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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत नवाचार सूचकांक 2021: नीति आयोग

  • 22 Jul 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नीति आयोग, इंडिया इनोवेशन इंडेक्स।

मेन्स के लिये:

भारत नवाचार सूचकांक, इसकी सिफारिशें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति (National Institution for Transforming India-NITI) आयोग द्वारा इंडिया इनोवेशन इंडेक्स रिपोर्ट, 2021 जारी की गई, जिसमें कर्नाटक ने प्रमुख राज्यों की श्रेणी में अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है।

  • यह रिपोर्ट का तीसरा संस्करण है, जो वैश्विक नवाचार सूचकांक 2021 के ढाँचे को रेखांकित करके देश में नवाचार विश्लेषण के दायरे पर प्रकाश डालता है।
  • इसमें अब संकेतकों की संख्या 36 (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2020 में) से बढ़कर 66 (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2021 में) हो गई है।

भारत नवाचार सूचकांक:

  • परिचय:
    • यह देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के मूल्यांकन और विकास हेतु व्यापक उपकरण है।
    • यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा विकसित करने के लिये उनके नवाचार प्रदर्शन पर रैंक प्रदान करता है।
  • शामिल संस्थाएँ:
    • प्रतिस्पर्द्धात्मकता संस्थान के साथ नीति आयोग।
  • प्रयुक्त संकेतक:
    • सूचकांक में 7 स्तंभ हैं,  जिनमें से पाँच 'सक्षम' स्तंभ इनपुट को मापते हैं और दो 'प्रदर्शन' स्तंभ आउटपुट को मापते हैं।
    • सर्वेक्षण में जिन संकेतकों का उपयोग किया जाता है उनमें शिक्षा का स्तर,  गुणवत्ता आदि जैसे मानदंड  शामिल हैं:
      • पीएचडी छात्रों की संख्या और ज्ञान-गहन रोज़गार।
      • इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में नामांकन तथा अत्यधिक कुशल पेशेवरों की संख्या।
      • अनुसंधान और विकास गतिविधियों (R&D) में निवेश एवं दायर पेटेंट तथा ट्रेडमार्क आवेदनों की संख्या।
      • इंटरनेट सब्सक्राइबर।
      • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अंतर्वाह, कारोबारी माहौल और सुरक्षा एवं कानूनी प्रावधान।

India-Innovation-Index

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • श्रेणियाँ:
    • इनोवेशन इंडेक्स को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है- प्रमुख राज्य, केंद्रशासित प्रदेश और पहाड़ी एवं उत्तर-पूर्व के राज्य।
  • प्रमुख राज्य:
    • शीर्ष राज्य: कर्नाटक 18.05 के स्कोर के साथ शीर्ष पर रहा और उसके बाद तेलंगाना तथा हरियाणा का स्थान रहा।
      • कर्नाटक की सफलता का श्रेय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में उसके उच्च स्तरीय प्रदर्शन और बड़ी संख्या में उद्यम पूंजी सौदों को दिया जा सकता है।
    • खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य: बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ ने सूचकांक में सबसे कम स्कोर किया, जिसने उन्हें "प्रमुख राज्यों" की श्रेणी में सबसे नीचे रखा।
      • छत्तीसगढ़ को 10.97 अंक के साथ अंतिम स्थान मिला है।
  • पहाड़ी और उत्तर-पूर्वी राज्य:
    • इस श्रेणी में मणिपुर सबसे आगे है जिसके बाद उत्तराखंड और मेघालय का स्थान है।
      • नगालैंड अंतिम (10वें) स्थान पर रहा।
  • केंद्रशासित प्रदेश/छोटे राज्य:
    • चंडीगढ़ 27.88 अंक के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला प्रदेश रहा है, जिसके बाद दिल्ली, अंडमान और निकोबार का स्थान है।
      • लद्दाख अंतिम (9वें) स्थान पर रहा।
  • चुनौतियाँ:
    • औसतन देश ने ज्ञान कार्यकर्त्ता स्तंभ (Knowledge Worker Pillar) में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, जितना मानव पूंजी स्तंभ (Human Capital Pillar) में किया है।
    • मानव पूंजी पर होने वाला खर्च देश में उस ज्ञान का आधार बनाने में असमर्थ रहा है।
    • नवोन्मेष विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित समस्याओं और मिसिंग मिडल के कारण विषम है।
      • मिसिंग मिडल हजारों लोगों को रोज़गार देने के लिये बहुत सारे छोटे, अनौपचारिक उद्यम और बहुत कम बड़े, औपचारिक उद्यम हैं।

सिफारिश:

  • GDERD (अनुसंधान और विकास पर सकल घरेलू व्यय) में काफी सुधार की आवश्यकता है, जो भारत में 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएग।
    • GDERD बढ़ने से अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है तथा उद्योग की मांँग और देश अपनी शिक्षा प्रणालियों के माध्यम से जो उत्पादन करता है, उसके बीच की खाई को कम करता है।
    • GDERD पर कम खर्च करने वाले देश लंबे समय में अपनी मानव पूंजी को बनाए रखने में विफल रहते हैं और नवाचार करने की क्षमता मानव पूंजी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है; सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में भारत का GDERD लगभग 0.7% था।
  • निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास में तेज़ी लाने की ज़रूरत है, सार्वजनिक व्यय कुछ हद तक उत्पादक है; एक बार जब विकास एक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करता है, तो यह वांछनीय है कि अनुसंधान एवं विकास को ज़्यादातर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित किया जाए।

स्रोत : पी.आई.बी.

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