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सामाजिक न्याय

ईट-लांसेट आयोग : प्लैनेटरी हेल्थ डाइट

  • 08 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

ईट-लांसेट आयोग, प्लैनेटरी हेल्थ डाइट क्या है?

मेन्स के लिये

वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ की भूमिका का आलोचनात्मक वर्णन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान (International Food Policy Research Institute-IFPRI) ने एक शोध में कहा कि ईट-लांसेट आयोग (EAT-Lancet Commission) द्वारा सुझाए गए एक मानक ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ को विश्व की एक बड़ी आबादी के लिये अपनाना नामुमकिन होगा।

क्या है ईट-लांसेट आयोग?

ईट-लांसेट आयोग (EAT-Lancet commission on Food, Planet, Health) 16 देशों के 32 प्रमुख वैज्ञानिकों (जो कि अलग-अलग क्षेत्रों से हैं) का संगठन है। इस आयोग का प्रमुख उद्देश्य वैज्ञानिक आधार पर एक मानक बनाना है जिससे विश्व में सभी के लिये सतत् खाद्य उत्पादन तथा स्वस्थ भोजन मुहैया कराया जा सके।

ईट-लांसेट आयोग के सुझाव:

  • वर्ष 2019 के मध्य में एक शोध के दौरान इस संस्था ने एक स्वस्थ वयस्क के लिये एक ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ (Planetary Health Diet) नामक एक विस्तृत खाद्य मानक निर्धारित किया है। इसके अंतर्गत फल, सब्जियाँ, ड्राईफ्रूट, साबुत अनाज, दालें, असंतृप्त तेल, पर्याप्त मात्रा में मांस, दूध, स्टार्चयुक्त सब्जियाँ आदि शामिल हैं। शोध के अनुसार, इस प्रकार के आहार से खराब स्वास्थ्य आदतें तथा पर्यावरणीय दोहन दोनों से बचा जा सकता है।
  • वर्तमान में खाद्यान्नों की बढ़ती मांग तथा अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतों की वजह से मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इस प्रकार की भोजन आदतों से भविष्य में एक बड़े खाद्य संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

IFPRI द्वारा किये गए शोध के मुख्य बिंदु:

  • इसके अनुसार, इन सुझावों के पालन में मुख्य समस्या इसके लिये आवश्यक खर्च को लेकर होगी। साथ ही अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र तथा दक्षिण एशिया के लगभग 1.58 बिलियन लोग इसके लिये आवश्यक खर्च वहन नहीं कर सकेंगे।
  • शोध में ईट-लांसेट द्वारा सुझाया गया डाइट प्लान, एक आम वयस्क के लिये आवश्यक पर्याप्त पोषणयुक्त आहार से 64 प्रतिशत महँगा बताया गया। साथ ही इसके द्वारा सुझाए गए भोजन में आवश्यकता से अधिक जानवरों से प्राप्त आहार (दूध व मांस), फल तथा सब्जियाँ शामिल की गई हैं।
  • वैश्विक स्तर पर प्रस्तावित इस डाइट की औसत कीमत तकरीबन 2.84 डॉलर (200 रुपए) प्रतिदिन होगी। कम आय वाले देशों में यह राशि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति आय का 89.1 प्रतिशत होगी तथा एक परिवार के लिये सिर्फ भोजन पर इतना खर्च करना नामुमकिन है। उच्च आय वाले देशों में यह धनराशि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति आय का 6.1 प्रतिशत होगी जो वास्तविकता में उनके द्वारा किये जाने वाले खर्च से कहीं कम है।
  • अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र में लगभग 57 प्रतिशत लोग ईट-लांसेट द्वारा सुझाए गये एक दिन के भोजन की कीमत से कम कमाते हैं। दक्षिण एशिया में यह आँकड़ा 38.4 प्रतिशत है। पश्चिम एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका में यह 19.4 प्रतिशत है। पूर्वी एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र में यह 15 प्रतिशत है। लैटिन अमेरिका तथा कैरेबिया में यह 11.6 प्रतिशत है। यूरोप तथा मध्य एशिया में 1.7 प्रतिशत लोग तथा उत्तरी अमेरिका में 1.2 प्रतिशत है।
  • फल, सब्जियाँ तथा जानवरों से प्राप्त होने वाला भोजन एक स्वस्थ आहार का आवश्यक हिस्सा होने के साथ ही काफी महँगा भी होता है। इसकी लागत विश्व के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होती हैं।
  • यदि बहुतायत संख्या में गरीब उपभोक्ता स्वस्थ आहार लेने के लिये इच्छुक भी हों तो आय तथा लागत से संबंधित बाधाओं के कारण यह उनके लिये अवहनीय हो जाता है।
  • आय में वृद्धि, सुरक्षित लाभ हस्तांतरण तथा संस्थानिक तौर पर खाद्यान्नों की कीमत में कमी द्वारा ही विश्व के प्रत्येक हिस्से के निवासियों को स्वस्थ व सतत् आहार की प्राप्ति हो सकती है।

स्रोत : द हिंदू

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