मुख्य परीक्षा
भारत में खाद्यान्न भंडारण
- 03 Oct 2025
- 56 min read
तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत ने वर्ष 2024-25 के लिये 353.96 मिलियन टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन प्राप्त किया है। इस अधिशेष को संरक्षित करने के लिये, फसलोपरांत होने वाले नुकसान को कम करने, सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित करने और कीमतों को स्थिर रखने हेतु आधुनिक भंडारण अवसंरचना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
भारत में खाद्यान्न भंडारण प्रणाली क्या है?
- परिचय: भारत में खाद्यान्न भंडारण प्रणाली सुविधाओं एवं तंत्रों का एक नेटवर्क है, जिसे फसलोपरांत खाद्यान्नों को संरक्षित करने, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोकने और उपभोक्ताओं तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिये पूरे वर्ष उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह केंद्रीकृत, विकेंद्रीकृत और कोल्ड स्टोरेज अवसंरचनाओं को एकीकृत करता है। किसानों, राज्य एजेंसियों एवं बाज़ारों को जोड़ता है।
- उत्पादित खाद्यान्न का लगभग 60-70% छोटे किसानों द्वारा घरेलू स्तर पर मोराई और मड कोठी (Mud Kothi) जैसी पारंपरिक स्वदेशी भंडारण विधियों का उपयोग करके संग्रहीत किया जाता है।
भारत में भंडारण प्रणाली
- सरकारी भंडारण एजेंसियॉं:
- भारतीय खाद्य निगम (FCI): संसद के एक अधिनियम के माध्यम से वर्ष 1965 में स्थापित, FCI भारत में खाद्यान्न भंडारण के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।
- यह पूरे देश में साइलो, गोदामों और कवर एंड प्लिंथ (CAP) संरचनाओं सहित खाद्य भंडारण डिपो संचालित करता है।
- वर्तमान में, FCI और राज्य एजेंसियाँ 917.83 लाख मीट्रिक टन क्षमता का प्रबंधन करती हैं।
- केंद्रीय भंडारण निगम (CWC): भंडारण निगम अधिनियम, 1962 के तहत स्थापित CWC कृषि उपज और अन्य अधिसूचित वस्तुओं के भंडारण का प्रबंधन करता है।
- राज्य भंडारण निगम: ये निगम प्रत्येक राज्य के भीतर कुछ वस्तुओं के भंडारण को विनियमित करने के लिये संबंधित राज्य भंडारण अधिनियमों के तहत स्थापित किये जाते हैं।
- भारतीय खाद्य निगम (FCI): संसद के एक अधिनियम के माध्यम से वर्ष 1965 में स्थापित, FCI भारत में खाद्यान्न भंडारण के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।
- निजी एजेंसियाँ:
- FCI भंडारण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये निजी मालिकों से भंडारण क्षमता भी किराए पर लेता है।
- अन्य हितधारक:
- अनाज प्रबंधन में प्रमुख योगदानकर्त्ताओं में भांडागारण विकास एवं विनियामक प्राधिकरण (WDRA), रेलवे और राज्यों के नागरिक आपूर्ति विभाग शामिल हैं।
खाद्यान्न भंडारण का महत्त्व
- कटाई के बाद के नुकसान को कम करना: उचित भंडारण मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखता है।
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना: सार्वजनिक वितरण प्रणाली और राष्ट्रीय आपात स्थितियों के लिये बफर स्टॉक बनाए रखता है।
- मूल्य स्थिरीकरण: रणनीतिक भंडारण अत्यधिक मूल्य उतार-चढ़ाव को रोकता है।
- किसानों की आय में वृद्धि: किसानों को संकटकालीन बिक्री से बचाते हुए, इष्टतम समय पर बिक्री करने में सक्षम बनाता है।
- खाद्य प्रसंस्करण और आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करना: उद्योगों के लिये कच्चे माल की उपलब्धता और निर्यात क्षमता प्रदान करता है।
भारत ने खाद्यान्न भंडारण अवसंरचना को बढ़ाने के लिये क्या पहल की है?
