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देश में फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए एक कार्यबल गठित

  • 06 Mar 2017
  • 8 min read

सन्दर्भ 

देश में फर्जी कंपनियों जिन्हें खोखा (shell) या मुखौटा कंपनियाँ भी कहा जाता है, के गोरखधंधे के खिलाफ सख्ती की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए एक कार्यबल गठित किया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी करने में लिप्त ऐसी कंपनियों के बैंक खाते जब्त करने और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म करने का भी निर्णय किया है। 
  • इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हाल ही में (3 मार्च 2017 को) की गई समीक्षा के बाद एक कार्यबल गठित किया गया है |
  • गठित कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों और प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्य शामिल किये गए हैं। 
  • इसका नेतृत्व राजस्व और कॉरपोरेट मामलों के सचिव करेंगे।
  • प्रधानमंत्री कार्यालय की समीक्षा बैठक में तय किया गया है कि खोखा कंपनियों की पहचान के लिए कुछ संकेतक इस्तेमाल किए जाएंगे और ऐसी कंपनियों के निदेशकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा और इसमें विभिन्न एजेंसियों की मदद ली जाएगी। 
  • इसमें संबंधित व्यक्तियों की आधार पहचान संख्या का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा। 
  • ध्यातव्य है कि इस समीक्षा बैठक में, मुख्यतः नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ अभियान के संदर्भ में खोखा कंपनियों की कारगुजारियों की समीक्षा की गई।
  • प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, देश में करीब 15 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से 6 लाख ही अपना वार्षिक विवरण जमा कराती हैं। इसका अर्थ है कि इनमें बहुत सी कंपनियां वित्तीय अनियमिताओं में लिप्त हैं।
  • मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी के गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने 49 फर्जी कंपनियों के खिलाफ मामले दायर किए हैं। 
  • इन मामलों में 3,900 करोड़ रूपये का कथित रूप से धनशोधन किया गया है। इन मामलों में 559 लोगों ने 54 पेशेवरों की मदद से धांधलियाँ की हैं। 
  • नोटबंदी के बाद खोखा और सुप्त कंपनियों के खाते में 1238 करोड़ रूपये की नकद जमा के संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं। 
  • प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, गड़बडिय़ों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ बेनामी लेन-देन (निरोधक) संशोधित अधिनियम-2016 के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी। 
  • इस कार्यवाही के अंतर्गत ऐसी कंपिनयों के बैंक खाते जब्त किए जाएंगे और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण समाप्त किया जाएगा।
  • विदित हो कि संबंधित विनियामक मंत्रालयों को भी खोखा कंपनियों के कारोबार की फर्जी प्रविष्टियाँ तैयार करने में सहायक पेशेवरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा गया है।
  • आयकर विभाग भी नियमों में कमी का फायदा उठाकर फर्जी कंपनियों के जरिए कर से बचने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने में लगा हुआ है। 
  • आयकर विभाग के संज्ञान में आया है कि खोखा कंपनियों ने पिछले वर्ष पूंजीगत लाभ पर 80,000 करोड़ रूपए तक की छूट हासिल की थी। 
  • बजट 2017-18 में एक अक्टूबर 2004 के बाद ऐसी गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के लेन-देन पर 10 प्रतिशत पूंजीगत लाभ कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है जिन्होंने खरीद के समय प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) नहीं दिया होगा।

पृष्ठभूमि 

  • नोटबंदी के बाद बेहिसाबी धन की पहचान के लिए जांच तेज करते हुए आयकर विभाग और गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (एसएफआईओ) ने हाल ही में 30,000 खोखा कंपनियों की पहचान की है। 
  • इनमें से ज्यादातर कंपनियों का इस्तेमाल नोटबंदी के बाद बेहिसाबी धन निपटाने के लिए हुआ है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इनमें से कुछ कंपनियों ने तो अपनी स्थायी खाता संख्या (पैन) भी नहीं दिखाई, जिससे उनकी पहचान न हो सके।
  • पिछले कुछ समय से आयकर विभाग ने नोटबंदी के दौरान संदेहास्पद लेन-देन की जाँच और भी गहराई से शुरू की है| 
  • आयकर विभाग ने ऐसे पेशेवरों को भी चिह्नित किया है, जिन्होंने धनशोधन में सहायता की और ज्यादातर मामलों में सरकार ने पहले ही उन्हें कंपनी पंजीयक (आरओसी) के यहां गैर पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
  • ध्यातव्य है कि देश भर में 18 लाख खाते ऐसे हैं, जिनमें नोटबंदी के बाद ज्यादा धन जमा हुआ है। जिन्हें सरकार ने चिह्नित किया है। इसके पहले आयकर विभाग ने इन खाताधारकों को मेल भेजकर धन जमा किए जाने के स्रोत की जानकारी मांगी थी।
  • सूत्रों ने कहा कि ऐसे मामले में, जहाँ विभाग जवाब से संतुष्ट नहीं था, या कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, उन मामलों में सूक्ष्मता से जाँच शुरू की गई। इस छापेमारी में विभाग ने पाया कि करीब 90 प्रतिशत खोखा कंपनियां कोलकाता में हैं। 
  • सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 15,000 खोखा कंपनियों के निदेशक करीब 15,685 कंपनियों के भी निदेशक हैं, इनमे से अधिकांश कोलकाता से हैं| कोलकाता इस तरह की गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि खोखा कंपनियों ने कोलकाता को प्राथमिकता दी, क्योंकि वहाँ पेशेवर आसानी से उपलब्ध हैं, जिन्होंने खोखा कंपनी स्थापित करने के लिए जरूरी नेटवर्क बना लिया है। 
  • मौजूदा सर्वे आयकर महानिदेशालय की जाँच और आकलन शाखा ने कराया है। कोलकाता की कुछ खोखा कंपनियों में बड़ी मात्रा में नकदी जमा कराई गई है।
  • इसके बाद ही इन कंपनियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर जाँच की योजना बनी। 
  • जाँच प्रक्रिया के तहत पिछले महीने विशेष जाँच दल के वाइस चेयरमैन अरिजित पसायत (जिनकी नियुक्ति उच्चतम न्यायालय ने की थी) ने कोलकाता का दौरा किया था।
  • काले धन के खिलाफ अपनी कार्यवाही के दायरे का विस्तार करते हुए केंद्र सरकार अब इन कागज़ी कंपनियों पर शिकंजा कसकर मनीलॉन्ड्रिंग को पूर्णतः समाप्त करने का प्रयास कर रही है |
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