा स्टॉक प्रबंधन और निगरानी के लिये कार्य करता है। यह सर्विलांस और कार्यक्रम की प्रतिक्रिया क्षमता को मज़बूत बनाता है।

    4. NSP 2023-27 संचरण को समाप्त करने का लक्ष्य कैसे रखता है?
    NSP 2023-27 का फोकस वर्ष 2030 तक ट्रांसमिशन को रोकने के लिये तेज़ी से केस का पता लगाना, अधिक निगरानी, ​​कीमोप्रोफिलैक्सिस, डिजिटल उपकरणों का उपयोग, AMR निगरानी, वैक्सीन विकास और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ एकीकरण

    पर है।

    UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

    मेन्स

    प्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिये समुचित स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018)

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