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कृषि

चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण

  • 07 Jul 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण (डीएसआर), पानी की कमी, भूजल।

मेन्स के लिये:

चावल की प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि के लाभ और मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पंजाब राज्य जल बचत विधि (चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण) में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रहा।

चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR):

  • चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) जिसे 'बीज बिखेरना तकनीक (Broadcasting Seed Technique)' के रूप में भी जाना जाता है, धान की बुवाई की एक जल बचत विधि है।
  • इस विधि में बीजों को सीधे खेतों में बुवा की जाती है। नर्सरी से जलभराव वाले खेतों में धान की रोपाई की पारंपरिक जल-गहन विधि के विपरीत यह विधि भूजल की बचत करती है।
  • इस पद्धति में कोई नर्सरी तैयारी या प्रत्यारोपण शामिल नहीं है।
  • किसानों को केवल अपनी ज़मीन को समतल करना होता है और बुवाई से पहले सिंचाई करनी होती है।

DSR के लाभ:

  • कम श्रमिकों की आवश्यकता:
    • DSR श्रम की कमी की समस्या को हल कर सकता है क्योंकि पारंपरिक पद्धति की तरह इसमें धान की नर्सरी की आवश्यकता नहीं होती है और 30 दिन पुरानी धान की नर्सरी का रोपण खेत में किया जा सकता है।
  • भूजल के लिये मार्ग:
    • यह भूजल पुनर्भरण के लिये मार्ग प्रदान करता है क्योंकि यह मृदा की परत के नीचे कठोर परत के विकास को रोकता है, जैसा कि पोखर प्रत्यारोपण विधि में होता है।
      • यह पोखर प्रतिरोपित फसल की तुलना में 7-10 दिन पहले पक जाती है, इसलिये धान की पराली के प्रबंधन के लिये अधिक समय मिल जाता है।
  • उपज में वृद्धि:
    • अनुसंधान परीक्षणों और किसानों के क्षेत्र सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, इस तकनीक से प्रति एकड़ एक से दो क्विंटल अधिक पैदावार हो रही है।

DSR से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:

  • चरम जलवायु:
    • उच्च तापमान और कम वर्षा मुख्य रूप से इसके लिये ज़िम्मेदार हैं।
    • कुछ दिनों पहले तापमान 47-48 डिग्री सेल्सियस के बीच था, जबकि इस अवधि के लिये आदर्श तापमान 42-43 डिग्री सेल्सियस है।
    • DSR को लेकर किसानों में अनिश्चितता की स्थिति देखी गई क्योंकि हीटवेव के कारण उनकी गेहूंँ की फसल पहले ही नष्ट हो चुकी थी।
  • किसानों में अनिच्छा:
    • अच्छी किस्म के खरपतवार (Weeds) उपलब्ध कराने में सरकार से समर्थन की कमी और DSR की बुवाई के मौसम के दौरान निर्बाध बिजली की आपूर्ति न होने के कारण इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग कर खेत की सिंचाई करना किसानों के लिये बहुत मुश्किल काम है।
  • शासन के मुद्दे:
    • जून के मध्य में शुरू होने वाले पोखर सीजन हेतु पंजाब सरकार की निर्बाध बिजली आपूर्ति DSR के लिये फायदेमंद नहीं है क्योंकि इसकी बुवाई का मौसम मई की शुरुआत से मध्य जून के बीच होता है और इसलिये यह पारंपरिक पद्धति के लिये फायदेमंद है।
  • अन्य:
    • इसमें बंद नहरें, सिंचाई हेतु नलकूपों के संचालन के लिये अनियमित बिजली की आपूर्ति, खरपतवार और चूहों के मुद्दे शामिल हैं।
    • मई के दौरान पंजाब राज्य के कई हिस्सों में कम बारिश होने के कारण पानी की उपलब्धता भी एक चुनौती थी।

आगे की राह

  • सरकार द्वारा उचित प्रतिक्रिया और शिकायत निवारण कार्यक्रम प्रदान करना समय की मांग है।
  • सरकार द्वारा वितरित खरपतवारनाशी की खराब गुणवत्ता के कारण DSR में फसल की कटाई को बढ़ाने के लिये खरपतवार प्रबंधन की आवश्यकता है।
  • DSR पद्धति को बढ़ावा देने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना और नवीन समाधानों पर काम करना, क्योंकि इसमें पारंपरिक पद्धति की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, जो इस क्षेत्र में पानी के दबाव से निपटने में भी मदद कर सकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. कृषि में शून्य जुताई का/के क्या लाभ है/हैं? (2020)

  1. पिछली फसलों के अवशेषों को जलाए बिना गेहूँ की बुवाई संभव है।
  2. धान के पौधों की नर्सरी की आवश्यकता के बिना गीली मिट्टी में धान के बीज की सीधी बुवाई संभव है।
  3. मिट्टी में कार्बन पृथक्करण संभव है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: D 

  • शून्य जुताई (ज़ीरो टिलेज) वह प्रक्रिया है जहाँ बीज को बिना पूर्व तैयारी और बिना मिट्टी तैयार किये तथा जहांँ पिछली फसल के बुलबुले (स्टबल) मौजूद होते हैं, वहां ड्रिलर्स के माध्यम से बोया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, यदि किसान अपने फसल अवशेषों को जलाना बंद कर दें तथा इसके बजाय शून्य जुताई खेती की अवधारणा को अपनाएंँ तो उत्तर भारत में किसान न केवल वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि अपनी मृदा की उत्पादकता में भी सुधार कर सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं। ज़ीरो टिलेज के तहत बिना जुताई वाली मिट्टी में गेहूंँ की सीधी बुवाई और चावल के अवशेषों को छोड़ देना बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। इसने जल, श्रम व कृषि रसायनों के उपयोग में कमी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और मृदा के स्वास्थ्य एवं फसल की उपज में सुधार किया, इस तरह किसानों तथा समाज दोनों को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ। अत: कथन 1 सही है।
  • चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) जिसे 'बीज बिखेरना तकनीक (Broadcasting Seed Technique)' के रूप में भी जाना जाता है, धान की बुवाई की एक जल बचत विधि है। इस विधि में बीजों को सीधे खेतों में ड्रिल किया जाता है। नर्सरी से जलभराव वाले खेतों में धान की रोपाई की पारंपरिक जल-गहन विधि के विपरीत यह विधि भूजल की बचत करती है। इस पद्धति में कोई नर्सरी तैयारी या प्रत्यारोपण शामिल नहीं है। 
  • किसानों को केवल अपनी ज़मीन को समतल करना होता है और बुवाई से पहले सिंचाई करनी होती है। यह पाया गया है कि 1 किलो धान के उत्पादन के लिये 5000 लीटर तक पानी का उपयोग किया जाता है। हालांँकि पानी की बढ़ती कमी की स्थिति में न्यूनतम या शून्य जुताई के साथ DSR श्रम की बचत कर इस तकनीक के लाभों को और बढ़ाया जा सकता है। अत: कथन 2 सही है।
  • बिना जुताई वाली मृदा, जुताई वाली मृदा से आंशिक रूप में ठंडी होती है क्योंकि पौधे के अवशेषों की एक परत सतह पर मौज़ूद होती है। मिट्टी में कार्बन जमा हो जाता है तथा इसकी गुणवत्ता में वृद्धि होती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होता है। अत: कथन 3 सही है। इसलिये विकल्प (d) सही उत्तर है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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