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भारतीय अर्थव्यवस्था

अनाज निर्यात और भारत

  • 15 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट ‘अनाज: विश्व बाज़ार और व्यापार’ में कहा है कि आने वाले समय में भारत से गेहूँ और चावल का निर्यात बढ़ने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

निष्कर्ष

  • गेहूँ के निर्यात में बढ़ोतरी: हाल ही में अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने वर्ष 2020-21 के लिये भारतीय गेहूँ के निर्यात के पूर्वानुमान को 1 मिलियन टन से बढ़ाकर 1.8 मिलियन टन कर दिया था।
  • चावल के निर्यात में बढ़ोतरी: USDA के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020 में भारत के चावल निर्यात का रिकॉर्ड 14.4 मिलियन टन तक पहुँचने की उम्मीद है।

गेहूँ के निर्यात में बढ़ोतरी का कारण

  • चीन द्वारा भंडारण: गेहूँ की वैश्विक कीमतों में बदलाव का प्रमुख कारक चीन है। अपने अधिक भंडारण के कारण वह वैश्विक कीमतों को काफी अधिक प्रभावित करता है। अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के मुताबिक, चीन की इसी प्रवृत्ति के कारण भारत के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
  • वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी: वैश्विक कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के कारण भी भारत के निर्यात में वृद्धि हो रही है। उदाहरण के लिये रूस की सरकार ने उच्च घरेलू कीमतों का मुकाबला करने के लिये गेहूँ पर निर्यात कर अधिरोपित किया है। इस प्रकार बांग्लादेश  जो कि रूस से गेहूँ का एक बड़ा आयातक है, अपनी खरीद के लिये भारत जैसे अन्य विकल्प तलाश रहा है।
  • अत्यंत कम ब्याज़ दर पर प्राप्त राशि को तेज़ी से कृषि उत्पाद बाज़ारों में निवेश किया जा रहा है, जिससे उत्पादकता में भी वृद्धि हो रही है।
    • कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र अमेरिका, भारत और रूस जैसे देश अपनी ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं।
    • उदाहरण: बैंक ऑफ इंग्लैंड की वर्तमान बैंक दर 0.1 प्रतिशत है।
      • भारतीय रिज़र्व बैंक का वर्तमान रेपो रेट 4 प्रतिशत है।

चावल के निर्यात में वृद्धि का कारण:

  • सूखे का प्रभाव:
    • चावल निर्यात के क्षेत्र में भारत के निकटतम प्रतिद्वंद्वी थाईलैंड और वियतनाम को चावल की उत्पादकता में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
    • बांग्लादेश में मांग में वृद्धि।

निर्यात में वृद्धि की संभावित चुनौतियाँ:

  • भारतीय गेहूँ अभी भी सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 19,750 रुपए प्रति टन के कारण प्रतिस्पर्द्धी नहीं है। इसके अलावा पोर्ट की सफाई, बैगिंग, लोडिंग और परिवहन की अतिरिक्त लागत जैसे विभिन्न कारक निर्यात को हतोत्साहित करते हैं।
  • समाधान: उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र में MSP से कम मूल्य वाले गेहूँ का भंडारण करना, जिसकी सरकारी खरीद नहीं हो पाती है।

महत्त्व:

  • इन निर्यातों में वृद्धि का अनुमान फायदेमंद होगा क्योंकि भारत का चावल और गेहूँ का घरेलू उत्पादन वित्तीय वर्ष 2019-20 में क्रमशः 118.43 मिलियन टन और 107.59 मिलियन टन के उच्च स्तर पर पहुँच गया है।
  • सरकारी एजेंसियों द्वारा भी वित्तीय वर्ष 2019-20 में उच्च स्तरीय खरीद की गई। इस कारण से  सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ गया।

भारत का अनाज निर्यात:

  • भारत विश्व में अनाज का सबसे बड़ा निर्यातक होने के साथ-साथ सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है।
  • महत्त्वपूर्ण अनाजों में गेहूँ, धान, सोरगम, जुआर (बाजरा), जौ और मक्का शामिल हैं।
  • इससे पहले वर्ष 2008 में भारत ने घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये चावल और गेहूँ आदि के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।
    • भारत में अधिशेष उत्पादन और वैश्विक बाज़ार में भारी मांग को देखते हुए सरकार ने गेहूँ के सीमित निर्यात की अनुमति दी।
  • भारत के कुल अनाज निर्यात में चावल (बासमती और गैर-बासमती सहित) वर्ष 2019-20 में  प्रमुख हिस्सेदारी (95.7%) रखता है, जबकि भारत से निर्यात किये गए कुल अनाज में गेहूँ सहित अन्य अनाजों की वर्ष 2019-20 में केवल 4.3% की हिस्सेदारी थी।
  • भारत से गेहूँ का अधिकांश निर्यात (2019-20) नेपाल, बांग्लादेश, UAE, सोमालिया को किया गया।
  • भारत से गैर-बासमती चावल का अधिकांश निर्यात (2019-20) नेपाल, बेनिन, संयुक्त अरब अमीरात, सोमालिया को हुआ।
  • भारत से बासमती चावल का अधिकांश निर्यात (2019-20) ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात को किया गया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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