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पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना

  • 19 Mar 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना (DMP-MoPR), आपदा प्रबंधन योजना, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति 2009, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, पंचायती राज संस्थान।

मेन्स के लिये:

पंचायती राज मंत्रालय (DMP-MoPR) की आपदा प्रबंधन योजना और इसका महत्त्व, आपदा प्रबंधन में भारत के प्रयास और भारत की भेद्यता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना (DMP-MoPR) का विमोचन किया।

पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना:

  • इसे गाँव से लेकर ज़िला पंचायत स्तर तक समुदाय आधारित नियोजन के व्यापक परिप्रेक्ष्य के साथ तैयार किया गया है।
  • योजना के तहत प्रत्येक भारतीय गाँव में एक ‘ग्राम आपदा प्रबंधन योजना’ और प्रत्येक पंचायत की अपनी आपदा प्रबंधन योजना होगी।
  • इसका उद्देश्य पंचायतों के बीच ज़मीनी स्तर पर आपदा लचीलापन बनाना और ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन उपायों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ संरेखित करने हेतु एक रूपरेखा स्थापित करना है।
  • इसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति 2009 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अलावा कई नवाचार भी शामिल हैं।

योजना के तहत क्या शामिल है?

  • यह व्यापक रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर करती है:
    • आपदा प्रबंधन हेतु संस्थागत व्यवस्था।
    • जोखिम, सुभेद्यता और क्षमता विश्लेषण।
    • विकास और जलवायु परिवर्तन कार्रवाई में आपदा जोखिम प्रबंधन का समन्वय।
    • आपदा विशिष्ट निवारक एवं शमन उपाय-उत्तरदायी ढाँचा।
    • गाँवों और पंचायतों की समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन योजना को मुख्यधारा में लाना।

Disaster-Management-cycle

योजना की आवश्यकता:

  • भारत अपनी अनूठी भू-जलवायु और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण कई प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं केप्रति अलग-अलग स्थिति में संवेदनशील रहा है।
    • प्राकृतिक आपदा में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, शहरी बाढ़, सूखा शामिल हैं।
    • मानव निर्मित आपदा में परमाणु, जैविक और रासायनिक आपदा को शामिल किया जा सकता है।
  • देश के विभिन्न हिस्से चक्रवात, बाढ़, सूखा, भूकंप, भूस्खलन आदि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।

इस कदम का महत्त्व:

  • आपदाओं के व्यापक प्रबंधन में सहायक:
    • समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन योजनाओं की परिकल्पना, योजना और कार्यान्वयन के लिये अभिसरण तथा सामूहिक कार्रवाई व्यापक रूप से आपदाओं के प्रबंधन में एक गेम चेंजर साबित होगी।
      • पंचायती राज संस्थान (PRI), निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायतों के पदाधिकारियों आदि सहित सभी हितधारक योजना के नियोजन, कार्यान्वयन, निगरानी व मूल्यांकन में भाग लेंगे।
      • किसी भी आपदा से बचाव के लिये तैयारी की रणनीति में समुदाय की भागीदारी महत्त्वपूर्ण कारक है और ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के संचालन और इन गतिविधियों को बनाए रखने के लिये समुदाय की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
  • भागीदारी योजना प्रक्रिया को सुनिश्चित करने में: 
    • यह योजना DMPs के लिये एक भागीदारी योजना प्रक्रिया सुनिश्चित करने में अत्यंत उपयोगी होगी जो देश भर में आपदाओं का समाधान करने हेतु ग्राम पंचायत विकास योजना (Gram Panchayat Development Plan- GPDP) के साथ एकीकृत है और समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन के नए युग की शुरुआत करती है, विभिन्न मंत्रालय/विभागों के कार्यक्रमों तथा योजनाओं के साथ अभिसरण एवं सामूहिक कार्रवाई करती है।

आपदा प्रबंधन हेतु भारत के प्रयास:

  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की स्थापना:
    • भारत ने आपदा प्रबंधन को एक समग्र दृष्टिकोण के रूप में विकसित किया है इसने न केवल आपदा के बाद प्रतिक्रिया की है बल्कि विभिन्न योजनाओं और नीतियों के तहत आपदा संबंधी तैयारियों, शमन व आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction- DRR) को एकीकृत किया है।
    • भारत ने सभी प्रकार की आपदाओं के न्यूनीकरण के संदर्भ में तेज़ी से कार्य किया है तथा आपदा प्रतिक्रिया के लिये समर्पित विश्व के सबसे बड़े बल ‘राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की स्थापना के साथ सभी प्रकार की आपदाओं की स्थिति में तेज़ी से प्रतिक्रिया की है।
  • अन्य देशों को आपदा राहत प्रदान करने में भारत की भूमिका:
    • भारत एक उभरता हुआ दाता भी है जिसने अन्य देशों को विदेशी आपदा राहत के साथ-साथ विदेशी विकास हेतु सहायता भी पर्याप्त मात्रा में प्रदान की है।
    • भारत की विदेशी मानवीय सहायता में इसकी सैन्य संपत्ति को भी तेज़ी से शामिल किया गया है जिसके तहत आपदा के समय देशों को राहत प्रदान करने के लिये नौसेना के जहाज़ों या विमानों को तैनात किया जाता है।
    • "पड़ोसी पहले" (Neighbourhood First) की अपनी कूटनीतिक नीति के अनुरूप भारत से सहायता प्राप्त करने वाले देश मुख्यतः दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के हैं।
      • पिछले दो दशकों में भारत ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्याँमार, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका और अन्य देशों को द्विपक्षीय रूप से विदेशी मानवीय सहायता प्रदान की है।
  • क्षेत्रीय आपदा तैयारी में योगदान:
  • जलवायु परिवर्तन संबंधी आपदा प्रबंधन:
    • विश्व स्तर पर पिछले दो दशकों में आपदाएँ मुख्य रूप से जलवायु से संबद्ध रही हैं, जिनमें से बाढ़ सबसे अधिक बार घटित होने वाली आपदा है और तूफान दूसरी सबसे घातक आपदा है।
    • भारत ने सतत् विकास लक्ष्यों (2015-2030), जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते और DRR पर सेंदाई फ्रेमवर्क को अपनाया है, जो जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) तथा सतत् विकास के बीच संबंधों को स्पष्ट करते हैं।
    • भारत उन कई बहुपक्षीय संगठनों का हिस्सा है, जो ऐसे सभी मुद्दों को संबोधित करते हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.

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