- कृषि अवसंरचना कोष (AIF) की शुरुआत वर्ष 2020 में पूरे भारत में कृषि अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये की गई थी।
- यह फसलोपरांत प्रबंधन अवसंरचना और व्यवहार्य कृषि परिसंपत्तियों हेतु व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश हेतु ऋणों पर ब्याज अनुदान तथा ऋण गारंटी सहायता के माध्यम से एक मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा है।
- कृषि विपणन अवसंरचना (AMI) योजना, एकीकृत कृषि विपणन योजना (ISAM) का एक प्रमुख घटक है।
- इस योजना का उद्देश्य गोदामों और वेयरहाउसों के निर्माण तथा नवीनीकरण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करके ग्रामीण भारत में कृषि विपणन अवसंरचना को मज़बूत करना है।
- प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) एक व्यापक योजना है, जिसे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये आधुनिक बुनियादी अवसंरचना के निर्माण हेतु तैयार किया गया है, जिससे खेत से लेकर खुदरा तक एक सुचारू और कुशल आपूर्ति शृंखला बनाई जा सके।
- भंडारण क्षमता वृद्धि योजनाएँ
- आधुनिक भंडारण के लिये स्टील साइलो का निर्माण।
- निजी उद्यम गारंटी (PEG) योजना
- केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘भंडारण एवं गोदाम’ (पूर्वोत्तर पर केंद्रित)
अनाज भंडारण को बनाए रखने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और उन्हें दूर करने के उपाय सुझाएँ?
चुनौतियाँ |
अनाज भंडारण बढ़ाने के उपाय |
उच्च फसलोपरांत हानि: भारत को प्रतिवर्ष अपने खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 22% (वर्ष 2022-23 में ~ 74 मिलियन टन) का नुकसान होता है। |
वैज्ञानिक भंडारण का विस्तार करना: साइलो और आधुनिक गोदामों का विस्तार करना (उदाहरण के लिये, बिहार में वर्ष 2025 में 50,000 मीट्रिक टन साइलो का उद्घाटन किया जाएगा)। |
भंडारण-विशिष्ट हानियाँ: लगभग 6.58% खाद्यान्न खराब भंडारण (कीट, कृंतक, आर्द्रता से क्षति) के कारण नष्ट हो जाते हैं। |
बेहतर फसलोपरांत प्रथाओं के माध्यम से नुकसान को कम करना: सुरक्षित आर्द्रता के स्तर को बनाए रखकर सुखाने, सफाई और विपणन के दौरान अनाज की हानि को रोकना। |
आर्थिक भार: वार्षिक भंडारण हानि 7,000 करोड़ रुपये आँकी गई है, जिसमें कीटों के कारण 1,300 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। |
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना: निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये दीर्घकालिक भर्ती गारंटी प्रदान करके PEG योजना को मज़बूत करना। |
CAP भंडारण पर निर्भरता: पंजाब में लगभग 90% गेहूँ को कवर और प्लिंथ (CAP) के तहत संग्रहीत किया जाता है, जो अत्यधिक असुरक्षित है। |
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को सशक्त बनाना: लगभग 13 करोड़ किसानों को लाभान्वित करने और पारदर्शिता में सुधार लाने के लिये लगभग 63,000 PACS के कम्प्यूटरीकरण में तेज़ी लाना। लक्षित योजनाओं के माध्यम से भंडारण की कमियों को दूर करने के लिये पूर्वोत्तर, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना। |
निष्कर्ष
खाद्यान्न की कमी से खाद्यान्न अधिशेष तक भारत की यात्रा ने वैज्ञानिक भंडारण और वितरण को उत्पादन जितना ही महत्त्वपूर्ण बना दिया है। आधुनिक साइलो, PACS-आधारित गोदामों और कोल्ड चेन अवसंरचना के माध्यम से भंडारण को सुदृढ़ करने से न केवल फसलोपरांत होने वाले नुकसान में कमी आएगी, बल्कि मूल्य स्थिरता, खाद्य सुरक्षा एवं किसान कल्याण भी सुनिश्चित होगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की खाद्य सुरक्षा के लिये असली चुनौती अनाज उत्पादन की कमी नहीं, बल्कि खराब अनाज प्रबंधन है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द) |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत में खाद्यान्न भंडारण अवसंरचना क्या है?
इसमें FCI गोदाम, PACS ग्राम भंडारण, स्टील साइलो और कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ शामिल हैं। इसका उद्देश्य अनाज को संरक्षित करना, फसलोपरांत होने वाले नुकसान को कम करना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
2. भंडारण प्रणालियों के प्रमुख प्रकार क्या हैं?
भारत में फलों, सब्जियों एवं डेयरी जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के लिये केंद्रीकृत भंडारण, विकेंद्रीकृत भंडारण और कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध हैं।
3. PACS भंडारण में कैसे योगदान देते हैं?
PACS खेतों के पास ग्राम-स्तरीय भंडारण प्रदान करते हैं, जिससे किसानों को संकटकालीन बिक्री से बचने, बेहतर मूल्य प्राप्त करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिये परिवहन लागत कम करने में सहायता मिलती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
मेन्स
प्रश्न. भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन में मुख्य बाधाएँ क्या हैं? (2020)