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भारत की नो-फ्लाई लिस्ट

  • 31 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

नो-फ्लाई लिस्ट

मेन्स के लिये:

नो-फ्लाई लिस्ट में प्रतिबंधित व्यवहार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को इंडिगो एयरलाइंस द्वारा नो-फ्लाई लिस्ट में कर तीन माह के लिये हवाई यात्रा से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

हालिया संदर्भ

  • कुमार कामरा पर यह प्रतिबंध इंडिगो (IndiGo) एयरलाइंस में उड़ान के दौरान समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी के संपादक तथा ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष, अर्नब गोस्वामी का मजाक बनाने के कारण लगाया गया है।
  • इंडिगो एयरलाइंस के साथ-साथ स्पाइसजेट (SpiceJet), एयर इंडिया (Air India) और गो एयर (GoAir) द्वारा भी उन पर प्रतिबंध लगाया गया गया है।

नो-फ्लाई लिस्ट क्या है?

  • भारतीय संदर्भ में नो-फ्लाई लिस्ट उन यात्रियों के मामले में जारी की जाती है जो हवाई यात्रा के दौरान अपने शारीरिक, मौखिक या फिर किसी भी आपत्तिजनक व्यवहार के माध्यम से यात्रा में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • इस लिस्ट का संकलन और रखरखाव नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation- DGCA) द्वारा एयरलाइंस द्वारा दिये गए विवरण के आधार पर किया जाता है।

नो-फ्लाई लिस्ट (No-Fly List) के अंतर्गत प्रतिबंधित व्यवहार:

किसी भी व्यक्ति के अनियंत्रित व्यवहार को इस लिस्ट के अनुसार तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:

  • पहली श्रेणी में मौखिक व्यवहार को शामिल किया जाता है अर्थात् यदि कोई व्यक्ति हवाई यात्रा के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी या शब्दों का प्रयोग करता है तो उसे तीन माह के लिये हवाई यात्रा से प्रतिबंधित किया जा सकता है।
  • दूसरी श्रेणी में शारीरिक व्यवहार को शामिल किया जाता है यानी किसी के साथ मारपीट करना, धक्का देना या फिर गलत इरादे से किसी को छुना इत्यादि। इस व्यवहार के लिये यात्री को छह महीने तक हवाई यात्रा से वंचित किया जा सकता है।
  • तीसरी श्रेणी में किसी को जान से मरने की धमकी देने को शामिल किया गया है और इस व्यवहार के लिये कम-से-कम दो साल का प्रतिबंध आरोपित किया जा सकता है।

नो-फ्लाई लिस्ट के नियम:

वर्ष 2017 में सरकार ने हवाई यात्रा के दौरान विघटनकारी या अमान्य व्यवहार को रोकने के लिये नो-फ्लाई सूची हेतु दिशा-निर्देश जारी किये। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार,

  • हवाई यात्रा के दौरान अनियंत्रित व्यवहार की शिकायत पायलट-इन-कमांड द्वारा दर्ज की जाएगी तथा इसकी जाँच एयरलाइन द्वारा गठित आंतरिक समिति द्वारा की जाएगी।
  • समिति 30 दिनों के भीतर मामले का निपटारा करेगी और प्रतिबंध की अवधि भी निर्धारित करेगी।
  • नियमों के अनुसार, जाँच अवधि के दौरान भी एयरलाइन को संबंधित यात्री की हवाई यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
  • एयरलाइन द्वारा प्रतिबंधित व्यक्ति अपीलीय समिति के आदेश जारी करने की तिथि से 60 दिनों के भीतर अपना पक्ष रख सकता है।

आंतरिक समिति की संरचना:

  • आंतरिक समिति में अध्यक्ष के रूप एक सेवानिवृत्त ज़िला और सत्र न्यायाधीश को शामिल किया जाता है।
  • इसके अलावा एक प्रतिनिधि को अन्य अनुसूचित एयरलाइन से शामिल किया जाता है।
  • एक सदस्य यात्री संघ या उपभोक्ता संघ के प्रतिनिधि के रूप में होता है।
  • आंतरिक समिति 30 दिनों में अपना निर्णय, लिखित रूप में प्रस्तुत करती है और संबंधित एयरलाइन के लिये यह निर्णय बाध्यकारी होता है।
  • यदि समिति 30 दिनों के भीतर किसी निर्णय पर नहीं पहुँचती है, तो प्रतिबंधित व्यक्ति हवाई यात्रा करने के लिये स्वतंत्र होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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