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तटीय क्षरण से विस्थापित समुदायों हेतु मसौदा नीति

  • 25 Feb 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NDMA, NDRF, तटीय क्षरण, 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट।

मेन्स के लिये:

तटीय क्षरण से विस्थापित समुदायों हेतु मसौदा नीति।

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने नदी और तटीय क्षरण से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन हेतु भारत की पहली राष्ट्रीय नीति के मसौदे पर आपदा प्रबंधन अधिकारियों और शोधकर्त्ताओं से इनपुट प्राप्त किये।

  • गृह मंत्रालय ने NDMA को वर्ष 2021 के लिये 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के आधार पर एक नीति का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था।  
  • अभी तक देश में अधिकांश नीतियाँ केवल बाढ़ और चक्रवात जैसी अचानक तेज़ी से शुरू होने वाली आपदाओं के बाद विस्थापन को संबोधित करती हैं।  

15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशें:

  • इसने पहली बार जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते खतरे के मद्देनज़र नदी और तटीय क्षरण से विस्थापित लोगों के लिये पुनर्वास और उनके पुनर्स्थापन पर ज़ोर दिया था। 
  • इसने वर्ष 2021-26 के लिये 1,500 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (NDMF) के तहत तटीय क्षरण को रोकने हेतु शमन उपायों की शुरुआत की।  
  • क्षरण से प्रभावित विस्थापितों के पुनर्वास के लिये यह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) के तहत इसी अवधि के लिये 1,000 करोड़ रुपए आवंटित करता है।
  • इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि राज्यों को बिना देरी किये शमन और पुनर्वास परियोजनाओं के लिये समय-सीमा का पालन करना चाहिये, NDRF एवं NDMF के तहत परियोजनाओं को इस तरह से मंज़ूरी दी जानी चाहिये कि उन्हें आयोग की अधिनिर्णय अवधि के भीतर पूरा किया जा सके। 

मसौदा नीति की प्रमुख विशेषताएँ:

  • वित्त आवंटन:
    • दोनों निधियों (NDRF और NDMF) के लिये राज्य सरकारों को लागत-साझाकरण के आधार पर संसाधनों का लाभ उठाना होगा, जो तटीय एवं नदी क्षरण से जुड़े शमन और पुनर्वास की लागत में 25% का योगदान देगा। 
    • हालाँकि पूर्वोत्तर राज्यों को राज्य निधि का केवल 10% एकत्रित करना होगा। 
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण शमन और पुनर्वास के लिये राष्ट्रीय स्तर पर NDRF एवं NDMF के तहत आवंटन तथा खर्चों का समन्वय करेगा। 
  • नोडल एजेंसी: 
    • ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) अन्य ज़िला एजेंसियों और एक विशिष्ट पंचायत-स्तरीय समिति के माध्यम से सहायता प्राप्त करने हेतु उपायों को लागू करने के लिये नोडल एजेंसी होगी। 
    • DDMA शमन और पुनर्वास योजनाएँ तैयार करेगा और उन्हें SDM को सौंप देगा, जहाँ प्रस्तावित उपायों का NDMA द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा और अंत में गृह मंत्रालय को सौंपा जाएगा।  
    • इसके पश्चात् इस मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय समिति वित्त वितरण की मंज़ूरी प्रदान करेगी।
  • जोखिम संबंधी विस्तृत आकलन: 
    • राष्ट्रीय तट अनुसंधान केंद्र, केंद्रीय जल आयोग आदि जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जोखिम संबंधी विस्तृत आकलन और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के पास उपलब्ध उच्च-रिज़ॉल्यूशन LiDAR डेटा SDMA को उपलब्ध कराना होगा।
    • इन्हें NDMA द्वारा ईज़ी-टू-एक्सेस भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्रारूप में उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
  • तटीय और नदी के क्षरण का मानचित्रण:
    • यह नीति तटीय और नदी के क्षरण के प्रभावों का मानचित्रण करने एवं प्रभावित तथा कमज़ोर समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली विविध चुनौतियों का एक डेटाबेस तैयार करने पर ज़ोर देती है।
  • प्रभाव और सुभेद्यता आकलन:
    • यह मसौदा नीति समय-समय पर तटीय और नदी क्षरण से प्रभावित क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभावों तथा सुभेद्यता आकलन की भी सिफारिश करती है, जिसे SDMA द्वारा राज्य के विभागों एवं DDMA के समन्वय से संचालित किया जाएगा।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA):

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत में आपदा प्रबंधन के लिये शीर्ष वैधानिक निकाय है
  • इसका औपचारिक रूप से गठन 27 सितंबर, 2006 को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत हुआ जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष) और नौ अन्य सदस्य होंगे तथा इनमें से एक सदस्य उपाध्यक्ष पद पर आसीन होता है।
  • आपदा प्रबंधन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है। हालाँकि आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति केंद्र, राज्य और ज़िले, सभी के लिये एक सक्षम वातावरण बनाती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. आपदा प्रबंधन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020)

प्रश्न. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सुझावों के संदर्भ में उत्तराखण्ड के अनेकों स्थानों पर हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के संघात को कम करने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2016)

प्रश्न. सूखे को उसके स्थानिक विस्तार, कालिक अवधि, मंथर प्रारंभ और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सितंबर 2010 के मार्गदर्शी सिद्धातों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिये तैयारी की कार्यविधियों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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