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भारतीय अर्थव्यवस्था

फार्म इन एक्स्पेंसेस

  • 27 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes-CBDT) ने स्पष्ट किया है कि तेल अन्वेषण और उत्पादन (E&P) कंपनियों द्वारा किये गए ‘फार्म इन’ (Farm in) एक्स्पेंसेस को अमूर्त संपत्ति (Intangible Asset) माना जाएगा और इस तरह यह मूल्यह्रास (Depreciation) के तहत दावे के योग्य होगा।

प्रमुख बिंदु

  • इसके बाद ‘फार्म इन’ एक्स्पेंसेस परिशोधन व्यय (Unamortised Expenditure) में परिवर्तित हो जाएगा।
  • परिशोधन व्यय वह व्यय हैं जो किसी कंपनी के लाभ व हानि के विवरण में से समय-समय पर बट्टे खाते में डाल दिया जाता हैं।
  • परिशोधन व्यय को मूल्यह्रास के रूप में अनुमति दी जाती है और अधिशेष पर कर लगाया जाता है।
  • यह घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने तथा तेल एवं गैस के घरेलू उत्पादन को बढाने में सहायक होगा।
  • ‘फार्म इन’ एक्स्पेंसेस तब आरोपित किया जाता है जब तेल और गैस व्यवसाय की कोई कंपनी तेल/गैस ब्लॉक में किसी अन्य कंपनी से पार्टिसिपेटिंग इंटरेस्ट (PI) प्राप्त कर लेती है और उत्पादन साझा समझौता (Production Sharing Agreement -PSC) का हिस्सा बन जाती है।
  • पार्टिसिपेटिंग इंटरेस्ट (PI) कंपनी के शेयर को खरीदने के समान ही होता है।
  • किसी उपक्रम के 20% या अधिक शेयरों की होल्डिंग को एक PI माना जाता है।
  • CBDT ने यह भी स्वीकार किया है कि E&P कंपनियों की खरीद (Farm-in) और बिक्री (Farm-out) की प्रक्रिया PSC के अंतर्गत PI को जोखिम साझा करने, नई और विशेषज्ञता वाली प्रौद्योगिकी लाने के लिये प्रयोग किये जाने वाली आम अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि है।

उत्पादन साझाकरण अनुबंध

  • यह हाइड्रोकार्बन उद्योग में कांट्रेक्टर और सरकार के मध्य होने वाले अनुबंध के लिये प्रयोग किये जाना वाला पद है। इस अनुबंध के तहत कांट्रेक्टर अन्वेषण जोखिम, उत्पादन और विकास व्यय को वहन करता है और बदले में उत्पादन से प्राप्त लाभ में हिस्सेदारी प्राप्त करता है।
  • उत्पादन साझाकारण अनुबंध को देश में तेल और गैस संसाधनों की वृद्धि के लिये वर्ष 1997 में सरकार द्वारा शुरू की गई नई अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (New Exploration and Licensing Policy-NELP) के अंतर्गत अपनाया गया।
  • यह अनुबंध कांट्रेक्टर को सरकार के राजस्व में अपनी हिस्सेदारी देने से पूर्व लागत व्यय वसूलने की अनुमति देता है।

‘फार्म इन’ एक्स्पेंसेस

  • यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत एक ऑपरेटर के स्वामित्व वाले पट्टे (तेल या गैस की खोज या उत्पादन के लिये) में अन्य ऑपरेटर हिस्सेदारी खरीदता है।
  • फार्म-इन के तहत मूल मालिक को विकास लागतों में मदद करने और खरीदार के लिये कच्चे तेल या प्राकृतिक गैस के स्रोत को सुरक्षित करने हेतु बातचीत की जाती है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation)

  • वर्ष 1963 में ‘केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963’ (Central Board of Revenue Act, 1963) के माध्यम से CBDT का गठन किया गया।
  • CBDT केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है।
  • यह देश में प्रत्यक्ष करों की नीति और नियोजन के लिये इनपुट प्रदान करता है और साथ ही आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन हेतु भी ज़िम्मेदार है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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