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औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020

  • 21 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थिति संहिता 2020

मेन्स के लिये

भारतीय श्रम कानून और श्रम कानूनों का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने हाल ही में लोकसभा में औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020 प्रस्तुत किया है। इस विधेयक के प्रावधानों के श्रमिक अधिकारियों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता ज़ाहिर की जा रही है। 

प्रमुख बिंदु

  • इस विधेयक के अलावा श्रम एवं रोज़गार मंत्री ने दो अन्य श्रम संहिता विधेयक भी प्रस्तुत किये हैं, जिसमें सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थिति संहिता, 2020 शामिल है। 

औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक- प्रमुख प्रावधान

  • औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020 में सरकार ने हड़ताल करने के लिये श्रमिकों के अधिकारों को सीमित करने वाले कुछ प्रावधान प्रस्तुत किये हैं, इसके अलावा इस विधेयक में अब कम-से-कम 300 श्रमिकों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठानों को कामबंदी, छंटनी और उपक्रम बंद करने से पहले केंद्र या राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेनी होगी, जबकि अभी तक यह सीमा 100 श्रमिकों तक थी। 
    • ध्यातव्य है कि इस नए नियम से श्रमिकों को काम पर रखने और उनकी छंटनी करने को लेकर नियोक्ताओं को अधिक छूट मिलेगा और वे किसी भी समय श्रमिकों की छंटनी कर सकेंगे, जिससे श्रमिकों के समक्ष रोज़गार असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। 
  • औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक के मुताबिक 300 से कम श्रमिकों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठानों को स्थायी आदेश तैयार करने की आवश्यकता नहीं है, जबकि पहले यह छूट 100 से कम श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को प्राप्त थी। 
    • स्थायी आदेश का अर्थ है औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों की आचार नियमावली से होता है, स्थायी आदेश में नियोक्ता औपचारिक रूप से अपने प्रतिष्ठान में कार्य स्थिति को परिभाषित करते हैं। 
    • जानकारों का मानना है कि इस नियम के माध्यम से औद्योगिक प्रतिष्ठान श्रमिकों के लिये मनमानी सेवा शर्तों को पेश करने में सक्षम हो जाएंगे।

संबंधित चिंताएँ

  • ‘स्थायी आदेशों’ (Standing Order) प्रस्तुत करने से संबंधित सीमा में परिवर्तन करने से  300 से कम श्रमिकों वाले छोटे प्रतिष्ठानों में कार्यरत लोगों के श्रम अधिकारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
  • जानकारों के मुताबिक इस प्रकार की सीमा को बढ़ाने का आदेश पूर्णतः अनावश्यक है और यह दर्शाता है कि सरकार नियोक्ताओं और बड़ी कंपनियों को लोगों को काम पर रखने और उनकी छंटनी करने के संबंध में काफी अधिक लचीलापन प्रदान करने की कोशिश कर रही है, जिसका स्पष्ट प्रभाव श्रमिक अधिकारों पर देखने को मिलेगा।
  • औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक में कानूनी तौर पर हड़ताल का आयोजन करने के लिये भी नए प्रावधान प्रस्तुत किये हैं, विधेयक के अनुसार, औद्योगिक प्रतिष्ठान में कार्यरत कोई भी व्यक्ति 60 दिनों के नोटिस के बिना कानूनी तौर पर हड़ताल का आयोजन नहीं कर सकता है, इसके अलावा राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण अथवा किसी अन्य न्यायाधिकरण के समक्ष कानूनी कार्यवाही के दौरान और इस प्रकार की कार्यवाही के समापन के बाद 60 दिनों की अवधि तक किसी भी हड़ताल का आयोजन नही किया जा सकता है।
    • इस प्रकार हड़ताल का आयोजन करने से पूर्व कानूनी रूप से अनुमेय समय सीमा को बढ़ाना श्रमिकों के लिये हड़ताल का आयोजन करना काफी हद तक असंभव बना देगा।
  • इस विधेयक को भेदभावपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिला श्रमिकों के लिये कोई भी विशिष्ट प्रावधान नहीं किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2019 को बीते वर्ष लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था और बाद में इसे श्रम पर संसदीय स्थायी समिति के समक्ष समीक्षा के लिये भेज दिया गया था।
  • श्रम मंत्रालय द्वारा इस संहिता के पहले मसौदे में भी 300 से कम श्रमिकों वाली कंपनियों को सरकार से अनुमति लिये बिना लोगों को काम पर रखने और उन्हें हटाने की अनुमति देने की बात की गई थी, किंतु श्रमिक संघों और विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2019 में इस प्रावधान को शामिल नहीं किया था। 
  •  अब औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2019 को केंद्र सरकार ने सदन से वापस ले लिया है और इसके स्थान पर औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2020 प्रस्तुत किया है। 

अन्य दो प्रस्तावित विधेयक

  • अन्य दो श्रम संहिता विधेयकों में सामाजिक सुरक्षा के विस्तार और श्रमिकों की परिभाषा में अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों को शामिल करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड प्रस्तावित किया गया है, जो कि असंगठित श्रमिकों, गिग श्रमिकों और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के विभिन्न वर्गों के कल्याण के लिये आवश्यक योजना तैयार करने हेतु केंद्र सरकार को सिफारिश करेगा।
    • प्लेटफॉर्म श्रमिक वे श्रमिक होते हैं जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अन्य संगठनों या व्यक्तियों को विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थिति संहिता 2020 में अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक को ऐसे श्रमिक के रूप में परिभाषित किया गया है, जो आय के नए स्रोत की तलाश में किसी एक राज्य से दूसरे राज्य आए हैं और कम-से-कम 18000 रुपए प्रतिमाह आय प्राप्त कर रहे हैं।
  • इस संहिता में प्रस्तावित परिभाषा में संविदात्मक रोज़गार की वर्तमान परिभाषा में एक अंतर पैदा किया गया है।
    • इस संहिता में एक यात्रा भत्ता प्रस्तावित किया गया है, जो कि नियोक्ताओं द्वारा उनके श्रमिकों को दिया जाएगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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