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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पवन जहाँ ऊर्जा वहाँ

  • 17 Apr 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ
गौरतलब है कि जब भी हम नवीकरणीय ऊर्जा के संबंध में विचार करते है तो नवीकरणीय ऊर्जा के विभिन्न स्रोत हमारे मष्तिष्क में उभरने लगते है| इन्ही में से जिस एक स्रोत के विषय में आज हम चर्चा करने जा रहे है, वह है पवन ऊर्जा| ध्यातव्य है कि पिछले कुछ दिनों पवन ऊर्जा उद्योग काफी अधिक चर्चा में रहा है| आइए इसके सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करते हुए इसकी प्रगति की समीक्षा करें| 

पवन ऊर्जा उद्योग चर्चा में क्यों है?

  • गौरतलब है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब पवन ऊर्जा इंस्टालेशन (wind mills) ने 5 गीगावाट के स्तर को पार कर लिया है| ध्यातव्य है कि वर्ष 2016-17 के लिये यह लक्ष्य 5,400 मेगावाट रखा गया था, जबकि वर्ष 2015-16 में यह 3,472 मेगावाट था|
  • इसके अतिरिक्त फरवरी 2017 में हुई देश की पहली पवन ऊर्जा क्षमता नीलामी (जिसमें पवन ऊर्जा उत्पादक उपभोक्ताओं के प्रयोग हेतु सीधे कंपनियों को विद्युत् बेचते है) में पवन ऊर्जा द्वारा निर्मित विद्युत् की कीमत मात्र 3.46 रुपए किलोवाट प्रतिघंटा के निम्नतम स्तर पर दर्ज की गई| इसका सबसे अहम कारण इस क्षेत्र में दिनोंदिन बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा है|
  • विदित हो कि बहुत से राज्यों में पवन ऊर्जा से निर्मित विद्युत् की कीमत विभिन्न राज्यों के विद्युत विनियामक आयोगों (electricity regulatory commissions) द्वारा तय की जाती है|

इतनी आशावादिता क्यों?

  • ध्यातव्य है कि भारत में पवन ऊर्जा उद्योग की स्थापना 1980 के दशक के अंत में हुई थी| स्थापना के कईं वर्षों तक यह केवल तमिलनाडु राज्यों में कार्यरत रही| परंतु, पिछले एक दशक से यह देश के तकरीबन आठ अन्य राज्यों में भी प्रसारित हो गई हैं|
  • वर्तमान में पवन ऊर्जा धारक देश के कुल आठ राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात के साथ-साथ राजस्थान जैसे पश्चिमी राज्य भी शामिल हैं|
  • इस क्षेत्र में बढ़ती आशावादिता की मुख्य वजह यह है कि केंद्र सरकार पवन ऊर्जा उत्पादकों से विद्युत् की खरीद करके इसे अन्य विद्युत् आपूर्तिकर्ता कंपनियों को बेचना चाहती है ताकि देश के ऐसे गरीब क्षेत्रों तक भी विद्युत् की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकें जिन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये महँगे संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है|
  • वस्तुतः देश के प्रत्येक कोने को प्रकाशमयी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार इस दिशा में एक वास्तविक व्यापारी की भूमिका का निर्वाह कर रही है|

क्या भारत में पवन ऊर्जा कंपनियाँ वास्तव में अस्तित्व में है? 

  • इस प्रश्न का उत्तर है-हाँ| देश में पवन ऊर्जा कंपनियाँ वास्तव में उपस्थित है|
  • परंतु, इसका एक दूसरा पक्ष भी है, केंद्र की भाँति राज्य सरकारें भी यह चाहती है कि वे एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से पवन ऊर्जा द्वारा निर्मित विद्युत् की कीमतों का निर्धारण कर सकें| 
  • ऐसे में इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है कि जैसे-जैसे इस क्षेत्र का विकास होगा वैसे-वैसे ही इसकी कीमतों में गिरावट भी दर्ज होगी| ऐसी स्थिति में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निजी कंपनियों को आकर्षित करना आसान नहीं रह जाएगा|
  • इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा मार्च 2017 में एक योजना (generation-based incentive) का शुभारंभ किया| इस योजना के अंतर्गत पवन ऊर्जा निर्माता कंपनियों को उनके द्वारा निर्मित विद्युत् के लिये 50 पैसे kwhr (kilowatt-hour) की दर से प्रदान किये जाएंगे| 
  • इसके अतिरिक्त इस उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस पर अधिरोपित कर की दरों में भी उल्लेखनीय कटौती की गई है|

इस क्षेत्र की महत्ता

  • गौरतलब है कि पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 32,280 मेगावाट की क्षमता के साथ भारत का चीन, अमेरिका तथा जर्मनी के बाद विश्व में चौथा स्थान है|
  • इतना ही नहीं वरन् वर्ष 2022 तक भारत की पवन ऊर्जा क्षमता को वर्तमान के स्तर से बढ़ाकर 60 गीगावाट तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है|
  • ध्यातव्य है कि भारत की संपूर्ण ऊर्जा क्षमता में 3.2 लाख मेगावाट ऊर्जा के साथ पवन ऊर्जा का योगदान तकरीबन 10 फीसदी का है|
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