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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन के साथ भारत का व्यापार

  • 18 Jan 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-चीन व्यापार, सक्रीय फार्मास्युटिकल सामग्री (APIs), आसियान, यूरोपीय संघ, पैंगोंग झील, नया सीमा कानून।

मेन्स के लिये:

चीन पर भारत की आर्थिक निर्भरता और आगे की राह।

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2021 में चीन के साथ भारत के व्यापार ने 125 बिलियन अमेरिकी के डॉलर का आँकड़े को पार कर दिया, जिसमें चीन से आयात रिकॉर्ड 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब पहुँच गया है, जो कि चीन की वस्तुओं, विशेष रूप से मशीनरी की निरंतर मांग को रेखांकित करता है।

  • यह बढ़ोतरी तब दर्ज की गई है जब पूर्वी लद्दाख में सेनाओं के बीच लंबे समय से चल रहे गतिरोध के कारण दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई है।

China

प्रमुख बिंदु

  • चीन को भारत से निर्यात:
    • हाल के वर्षों में चीन को भारत से सबसे अधिक निर्यात लौह अयस्क, कपास और अन्य कच्चे माल पर आधारित वस्तुओं का किया जाता है, क्योंकि पिछले वर्ष (2021) चीन में इन वस्तुओं की मांग में सुधार देखा गया है।
  • चीन से भारत में आयात:
    • भारत ने पिछले दो वर्षों में बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी, सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (APIs), ऑटो कंपोनेंट्स एवं ऑक्सीजन कंसंटेटर्स से लेकर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPEs) तक कई तरह की मेडिकल सामग्री का आयात किया है।
  • द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि:
    • भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार में साल-दर-साल 43% की वृद्धि चीन के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में सबसे अधिक थी।
    • चीन के शीर्ष तीन व्यापारिक भागीदारों के साथ व्यापार के आँकड़ों में आसियान के साथ 28.1% (878.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर), यूरोपीय संघ के साथ 27.5% (828.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ 28.7% (755.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई।
  • चीन के साथ व्यापार घाटा:
    • भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2021 में बढ़कर 69.38 अरब डॉलर हो गया।
    • भारत एक दशक से अधिक समय से चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर अपनी चिंताओं को उजागर करता रहा है और चीन से भारत के आईटी एवं फार्मास्यटिकल उत्पादों के लिये अपने बाज़ार खोलने का आह्वान कर रहा है।
      • जब किसी देश का कुल आयात उसके निर्यात से अधिक हो जाता है तो इस स्थिति को उसके व्यापार घाटे के रूप संदर्भित किया जाता है।   
  • चीन पर निर्भरता का मुकाबला करने के लिये उठाए गए कदम:
    • चाइनीज एप्स पर बैन।
    • भारत द्वारा कई क्षेत्रों में चीनी निवेश की जाँच में सख्ती की गई है, साथ ही सरकार द्वारा चीनी कंपनियों को 5G परीक्षण से बाहर रखने के निर्णय पर विचार किया जा रहा है।
    • सरकार ने हाल ही में चीन से टायरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, साथ ही घरेलू कंपनियों के "अवसरवादी अधिग्रहण" पर अंकुश लगाने के लिये भारत के साथ थल सीमा साझा करने वाले देशों हेतु विदेशी निवेश के लिये पूर्व मंजूरी अनिवार्य कर दी है।  यह एक ऐसा कदम है जो चीन के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को सीमित करेगा। 
    • एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट (Active Pharmaceutical Ingredients-APIs) के लिये चीन पर आयात निर्भरता में कटौती करने हेतु सरकार ने मार्च, 2020 में एक पैकेज को मंजूरी दी जिसमें देश में थोक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को उनके निर्यात के साथ बढ़ावा देने के लिये कुल  13,760 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ चार योजनाएंँ शामिल हैं। 
    • वर्ष 2020 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भारत को वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता बनाने तथा  आयात बिलों में कटौती करने हेतु 12 क्षेत्रों की पहचान की।
      • इन क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, लोहा, एल्युमीनियम और तांबा, कृषि रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक मशीनरी, फर्नीचर, चमड़ा एवं जूते, ऑटो पार्ट्स, कपड़ा,  मास्क, सैनिटाइज़र और वेंटिलेटर शामिल हैं।

भारत-चीन संबंधों में वर्तमान मुद्दे

  • पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध:
    • भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध मई 2020 में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक टकराव के बाद शुरू हुआ और दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है।
    • 12 जनवरी, 2022 को दोनों पक्षों ने कोर कमांडर-स्तरीय चर्चा के 14वें दौर हेतु शेष क्षेत्रों में गतिरोध को समाप्त करने हेतु मुलाकात की और उन्होंने शीघ्र ही दोनों देशों ने फिर से मिलने का वादा किया।
  • नया सीमा कानून:
    • भू-सीमाओं पर चीन का नया कानून नए वर्ष (2022) से लागू हो गया है।
    • यह कानून अन्य बातों के अलावा बताता है कि चीन भूमि सीमा मामलों पर संधियों का पालन करता है या संयुक्त रूप से अन्य देशों द्वारा स्वीकार किया जाता है।
  • अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों का नामकरण:
    • भारतीय राज्य पर अपने दावे के हिस्से के रूप में हाल ही में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों का नाम बदल दिया गया है।
    • भारत ने वैश्विक स्तर पर इस कदम की निंदा की और एक स्पष्ट बयान के साथ जवाब दिया कि नए नामों को निर्दिष्ट करने से कोई फायदा नहीं होगा और न ही यह तथ्य बदलेगा कि ये स्थान अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा हैं।
  • पैंगोंग झील पर पुल:
    • हाल ही में यह पाया गया कि चीन पैंगोंग त्सो पर एक नया पुल बना रहा है जो झील के उत्तर और दक्षिण किनारों के बीच व एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के करीब सैनिकों को तेज़ी से तैनात करने के लिये एक अतिरिक्त धुरी प्रदान करेगा।
      • पुल उनके क्षेत्र में है और भारतीय सेना को अपनी परिचालन योजनाओं में इसे शामिल करना होगा।

आगे की राह

  • चीनी उत्पादों पर निर्भरता को कम करने के लिये भारत को चीन से आयात का विश्लेषण करने और आगे का रास्ता विकसित करने की ज़रूरत है।
  • इसके अलावा आर्थिक जटिलता मॉडल के आधार पर भारत सरकार प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षमताओं के अनुसार उन्हें विभाजित करके उचित रोड मैप तैयार कर सकती है।

स्रोत- द हिंदू

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