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डायमर-भाषा बांध अनुबंध

  • 15 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

डायमर-भाषा बांध 

मेन्स के लिये:

सिंधु-जल समझौता 

चर्चा में क्यों?

हाल में पाकिस्तान तथा चीन सरकार द्वारा ‘डायमर-भाषा बांध’ (Diamer-Bhasha Dam); जिसका बड़ा हिस्सा ‘गिलगित-बाल्टिसतान’ में स्थित है, के प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किये गए

प्रमुख बिंदु: 

  • हस्ताक्षरित अनुबंध में मुख्य बांध तथा 21MW की जलविद्युत परियोजना का निर्माण तथा अन्य कुछ प्रोजेक्ट शामिल हैं।
  • प्रोजेक्ट को पाकिस्तान में वर्ष 2010 में ही मंज़ूरी दे दी गई थी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय  एजेंसियाँ जो प्रोजेक्ट को वित्तपोषित कर रही थीं, भारत के विरोध के कारण पीछे हट गई। 

डायमर-भाषा बांध:

Proposed-Dams

  • डायमर-भाषा बांध खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) के कोहिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान के डायमर ज़िलों के बीच सिंधु नदी पर अवस्थित होगा।
  • बांध लगभग 8 मिलियन एकड़ फीट (MAF) जलाशय क्षेत्र में विस्तृत है। बांध की ऊँचाई 272 मीटर होगी। यह दुनिया का सबसे लंबा रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (Roller Compact Concrete- RCC) बांध होगा
  • पाकिस्तान द्वारा इस बहुउद्देश्यीय परियोजना को दो प्रमुख घटकों में विभाजित करने का निर्णय लिया गया। 
    • बांध का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तपोषण द्वारा किया जाएगा।  
    • जबकि ऊर्जा परियोजना का निर्माण ‘स्वतंत्र बिजली उत्पादक’ (Independent Power Producer- IPP) मोड में विकसित किया जाना है।

भारत के लिये चिंता का विषय:

  • डायमर-भाषा बांध का कुछ क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान में  पड़ेगा।
  • चीन इस प्रोजेक्ट को 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा' (China Pakistan Economic Corridor- CPEC) में शामिल करना चाहता है।
  • जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में चीन द्वारा लगातार दखल दिया जा रहा है। भारत-तथा पाकिस्तान के मध्य हस्ताक्षरित सिंधु-जल समझौते में चीन लगातार तीसरा पक्षकार बनने की कोशिश कर रहा है।

भारत को ऐसे समय में क्या करना चाहिये?

  • भारत ने अभी भी सिंधु जल समझौते में आवंटित पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब और सिंधु) में पानी के हिस्से का पूरी तरह से दोहन नहीं किया है।
  • भारत को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) तथा गिलगित-बाल्टिस्तान में अपनी संप्रभुता के दावे को मज़बूती से रखना चाहिये।

सिंधु प्रणाली:

  • सिंधु प्रणाली में मुख्‍यतः सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज नदियाँ शामिल हैं। इन नदियों के बहाव वाले क्षेत्र को मुख्यत: भारत और पाकिस्‍तान साझा करते हैं।

Indus-System

सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty):

  • सिंधु जल समझौते के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलज) के पानी पर भारत को पूरा हक दिया गया।  
  • शेष 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बाधारहित पाकिस्तान को देना तय किया गया था परंतु पश्चिमी नदियों के संबंध में भारत को निम्नलिखित कार्यों की छूट दी गई।
    • भारत पश्चिमी नदियों पर केवल रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट (जिनके तहत पानी को रोका नहीं जाता है) जलविद्युत परियोजनाएँ बना सकता है।
    • भारत पश्चिमी नदियों के जल का केवल 20 प्रतिशत हिस्सा भंडारित अथवा उपयोग कर सकता है।

स्रोत: द हिंदू 

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