इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का रणनीतिक/सामरिक पेट्रोलियम भंडार

  • 11 Mar 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने देश में रणनीतिक तेल भंडारण सुविधा के क्षेत्र में सउदी अरब को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित किया।

प्रमुख बिंदु

  • भारत सरकार ने देश में आपातकालीन कच्चे तेल का भंडार बनाने के लिये सऊदी अरब से निवेश की मांग की है जो तेल की कीमतों में अस्थिरता के खिलाफ एक बफर के रूप में कार्य करेगा और तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता के सामने आने वाले व्यवधानों को दूर करेगा।
  • दोनों देशों के मंत्रियों ने भारतीय तेल एवं गैस क्षेत्र में विभिन्न सऊदी निवेश प्रस्तावों की समीक्षा की जिसमें महाराष्ट्र में पहले संयुक्त उद्यम वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदम भी चर्चा भी शामिल हैं।
  • यह परियोजना जिसकी लागत लगभग 44 अरब डॉलर यानी करीब 3.08 लाख करोड़ रुपए है, दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी होगी।
  • महाराष्ट्र के रत्नागिरि ज़िले में स्थापित की जाने वाली इस परियोजना के लिये वहाँ की सरकार अब तक ज़मीन का प्रबंध नहीं कर पाई है।
  • हाल में दोनों देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों ने तेल शोधन एवं पेट्रोरसायन परिसर के बारे में चर्चा की। साथ ही सऊदी अरब नेशनल ऑयल कंपनी के निवेश से भारत के पश्चिमी तट पर प्रस्तावित तेल रिफाइनरी परियोजनाओं में तेज़ी लाने पर भी चर्चा की गई।

उद्देश्य

  • भारत देश में खपत किये जाने वाले प्रत्येक पाँच बैरल तेल में से चार बैरल तेल का आयात करता है जो सामान्यतः खाड़ी देशों एवं अफ्रीका से आयात किया जाता है।
  • आयातक देशों में वर्षभर होने वाले राजनीतिक जोखिम से बचने के लिये भारत अपने देश में रणनीतिक भंडार का विस्तार कर रहा है।
  • भारत में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के होने से वैश्विक जगत के राजनीतिक संकटों का भारतीय अर्थव्यस्था पर नकारात्मक प्रभाव कम होगा।

भारत में सामरिक पेट्रोलियम भंडार

  • सामरिक पेट्रोलियम भंडार कच्चे तेल से संबंधित किसी भी संकट जैसे प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या अन्य आपदाओं के दौरान आपूर्ति में व्यवधान से निपटने के लिये कच्चे तेल के विशाल भंडार होते हैं।
  • भारत के रणनीतिक कच्चे तेल के भंडार वर्तमान में विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलुरु (कर्नाटक) और पाडुर (केरल) में स्थित हैं।
  • हाल ही में सरकार ने चंदीखोल (ओडिशा) और पादुर (कर्नाटक) में दो अतिरिक्त सुविधाएँ स्थापित करने की घोषणा की थी।
  • पहली बार तेल के संकट के बाद रणनीतिक भंडार की इस अवधारणा को 1973 में अमेरिका में लाया गया था।
  • पृथ्वी की सतह के नीचे गहरी गुफाओं में भंडारण की अवधारणा को पारंपरिक रूप से एक ऊर्जा सुरक्षा उपाय के रूप में लाया गया है जो भविष्य में हमले या आक्रमण के कारण तेल की आपूर्ति में कमी आने पर सहायक हो सकती हैं।
  • यह भूमिगत भंडारण, पेट्रोलियम उत्पादों के भंडारण की अब तक की सबसे अच्छी आर्थिक विधि है, क्योंकि भूमिगत सुविधा भूमि के बड़े स्तर की आवश्यकता को नियंत्रित करती है, कम वाष्पीकरण सुनिश्चित करती है, क्योंकि गुफाओं का निर्माण समुद्र तल से बहुत नीचे किया जाता है, इसलिये कच्चे तेल का निर्वहन जहाज़ो से करना आसान होता है।

स्रोत - बिज़नेस लाइन (द हिंदू)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow