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वन क्षेत्रों में खनिज अन्वेषण के लिये छूट

  • 13 Sep 2025
  • 59 min read

स्रोत: IE 

चर्चा में क्यों? 

वन सलाहकार समिति (FAC) ने कोयला और खान मंत्रालयों के अनुरोधों के बाद वन क्षेत्रों में खनिज अन्वेषण ड्रिलिंग के लिये बढ़ी हुई छूट को मंज़ूरी प्रदान की है। 

वन भूमि पर खनिज अन्वेषण ड्रिलिंग के लिये छूट क्यों प्रदान की गई है? 

  • बोरहोल की सीमा और महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये प्रयास: पर्यावरण मंत्रालय अब खनिज अन्वेषण के लिये प्रति 10 वर्ग किलोमीटर में 62 से 80 बोरहोल की अनुमति प्रदान करता है, जिनमें से प्रत्येक का व्यास 6 इंच तक हो सकता है। 
    • पहले के नियमों के अनुसार प्रति 10 वर्ग किलोमीटर में केवल 25 बोरहोल, 80 शॉट होल और 100 पेड़ों तक की कटाई की अनुमति थी, जिसके लिये वन मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। 
    • इस विस्तार का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों का दोहन करना है। 
  • व्यापार करने में आसानी: अस्थायी अन्वेषण के लिये बार-बार केंद्रीय मंजूरी से होने वाली देरी को कम करता है। 
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: खनिज अन्वेषण में अधिक निवेश और भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। 
  • आर्थिक विकास सहायता: खनिज बुनियादी ढाँचे, विनिर्माण, रक्षा और हरित प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • इससे परियोजना का तीव्र विकास, लागत दक्षता और अधिक निवेश प्रवाह संभव होता है।

वन क्षेत्रों में खनिज अन्वेषण ड्रिलिंग में वृद्धि से जुड़ी प्रमुख चिंताएँ क्या हैं? 

  • पर्यावरणीय और पारिस्थितिक चिंताएँ: 
    • ड्रिलिंग गतिविधियों में वृद्धि से व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव उत्पन्न हो सकता है। 
    • सुरक्षा उपायों के बावजूद यह वनस्पतियों और जीवों पर संभावित प्रभाव डाल सकता है। 
    • वनों की हानि के कारण स्थानीय और क्षेत्रीय वर्षा पैटर्न प्रभावित हो सकते हैं। 
  • स्थानीय समुदाय और जनजातीय अधिकार: 
    • वन अधिकार अधिनियम, 2006 (FRA) के तहत पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों से संभावित टकराव। 
    • धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण वन क्षेत्रों की सुरक्षा। 
    • वनों पर निर्भर समुदायों और उनके पारंपरिक व्यवसायों पर प्रभाव। 
  • वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 (FCA) की समीक्षा: 
    • पहले FCA के अंतर्गत वन भूमि पर किसी भी गतिविधि के लिये, जो सीधे वन संरक्षण से संबंधित न हो, केंद्रीय सरकार का प्रमाणन आवश्यक था। 
    • खनिज अन्वेषण को "वन गतिविधि" के रूप में पुन: वर्गीकृत किये जाने में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। 

महत्त्वपूर्ण खनिज 

  • महत्त्वपूर्ण खनिज वे खनिज हैं, जो किसी राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये अनिवार्य हैं और जिनकी सीमित उपलब्धता या किसी विशेष क्षेत्र में भंडार/खनन की एकाग्रता आपूर्ति शृंखला में संवेदनशीलताएँ उत्पन्न करती है। 
  • भारत की स्थिति: 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों (जैसे बिस्मथ, कोबाल्ट, ताँबा, दुर्लभ मृदा तत्त्व, सिलिकॉन, टिन, टाइटेनियम) की सूची जारी की गई है। 
    • भारत अधिकांश महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये आयात पर अत्यधिक निर्भर है। 
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों का महत्त्व: 
    • पर्यावरण एवं ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों (सौर पैनल, विंड टर्बाइन, सेमीकंडक्टर) के लिये महत्त्वपूर्ण। 
      • बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (BESS) में आवश्यक। 
    • राष्ट्रीय सुरक्षा: रक्षा क्षेत्र - मिसाइल प्रणालियों, एयरोस्पेस, संचार प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण। 
    • आर्थिक एवं इलेक्ट्रॉनिक्स: लिथियम-आयन बैटरियों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिये महत्त्वपूर्ण।
      • सेमीकंडक्टर, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, संचार उपकरणों के लिये आवश्यक। 

महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये भारत की पहल: 

  • नीति और नियामक ढाँचा: राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 1,200 भंडारों की पहचान करना है, ताकि स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये महत्त्वपूर्ण लिथियम, कोबाल्ट और अन्य महत्त्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। 
    • खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023: महत्त्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण और खनन को सक्षम बनाता है। 
    • राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019: सतत् खनन और अन्वेषण पर ध्यान केंद्रित करता है।  
    • केंद्रीय बजट 2024-25: अधिकांश महत्त्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क हटा दिया गया। 
  • अन्वेषण और घरेलू उत्पादन: 
    • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI): लिथियम, रेयर अर्थ तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये व्यापक सर्वेक्षण कर रहा है। 
    • लिथियम की खोज (2023): जम्मू और कश्मीर के रियासी में प्रमुख भंडारों की पहचान की गई। 
    • सामरिक खनिज भंडार: लिथियम, कोबाल्ट और अन्य के लिये भंडार बनाने की योजना। 
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं व्यापार समझौते: 
    • खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL), 2019: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया आदि के साथ विदेशी खनिज परिसंपत्तियों की साझेदारी सुनिश्चित करने के लिये खान मंत्रालय के अंतर्गत संयुक्त उद्यम। 
    • खनिज सुरक्षा साझेदारी (MSP): भारत महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2023 में अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल में शामिल हो गया। 

वनों में खनिज अन्वेषण हेतु स्थायी रोडमैप क्या होना चाहिये?

  • सतत् अन्वेषण प्रथाएँ: भूभौतिकीय सर्वेक्षण, उपग्रह चित्र, रिमोट सेंसिंग तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित खनिज पूर्वानुमान प्रणाली और ड्रोन-आधारित मानचित्रण तकनीकों जैसी गैर-आक्रामक तकनीकों को प्रोत्साहित करना। 
    • विद्युत चालित ड्रिलिंग के उपयोग को कम करके पर्यावरण पर प्रभाव को कम करना। 
  • पर्यावरणीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना: कठोर मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SoPs) स्थापित करना, जैसे – आर्द्रभूमि पारितंत्र, प्रजनन क्षेत्र या संवेदनशील पारितंत्रों में ड्रिलिंग न करना। 
    • समय-विशिष्ट प्रतिबंध लागू करना (घोंसले बनाने या प्रजनन काल के दौरान ड्रिलिंग न करना)। 
  • क्लस्टर माइनिंग दृष्टिकोण: 
    • संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिये क्लस्टर माइनिंग पहलों को अपनाना, जिनमें एकाधिक इकाइयों हेतु साझा पर्यावरण‑अनुकूल संरचनाएँ शामिल हों। 
    • पर्यावरण‑अनुकूल तकनीकें जैसे कि कन्वेइंग सिस्टम्स (संवहन प्रणालियाँ), बकेट स्टीयरिंग खुदाई मशीनें और संगठित लैंडफिल प्रबंधन (व्यवस्थित कचरा भराव नियंत्रण) 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. भारत में गौण खनिज के प्रबंधन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:  (2019)

  1. इस देश में विद्यमान विधि के अनुसार रेत एक ‘गौण खनिज’ है।  
  2. गौण खनिजों के खनन पट्टे प्रदान करने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है, किंतु गौण खनिजों को प्रदान करने से संबंधित नियमों को बनाने के बारे में शक्तियाँ केंद्र सरकार के पास हैं।  
  3. गौण खनिजों के अवैध खनन को रोकने के लिये नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है। 

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

प्रश्न 2. भारत में 'ज़िला खनिज प्रतिष्ठान (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन्स)' का/के उद्देश्य क्या है/हैं?(2016)

खनिज-संपन्न ज़िलों में खनिज-खोज संबंधी क्रियाकलापों को प्रोत्साहित करना खनिज-कार्य से प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा करना राज्य सरकारों को खनिज-खोज के लिये लाइसेंस निर्गत करने के लिये अधिकृत करना नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न 1. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न 2. “प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है।” विवेचना कीजिये। (2017)

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