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सामाजिक न्याय

दिव्यांगजनों के लिये स्वास्थ्य समानता पर WHO की वैश्विक रिपोर्ट

  • 05 Dec 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये: WHO, दिव्यांग व्यक्ति, दीर्घकालिक बीमारियाँ।

मेन्स के लिये: भारत में दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित मुद्दे, दिव्यांगों के सशक्तीकरण की पहल।

 चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस (3 दिसंबर) से पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दिव्यांगजनों के लिये स्वास्थ्य समानता पर वैश्विक रिपोर्ट नामक एक रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • दिव्यांगता से संबंधित आँकड़े:
    • वर्तमान में, दुनिया भर में लगभग 1.3 बिलियन लोग या छह में से एक व्यक्ति दिव्यांगता से पीड़ित हैं।
    • प्रणालीगत और लगातार स्वास्थ्य असमानताओं के कारण, कई दिव्यांग व्यक्तियों को सामान्य व्यक्तियों की तुलना में बहुत पहले मरने का खतरा होता है - यहाँ  तक कि यह अवधि 20 वर्ष पहले तक भी हो सकती है।
    • अनुमानित 80% दिव्यांग लोग सीमित संसाधनों के साथ कम और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, जिससे इन असमानताओं को संबोधित करना मुश्किल हो जाता है।
  • दिव्यांगता का खतरा:
    • उन्हें अस्थमा, अवसाद, मधुमेह, मोटापा, दंत विकार और स्ट्रोक जैसी दीर्घकालिक बीमारियों के अनुबंध का दो गुना खतरा होता है।
    • स्वास्थ्य परिणामों में कई विसंगतियों हेतु अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, बल्कि रोकथाम योग्य, अनुचित और अन्यायपूर्ण परिस्थितियों को इसके लिये जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल में असमानता संबंधी कुछ कारक:
    • स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का प्रतिकूल दृष्टिकोण
    • गैर-बोधगम्य स्वास्थ्य जानकारी प्रारूप
    • शारीरिक बाधाएँ, परिवहन की कमी या वित्तीय बाधाएँ जो स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँच को बाधित करती हैं।

प्रमुख सिफारिशें:

  • यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि दिव्यांग व्यक्ति समाज के सभी पहलुओं में पूरी तरह से और प्रभावी ढंग से भाग लें तथा चिकित्सा क्षेत्र में समावेश, पहुँच और गैर-भेदभाव सुनिश्चित किया जाए।
  • स्वास्थ्य प्रणालियों को उन चुनौतियों को कम करना चाहिये जो दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा  सामना की जाती हैं।
    • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने की दिशा में सभी के लिये स्वास्थ्य संबंधी समानता महत्त्वपूर्ण है;
      • समावेशी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप जो विभिन्न क्षेत्रों में समान रूप से प्रशासित किये जाते हैं, स्वस्थ आबादी में योगदान कर सकते हैं; तथा
      • दिव्यांग व्यक्तियों के लिये स्वास्थ्य संबंधी समानता को आगे बढ़ाना स्वास्थ्य आपात स्थितियों में सभी की सुरक्षा के सभी प्रयासों का एक केंद्रीय घटक है।
    • सरकारों, स्वास्थ्य सह-भागीदारों और नागरिक समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी कार्यों में दिव्यांगजनों को प्रतिभागी बनाया किया जाए ताकि वे स्वास्थ्य के उच्चतम मानक के अपने अधिकार का लाभ उठा सकें।

दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिये हाल की कुछ प्रमुख पहलें

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)    

प्रश्न.  भारत लाखों दिव्यांग व्यक्तियों का घर है। कानून के अंतर्गत उन्हें क्या लाभ उपलब्ध हैं? (2011)

  1. सरकारी स्कूलों में 18 साल की उम्र तक मुफ्त स्कूली शिक्षा।
  2. व्यवसाय स्थापित करने के लिये भूमि का अधिमान्य आवंटन।
  3. सार्वजनिक भवनों में रैंप।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1                 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3        
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

  • जैसा कि वर्ष 2011 में सवाल पूछा गया था, तब दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 अस्तित्व में नहीं था। दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 दिव्यांग लोगों के लिये समान अवसर व राष्ट्र निर्माण में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  • अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के लिये शिक्षा, रोज़गार और व्यावसायिक प्रशिक्षण, आरक्षण, पुनर्वास तथा सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • अधिनियम सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि प्रत्येक दिव्यांग बच्चे को 18 वर्ष की आयु तक एक उपयुक्त वातावरण में मुफ्त शिक्षा मिले तथा सामान्य स्कूलों में दिव्यांग छात्रों के समाकलन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाए, अतः कथन 1 सही है।
  • इसके अलावा अधिनियम सरकारों और स्थानीय प्राधिकरणों को दिव्यांग व्यक्तियों के पक्ष में घर के लिये भूमि के अधिमान्य आवंटन (रियायती दरों पर), व्यवसाय स्थापित करने, विशेष स्कूलों की स्थापना, दिव्यांग उद्यमियों द्वारा कारखानों की स्थापना के लिये योजनाएंँ बनाने का निर्देश देता है। अतः कथन 2 सही है।
  • अधिनियम में अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों आदि सहित सार्वजनिक भवनों में रैंप का प्रावधान है। अतः कथन 3 सही है।

 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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