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राइस फोर्टिफिकेशन

  • 30 May 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राइस फोर्टिफिकेशन, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), विश्व स्वास्थ्य संगठन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, नैनो टेक्नोलॉजी  

मेन्स के लिये:

चावल के आयरन फोर्टिफिकेशन के लाभ, चावल के आयरन फोर्टिफिकेशन से जुड़े जोखिम

चर्चा में क्यों?

आयरन फोर्टीफाइड राइस/चावल के वितरण की आलोचना के जवाब में केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर आयरन फोर्टिफाइड चावल के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है।

राइस फोर्टिफिकेशन: 

  • परिचय:  
    • फोर्टिफिकेशन खाद्य उत्पादों में पोषक तत्त्वों को मिश्रित करने की प्रक्रिया है जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नहीं होते हैं या अपर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
    • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के मिश्रण के साथ चावल के दानों को लेप करके या सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से समृद्ध चावल का उत्पादन करके और फिर नियमित चावल के साथ मिश्रित कर राइस फोर्टिफिकेशन (चावल का फोर्टिफिकेशन) किया जा सकता है।
  • उद्देश्य
    • भारत में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर बहुत अधिक पाया गया है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में प्रत्येक दूसरी महिला एनीमिया से पीड़ित है और प्रत्येक तीसरा बच्चा नाटा है।
    • चावल प्रोटीन का एक स्रोत है और इसमें विभिन्न विटामिन होते हैं। मिलिंग और पॉलिशिंग के दौरान विटामिन E, मैग्नीशियम, पोटेशियम और मैंगनीज़ सहित कुछ पोषक तत्त्व कम हो जाते हैं (जिस प्रक्रिया से ब्राउन राइस सफेद या पॉलिश किये हुए चावल बन जाते हैं)।
      • चावल दुनिया में, विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में व्यापक रूप से खाए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है।
      • भारत में प्रति व्यक्ति चावल की खपत 6.8 किलोग्राम प्रतिमाह है। इसलिये चावल को सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ पुष्ट करना गरीबों के आहार को पूरा करने का एक विकल्प है। 
    • आयरन की कमी भी एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जो विश्व स्तर पर दो अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है, इससे एनीमिया, कमज़ोरी, थकान, चक्कर आना, सुस्ती  तथा मातृ मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता है।
      • इस समस्या का समाधान करने के लिये कुछ देशों ने चावल को आयरन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्त्वों, जैसे फोलिक एसिड और विटामिन B12 से पुष्ट करने की रणनीति अपनाई है।
      • हमें अधिकांश आयरन मांस से मिलता है, जो हमारे शरीर द्वारा 50% अवशोषित हो जाता है। सब्जियों के माध्यम से सीमित सेवन और केवल 3% अवशोषण होता है। यही कारण है कि आयरन की कमी भारत में एक बड़ी समस्या है।

विटामिन B12: 

  • विटामिन B12, जिसे सायनोकोबलामिन के रूप में भी जाना जाता है, अधिकांश बैक्टीरिया और शैवाल द्वारा एंजाइम की मदद से संश्लेषित किया जाता है।
    • यह सूक्ष्मजीवों में संश्लेषित होता है जो पशु मूल के भोजन में समावेश के माध्यम से मानव खाद्य शृंखला में प्रवेश करते हैं।
    • ये मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सामान्य कार्य के लिये भी महत्त्वपूर्ण हैं।
    • लौह (Iron) की कमी इसका सबसे सामान्य लक्षण है। इसके साथ ही फोलेट (Folet), विटामिन बी 12 और विटामिन ए की कमी, दीर्धकालिक सूजन और जलन ,परजीवी संक्रमण और आनुवंशिक विकार भी एनीमिया के कारण हो सकते है। एनीमिया की गंभीर स्थिति में थकान, कमज़ोरी ,चक्कर आना और सुस्ती इत्यादि समस्याएँ होती है।
  • विटामिन B12 की कमी से घातक रक्ताल्पता की स्थिति उत्पन्न होती है। इसका कारण ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। घातक रक्ताल्पता में कुअवशोषण विटामिन B12 के अवशोषण के लिए आवश्यक आंतरिक कारकों की कमी या हानि के कारण होता है।

फोलिक एसिड

  • फोलेट विटामिन B9 का प्राकृतिक रूप है जो जल में घुलनशील और कई खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है। इसे खाद्य पदार्थों में भी शामिल किया जाता है तथा फोलिक एसिड के पूरक के रूप में बिक्री की जाती है
  • गर्भधारण अवधि में गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड लेने की ज़रूरत होती है। 
    • गर्भवती महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी से बच्चे स्पाइना बिफिडा जैसे न्यूरल ट्यूब दोष से ग्रसित हो जाते हैं।
      • स्पाइना बिफिडा एक ऐसी स्थिति है जो रीढ़ को प्रभावित करती है तथा सामान्यत: जन्म के समय स्पष्ट होती है
    • भारत (पंजाब और हरियाणा में प्रति 1000 में 4.7 से 9 तक) और दक्षिण-पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के कुछ भागों में न्यूरल ट्यूब दोष के सबसे ज्यादा मामले पाए गए हैं।
    • विकसित राष्ट्रों में यह 1 प्रति 1000 से भी कम है।

