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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का ज़ोर चीन के साथ कृषि रणनीति बढ़ाने पर

  • 19 Nov 2018
  • 5 min read

संदर्भ

ज्ञातव्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चीन का व्यापार युद्ध जारी है, अतः उसके प्रभाव को कम करने के लिये चीन गैर-यू.एस. आयात के लिये उदारता प्रदर्शित कर रहा है। चूँकि इस बात की अत्यंत कम संभावना है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ संभावित संघर्ष विराम पर सहमत हों। अतः इस क्षेत्र में बेहतर निर्यात अवसर की संभावना को देखते हुए भारत का ज़ोर चीन में अपने कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने पर है।

प्रमुख बिंदु

  • यह समझते हुए कि चीन व्यापार युद्ध के मद्देनज़र अपने आयातों को विविधता प्रदान कर अपनी खाद्य सुरक्षा को पहली प्राथमिकता देगा, अतः नई दिल्ली ने बीज़िंग के साथ अपनी कृषि-कूटनीति को बढ़ा दिया है।
  • इसी संदर्भ में पिछले दो महीनों से भारतीय खाद्य और पेय उत्पादकों द्वारा चीन की राजधानी में संगोष्ठियों और रोड-शो का आयोजन किया जा रहा है।
  • असम की चाय के लिये विशेष रूप से चीन में अच्छी संभावनाएँ हैं क्योंकि यह दूध के साथ अच्छी तरह से घुल जाती है। चीन परंपरागत रूप से ग्रीन टी का बाज़ार रहा है लेकिन अब युवाओं में ब्लैक टी को पीने का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है।
  • इस वर्ष जून में चीन को शुरू किये गए चीनी निर्यात से भारत को भी लाभांश का भुगतान प्राप्त हुआ।
  • इस महीने की शुरुआत में वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था कि भारतीय चीनी मिल्स एसोसिएशन ने कॉफ्को (COFCO) के साथ 50,000 टन के पहले चीनी निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
  • चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के क़िंगदाओ शिखर सम्मेलन के दौरान जून में भारत से गैर-बासमती चावल का आयात भी शुरू किया है। अधिकारियों का कहना है कि चीन भारतीय चावल के लिये5- 2 बिलियन डॉलर का एक आकर्षक बाज़ार है।
  • इस वर्ष अक्तूबर में भारतीय चावल व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल की बीजिंग यात्रा के बाद चीन ने भारत स्थित 24 चावल मिलों के लिये अपने दरवाज़े खोल दिये। ये प्रयास चीन-यू.एस. के बीच जारी व्यापार युद्ध को देखते हुए चीन के कृषि बाज़ार का लाभ उठाने के लिये किये जा रहे हैं।

सोया स्रोत

  • यद्यपि भारतीय सोयाबीन का निर्यात स्पष्ट रूप से प्राथमिकता में है, चीन द्वारा विशेष रूप से अमेरिकी आयात पर 25% शुल्क लगाए जाने के बाद भी चीन के बड़े सोयाबीन बाज़ार में अभी तक पूर्ण रूप से सफलता नहीं प्राप्त हुई है, हालाँकि वार्ताओं के माध्यम से इसमें कुछ प्रगति देखी जा सकती है।
  • हालाँकि अन्य कृषि उत्पाद चीनी बाज़ार में अपना स्थान बनाने में सोयाबीन से आगे निकल सकते हैं। हाल ही में जय श्री टी एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने चीन सरकार के स्वामित्व वाली कॉफ़्को (COFCO) के साथ ब्लैक टी निर्यात के लिये 1 मिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये।

व्यापार असंतुलन

  • वृद्धिशील प्रगति के संकेतों के बावजूद भारत का चीन के साथ 63 अरब डॉलर का व्यापार असंतुलन खतरनाक है। फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएँ और पर्यटन के क्षेत्र में भारत का एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक पदचिह्न है, लेकिन चीन में इनकी "कमज़ोर उपस्थिति" देखी गई है।
  • इस साल की शुरुआत में भारत ने डब्ल्यूटीओ में चीन की व्यापार नीति समीक्षा के दौरान अपने प्रतिकूल व्यापार संतुलन के बारे में चिंता व्यक्त की और विशेष रूप से उन बाधाओं का हवाला दिया जिसके कारण चावल, माँस, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी उत्पादों के भारतीय निर्यातकों को चीनी बाज़ार तक पहुँचने में प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था।
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