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स्तनपान पर स्वास्थ्य मंत्रालय का रिपोर्ट कार्ड

  • 12 Aug 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय(Union Health Ministry) द्वारा जारी एक रिपोर्ट-कार्ड के अनुसार, स्तनपान के मामले में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड और पंजाब की स्थिति काफी निराशाजनक है।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रालय के अनुसार, इन राज्यों में जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने, छह महीने तक के लिये विशेष स्तनपान और छह से नौ महीने तक के पूरक स्तनपान कराने की दर अत्यंत कम है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश राज्य स्तनपान की दर के मामले में सबसे निचले स्थान पर है। राज्य के मेरठ, बिजनौर, शाहजहाँपुर, गौतम बुद्ध नगर, गोंडा, इटावा और महामाया नगर ऐसे ज़िले हैं जहाँ बच्चे के जन्म के बाद पहले एक घंटे के दौरान स्तनपान कराने की दर बहुत कम हैं।
  • इस रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, मिज़ोरम, सिक्किम, ओडिशा और मणिपुर राज्य स्तनपान दर के मामले में शीर्ष पर हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (world Health Organization-WHO) के अनुसार, यदि स्तनपान में लगभग सार्वभौमिक स्तर पर वृद्धि होती है, तो हर साल लगभग 8,20,000 बच्चों की जान बचाई जा सकती है। इसमें बड़ी संख्या 6 महीने से कम आयु के बच्चे शामिल हैं।

Scaling up breastfeeding

1 से 7 अगस्त, 2019 तक विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) का आयोजन किया गया। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम ‘माता-पिता को सशक्त बनाना, स्तनपान को सक्षम करना (Empower Parents. Enable Breastfeeding) थी।

क्यों आवश्यक है स्तनपान?

  • यह माँ और बच्चे दोनों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • यह प्रारंभिक अवस्था में दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण जैसे रोगों को रोकता है और इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आती है।
  • यह माँ में स्तन कैंसर, अंडाशय के कैंसर, टाइप 2 मधुमेह (Diabities) और हृदय रोग होने के खतरे को कम करता है।
  • यह नवजात को मोटापे से संबंधित रोगों, मधुमेह/डायबिटीज़ से बचाता है और IQ बढ़ाता है।

निष्कर्ष: अपर्याप्त स्तनपान मानव की स्वास्थ्य प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अतः सभी माताओं को घर, घर के बाहर और कार्यस्थलों पर स्तनपान कराने के लिये अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है।

स्रोत : द हिंदू

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