चावल में आयरन फोर्टिफिकेशन के लाभ: 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WORLD HEALTH ORGANIZATION) के अनुसार, सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ राइस फोर्टिफिकेशन, चावल का नियमित रूप से सेवन करने वाली आबादी के पोषण की स्थिति और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिये एक प्रभावी, सरल और सस्ती रणनीति हो सकती है। चावल में आयरन फोर्टिफिकेशन के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
  • बेहतर संज्ञानात्मक विकास: आयरन मस्तिष्क के विकास और कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • इष्टतम संज्ञानात्मक विकास और सीखने की क्षमताओं के लिये प्रारंभिक बचपन के दौरान पर्याप्त आयरन का सेवन आवश्यक है।
      • आयरन के साथ चावल का फोर्टिफिकेशन करके, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ चावल एक प्राथमिक प्रधान आहार है, आयरन की कमी के कारण होने वाली संज्ञानात्मक हानि को रोका जा सकता है जिससे संज्ञानात्मक प्रदर्शन में सुधार और बेहतर शैक्षिक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
    • बेहतर मातृ और शिशु स्वास्थ्य: जो गर्भवती महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं, यह  उनकी गर्भावस्था की अवधि और प्रसव के दौरान जटिलताओं के जोखिम में वृद्धि कर सकता है।
      • चावल का आयरन फोर्टिफिकेशन गर्भवती महिलाओं की आयरन स्थिति में सुधार करने में सहायता कर सकता है, मातृ एनीमिया और संबंधित जोखिमों को कम कर सकता है। इसके अतिरिक्त गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त आयरन का सेवन भ्रूण के विकास के लिये आवश्यक है और स्वस्थ जन्म परिणामों की वृद्धि में योगदान कर सकता है। 

चावल के आयरन फोर्टिफिकेशन संबंधी जोखिम:    

  • प्रभावहीनता की संभावना:  
    • यह सभी व्यक्तियों विशेषत: आयरन की उच्च आवश्यकताओं या कम जैव उपलब्धता वाले लोगों की आयरन की आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकता है।
    • आयरन की जैव उपलब्धता शरीर द्वारा अवशोषित और उपयोग किये जाने वाले आयरन के अनुपात को संदर्भित करती है जो कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे- फोर्टिफिकेशन के लिये उपयोग किये जाने वाले आयरन के यौगिक का प्रकार एवं मात्रा, आहार में आयरन के अवशोषण को बढ़ाने वाले या अवरोधकों की उपस्थिति, तथा व्यक्ति की शारीरिक स्थिति और आनुवंशिक भिन्नता।
  • संवेदनशील व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव:  
    • यह आयरन का अधिक सेवन या संचय करने वाले व्यक्तियों में प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। अतिरिक्त आयरन शरीर के लिये विषाक्त हो सकता है और यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, सूजन, अंग क्षति एवं संक्रमण तथा पुरानी बीमारियों के बढ़ते जोखिम का कारण बन सकता है।
      • कुछ समूह जो कि आनुवंशिक विकार जैसे- हेमोक्रोमैटोसिस या थैलेसीमिया, यकृत रोग या संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस या मलेरिया से पीड़ित हैं और वे जो फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थों या पूरक आहार के अन्य स्रोतों का सेवन करते हैं, उन्हें अतिरिक्त आयरन के सेवन या संचय से जोखिम हो सकता है।
  • बाधाएँ: 
    • इसके कार्यान्वयन में तकनीकी, विनियामक या सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।  
      • तकनीकी बाधाओं में फोर्टिफाइड चावल उत्पादों की गुणवत्ता, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है।
      • विनियामक बाधाओं में फोर्टिफिकेशन के लिये मानकों, दिशा-निर्देशों और निगरानी प्रणालियों को स्थापित करना और लागू करना शामिल है।
      • सामाजिक बाधाओं में उपभोक्ताओं और हितधारकों के बीच फोर्टिफाइड चावल उत्पादों की स्वीकार्यता, सामर्थ्य और पहुँच सुनिश्चित करना शामिल है।

आगे की राह 

  • नैनो-प्रौद्योगिकी का विस्तार: आयरन के कणों को कूटबद्ध करने और उनकी जैव उपलब्धता बढ़ाने के लिये नैनो-प्रौद्योगिकी के उपयोग का पता लगाने की आवश्यकता है।
    • लोहे के अवशोषण को बढ़ावा देने हेतु नैनो कणों की घुलनशीलता में सुधार किया जा सकता है और चावल में पाए जाने वाले अवरोधकों के साथ अंतःक्रिया से बचा जा सकता है।
  • बायोफोर्टिफिकेशन के साथ आयरन फोर्टिफिकेशन का सम्मिश्रण: बायोफोर्टिफिकेशन रणनीतियों के साथ आयरन फोर्टिफिकेशन को संयोजित करने की आवश्यकता है।
    • बायोफोर्टिफिकेशन में पारंपरिक प्रजनन तकनीकों के माध्यम से आयरन सहित उच्च पोषक तत्त्वों वाली फसलों का संकरण शामिल है।
    • आयरन फोर्टिफिकेशन और बायोफोर्टिफिकेशन को एकीकृत करके चावल की ऐसी किस्में विकसित करना जो प्राकृतिक रूप से आयरन से समृद्ध हों। 
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: आयरन फोर्टिफिकेशन गतिविधियों को बढ़ावा देने और विस्तार करने हेतु सरकारों, अनुसंधान संस्थानों, वाणिज्यिक क्षेत्र के संगठनों एवं गैर-सरकारी संगठनों के बीच संबंधों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
    • ये साझेदारियाँ आयरन-फोर्टिफाइड चावल हेतु नवीन तकनीकों, वित्तपोषण तंत्र और वितरण नेटवर्क के विकास की सुविधा प्रदान कर सकती हैं।
  • निरंतर अनुसंधान और विकास: नई तकनीकों, सूत्रीकरण विधियों और फोर्टिफिकेशन तकनीकों का पता लगाने हेतु अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • सुधार और नवाचार हेतु क्षेत्रों की पहचान करने के लिये नियमित रूप से आयरन फोर्टिफिकेशन कार्यक्रमों की प्रभावकारिता एवं प्रभाव का आकलन करना आवश्यक है।

स्रोत: द हिंदू

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