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ग्रामीण उद्यमी परियोजना

  • 23 Aug 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC), ग्रामीण उद्यमी परियोजना, कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय (MSDE)।

मेन्स के लिये:

ग्रासरूट स्तर पर उद्यमिता की आवश्यकता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही मे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) ने सेवा भारती और युवा विकास सोसायटी के साथ साझेदारी में ग्रामीण उद्यमी परियोजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

  • इस पहल क उद्देश्य भारत के युवाओं को बहु-कौशल तथा उन्हें आजीविका उपार्जन के लिये सक्षम बनाने हेतु कार्यात्मक कौशल प्रदान करना है।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम:

  • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है। इसकी स्थापना 31 जुलाई, 2008 को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 (कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अनुरूप) के तहत की गई थी।
    • NSDC की स्थापना वित्त मंत्रालय ने सरकारी निजी भागीदारी (Public Private Partnership- PPP) मॉडल के रूप में की थी।
    • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के माध्यम से भारत सरकार के पास NSDC का 49% हिस्सा है, जबकि निजी क्षेत्र के पास शेष 51% का स्वामित्त्व है।
    • यह कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने वाले उद्यम, कंपनियों और संगठनों को धन प्रदान करके कौशल विकास में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

ग्रामीण उद्यमी परियोजना:

  • परिचय:
    • यह एक अनूठी बहु-कौशल परियोजना है, जो NSDC द्वारा वित्त पोषित है, जिसका उद्देश्य मध्य प्रदेश और झारखंड में 450 आदिवासी छात्रों को प्रशिक्षित करना है।
      • यह परियोजना छह राज्यों- महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और गुजरात में लागू की जा रही है।
  • महत्त्व:
    • आदिवासी स्तर पर स्वामित्त्व बढ़ाने की सख्त ज़रूरत है ताकि ऐसी योजनाओं और पहलों के बारे में जागरूकता पैदा हो।
      • आदिवासी युवाओं में इतनी शक्ति और क्षमता है कि हमें बस इतना करना है कि वे अपनी प्रतिभा का सही जगह उपयोग कर सकें।
    • यह पहल हमारी आदिवासी आबादी को आर्थिक सशक्तीकरण प्रदान करेगी।
  • उद्देश्य:
    • ग्रामीण/स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि
    • रोज़गार के अवसर बढ़ाना
    • स्थानीय अवसरों की कमी के कारण प्रवास के दबाव को कम करना
    • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

ग्रामीण उद्यमी परियोजना का क्रियान्वयन:

  • चरण एक:
    • प्रशिक्षण के पहले चरण में महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात के ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों के प्रतिभागियों को शामिल किया गया है।
      • प्रतिभागियों को परिवहन, खान-पान और आवास की सुविधा प्रदान की गई थी ताकि वे संसाधनों की कमी के कारण सीखने के अवसर से न चूक जाएँ।
  • दूसरा चरण:
    • राँची में शुरू की गई पायलट परियोजना के दूसरे चरण को युवा विकास सोसायटी द्वारा सेवा भारती केंद्र के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
      • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने सेवा भारती केंद्र कौशल विकास केंद्र में सेक्टर स्किल काउंसिल (SSCS) के माध्यम से प्रयोगशालाओं और कक्षाओं की स्थापना में सहायता की है।
  • परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षण निम्नलिखित नौकरी की भूमिकाओं में उपयोग किया जाएगा जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिये प्रासंगिक हैं।
    • इलेक्ट्रीशियन और सोलर पीवी इंस्टालेशन टेक्निशियन।
    • प्लम्बिंग और मेसनरी।
    • दोपहिया वाहनों की मरम्मत एवं रख-रखाव।
    • ई-गवर्नेंस के साथ आईटी/आईटीईएस।
    • कृषि यंत्रीकरण।

कौशल विकास के लिये सरकार द्वारा की गई पहल:

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
  • रोज़गार मेला।
  • प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (PMKK)।
  • क्षमता निर्माण योजना।
  • स्कूल पहल और उच्च शिक्षा।
  • इंडिया इंटरनेशनल स्किल सेंटर्स (IISCs)।
  • प्रस्थान पूर्व उन्मुखीकरण प्रशिक्षण (PDOT)।

आगे की राह:

  • राष्ट्रीय औसत की तुलना में कौशल और शिक्षा की कमी के कारण आदिवासी आजीविका में संगठित क्षेत्रों का योगदान काफी कम है।
    • इसलिये, ग्रामीण उद्यमी परियोजना जैसी परियोजनाएँ उनके सुधार और यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं कि वे अपना जीवन यापन कर सकें।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'पूर्व शिक्षा योजना की मान्यता' का उल्लेख कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में किया जाता है? (2017)

(a) पारंपरिक चैनलों के माध्यम से निर्माण श्रमिकों द्वारा अर्जित कौशल का प्रमाणन।
(b) दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के लिये विश्वविद्यालयों में व्यक्तियों का नामांकन करना।
(c) कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिये कुछ कुशल नौकरियां आरक्षित करना।
(d) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुओं द्वारा अर्जित कौशल को प्रमाणित करना।

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE), भारत सरकार ने वर्ष 2015 में प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की शुरुआत की। इस कौशल प्रमाणन योजना का उद्देश्य बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाना था जो उन्हें बेहतर आजीविका हासिल करने में मदद करेगा।
  • PMKVY के एक घटक के रूप में शुरू की गई पूर्व शिक्षा की मान्यता (RPL) प्रमुख तौर पर मूल्यांकन प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के मौजूदा कौशल, ज्ञान और अनुभव का मूल्यांकन करने हेतु किया जाता है जो औपचारिक, गैर-औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा द्वारा प्राप्त किया जाता है, न कि राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत।
  • इसके तीन उद्देश्य हैं: देश के गैर-विनियमित कार्यबल की दक्षताओं को मानकीकृत राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे (NSQF) के साथ संरेखित करना। किसी व्यक्ति के रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ उच्च शिक्षा के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करना। ज्ञान के कुछ रूपों को दूसरों पर विशेषाधिकार प्रदान किये बिना असमानताओं को कम करने के अवसर प्रदान करना।

अतः विकल्प (a) सही है।


प्रश्न. भारत में जनसांख्यिकी लाभांश केवल सैद्धांतिक ही रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और रचनात्मक नहीं हो जाती। हमारी जनसंख्या की क्षमता को अधिक उत्पादक और रोज़गार योग्य बनाने हेतु सरकार द्वारा क्या उपाय किये गए हैं? (मुख्य परीक्षा, 2016)

स्रोत: पी.आई.बी.

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