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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्लोबल स्टॉकटेक रिपोर्ट

  • 15 Sep 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लोबल स्टॉकटेक रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र जलवायु सचिवालय, जलवायु परिवर्तन, पेरिस समझौता 2015, ग्रीनहाउस गैस, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान

मेन्स के लिये:

ग्लोबल स्टॉकटेक रिपोर्ट और इसकी सिफारिशें

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नई दिल्ली में 18वें G20 शिखर सम्मेलन के आयोजन से पूर्व जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) द्वारा पहली ग्लोबल स्टॉकटेक की सिंथेसिस रिपोर्ट जारी की गई।

  • यह रिपोर्ट कुल 17 प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत करती है, जिसमें पेरिस समझौते के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में विश्व की चिंताजनक प्रगति को दर्शाती है। सुधारात्मक कार्रवाई की संभावना के बावजूद रिपोर्ट से यह जानकारी मिलती है कि इस दिशा में वैश्विक प्रयास कम हुए हैं।

ग्लोबल स्टॉकटेक:

  • ग्लोबल स्टॉकटेक वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के तहत स्थापित एक आवधिक समीक्षा तंत्र है।
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण में अलग-अलग देशों द्वारा किये जा रहे प्रयासों का आकलन करना है।
  • स्टॉकटेक को देशों को अपनी जलवायु महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करने तथा उत्तरदायी बनाए रखने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • वर्ष 2015 में विभिन्न देशों ने 21वीं सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ने से रोकने और ‘जहाँ तक संभव हो’ 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये पेरिस में प्रतिबद्धता जताई थी। साथ ही उन्होंने ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने में अलग-अलग देशों द्वारा आवधिक समीक्षा अथवा इस दिशा में किये गए प्रयासों का आकलन करने पर भी सहमति जताई थी।
  • हालाँकि अनेक देशों ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions- NDC) निर्धारित किये हैं, ऐसे में उनसे अपेक्षा की जाती है वे प्रत्येक पाँच वर्ष पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने हेतु अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को बढ़ावा दें।
  • वर्ष 2020 में नवीनतम NDC प्रस्तुत किये जाने के बावजूद स्टॉकटेक का उद्देश्य वर्ष 2025 में अगले NDC प्रकाशित होने से पहले देशों को उच्चतर लक्ष्य निर्धारित करने के लिये प्रेरित करना भी है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें:

  • पेरिस समझौते का प्रेरक प्रभाव: 
    • पेरिस समझौते ने देशों को लक्ष्य निर्धारित करने और वैश्विक स्थिति की गंभीरता से निपटने में किये जाने वाले प्रयासों पर ज़ोर देने के लिये प्रेरित किया है।
    • सरकारों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढाने में व्यवसायों में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करते हुए धारणीय स्रोतों व संसाधानों की ओर संक्रमण एवं उनके उपयोग का समर्थन करने की आवश्यकता है तथा इस दिशा में राज्यों व सामुदायिक प्रयासों को मज़बूती प्रदान करना चाहिये। 
    • अर्थव्यवस्था को धारणीय बनाने के प्रयास में किसी भी प्रकार का तीव्र परिवर्तन "विघटनकारी" हो सकता है, ऐसे में देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि आर्थिक संक्रमण न्यायसंगत और समावेशी हो।
    • वर्ष 2030 तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 43% तक कम करने और वर्ष 2035 तक 60% तक कम करने तथा वैश्विक स्तर पर वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
    • त्वरित परिवर्तन के दौरान न्यायसंगत और समावेशी आर्थिक संक्रमण को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
  • न्यायसंगत आर्थिक संक्रमण: 
    • नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि करना और वनोन्मूलन को रोकना: 
    • वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि करने और जीवाश्म ईंधन के उपयोग में तेज़ी से कमी लाने की आवश्यकता है।
    • वनोन्मूलन और भूमि-क्षरण पर रोक लगाने के साथ वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है। साथ ही विभिन्न हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रमुख कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • खंडित अनुकूलन प्रयास: 
    • यद्यपि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के वर्तमान और भविष्य के प्रभावों को अनुकूलित करने में मदद हेतु कदम बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है, फिर भी अधिकांश प्रयास "खंडित, वृद्धिशील, क्षेत्र-विशिष्ट और क्षेत्रों में असमान रूप से वितरित" पाए गए।
    • अनुकूलन पर पारदर्शी रिपोर्टिंग समझ बढ़ाने, कार्यान्वयन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने मदद कर सकती है।
  • हानि और क्षति रोकने के लिये समाधान:
    • 'नुकसान और क्षति' को रोकने, कम करने तथा इनका समाधान करने के लिये जोखिमों को व्यापक रूप से प्रबंधित करने एवं प्रभावित समुदायों को सहायता प्रदान करने के लिये जलवायु और विकास नीतियों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से होने वाले नुकसान को रोकने, कम करने और इनका समाधान करने के लिये अनुकूलन और वित्तपोषण व्यवस्था हेतु समर्थन को तेज़ी से नवीन स्रोतों तक विस्तारित करने की आवश्यकता है। 
  • जलवायु वित्त अभिगम में वृद्धि:
    • तत्काल और बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वित्तीय प्रवाह को जलवायु-प्रत्यास्थ विकास के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।
    • ग्रीनहाउस गैस के न्यूनतम उत्सर्जन और जलवायु-प्रत्यास्थ विकास का समर्थन करने के लिये वित्तीय प्रवाह में पर्याप्त बदलाव करना आवश्यक है।

ग्लोबल स्टॉकटेक रिपोर्ट के प्रभाव:

  • वैश्विक स्टॉकटेक रिपोर्ट ने G20 नेताओं की घोषणा को प्रभावित किया, जो शिखर सम्मेलन का एक महत्त्वपूर्ण परिणाम था। पहली बार घोषणापत्र ने औपचारिक रूप से नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन के लिये पर्याप्त वित्तीय आवश्यकताओं को मान्यता दी।
  • वर्ष 2050 तक निवल-शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये यह अनुमान लगाया गया है कि विकासशील देशों को वर्ष 2030 से पूर्व के वर्षों में 5.8 से 5.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी, साथ ही स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के लिये सालाना 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  (2016)

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किये और यह वर्ष 2017 से लागू होगा।
  2. यह समझौता ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को सीमित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान की वृद्धि उद्योग-पूर्व स्तर (Pre-industrial levels) से 2OC या कोशिश करें कि 1.5OC से अधिक न होने पाए।
  3. विकसित देशों ने वैश्विक तापमान में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकारा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने तथा अन्य विकासशील देशों की सहायता के लिये वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2 
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)’ पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में  देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन।
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान। 
(d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।

उत्तर: (b)

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