इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


नीतिशास्त्र

मनोविश्लेषण का सरलीकरण

  • 06 Jan 2024
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मनोविश्लेषण

मेन्स के लिये:

मनोविश्लेषण, मनोविश्लेषण और आपराधिक पुनर्वास में शामिल नैतिक पहलू

स्रोत: द हिंदू  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया कि संसद उल्लंघन की घटना में आरोपी छह व्यक्तियों को उनके उद्देश्यों को समझने के लिये मनोविश्लेषण (Psychoanalysis) प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा।

मनोविश्लेषण क्या है?

  • परिचय: मनोविश्लेषण सिद्धांतों तथा चिकित्सीय तकनीकों का एक समूह है जिसकी सहायता से मानसिक विकारों का इलाज किया जाता है।
    • इसका उद्देश्य मनोवैज्ञानिक अनुभव के अचेतन तथा सचेत तत्त्वों के बीच संबंधों की जाँच कर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का इलाज करना है।
    • इसकी शुरुआत 19वीं सदी के अंत तथा 20वीं सदी की शुरुआत में विनीज़ मनोचिकित्सक सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) ने की थी।
  • मनोविश्लेषण से संबंधित मुख्य पहलू:
    • अचेतन मन: फ्रायड ने प्रस्तावित किया कि मानव व्यवहार का अधिकांश हिस्सा अचेतन इच्छाओं, भय, स्मृति तथा संघर्षों से प्रभावित होता है जो अमूमन बचपन के शुरुआती अनुभवों से उत्पन्न होते हैं।
      • मनोविश्लेषण के माध्यम से अचेतन मन की जाँच की जाती है तथा पता लगाया जाता है कि यह कैसे विचारों, व्यवहारों, भावनाओं एवं व्यक्तित्व को आकार देता है।
    • इड, ईगो, सुपरईगो: फ्रायड ने मन का एक संरचनात्मक मॉडल पेश किया जिसमें इड/Id (प्रवृत्ति तथा आनंद से जनित), अहम्/Ego (id व वास्तविकता के बीच मध्यस्थ) तथा सुपरईगो (सामाजिक मानदंडों व मूल्यों को आंतरिक बनाता है) शामिल है।
      • यह मॉडल मानसिक समस्याओं को समझने में सहायता करता है।
    • मनोविश्लेषणात्मक थेरेपी: इसमें रोगी तथा चिकित्सक के बीच मौखिक वार्ता शामिल होती है, जिसका उद्देश्य अचेतन संघर्षों को जानना तथा किसी की भावनाओं एवं व्यवहारों में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना है।

मनोविश्लेषण में शामिल नैतिक पहलू क्या हैं? 

  • सूचित सहमति: उपचार शुरू करने से पहले रोगी को मनोविश्लेषण की प्रकृति, इसके संभावित लाभों, जोखिमों और विकल्पों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिये।
    • यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रक्रिया में अक्सर व्यक्तिगत और संवेदनशील विषयों पर चर्चा शामिल होती है।
    • इसके अलावा सूचित सहमति प्राप्त करना अनुच्छेद 21 के संभावित उल्लंघनों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करता है, जैसा कि सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य मामले (2010) में उजागर किया गया है।
  • गोपनीयता: चिकित्सा में रोगी की गोपनीयता बनाए रखना सर्वोपरि है।  हालाँकि कुछ स्थितियों में, चिकित्सकों को नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि जब कोई मरीज़ खुद के लिये या दूसरों के लिये खतरा पैदा करता है।
    • चेतावनी देने या सुरक्षा करने के कर्त्तव्य के साथ गोपनीयता को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • स्थानांतरण और प्रतिसंक्रमण: पिछले अनुभवों या अनसुलझे मुद्दों के कारण रोगी और चिकित्सक दोनों एक-दूसरे के प्रति तीव्र भावनाओं या प्रतिक्रियाओं का अनुभव कर सकते हैं।
    • इन भावनाओं को नैतिक रूप से प्रबंधित करना।
  • सांस्कृतिक संवेदनशीलता: यह सुनिश्चित करने के लिये कि वे उचित देखभाल प्रदान करें और विविध दृष्टिकोणों का सम्मान करें, चिकित्सकों को सांस्कृतिक रूप से सक्षम तथा अपने पूर्वाग्रहों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।

मनोविश्लेषण आपराधिक पुनर्वास में कैसे मदद कर सकता है?

  • सहानुभूति विकसित करना: मनोविश्लेषण व्यक्तियों को दूसरों पर उनके कार्यों के प्रभाव को समझने में मदद करके सहानुभूति को बढ़ावा दे सकता है।
    • आत्म-चिंतन और चिकित्सा में प्राप्त अंतर्दृष्टि के माध्यम से, अपराधी अपने व्यवहार के परिणामों की अधिक समझ विकसित कर सकते हैं, जिससे सहानुभूति बढ़ सकती है।
  • आवेग नियंत्रण: हिंसक या आवेगी व्यवहार के इतिहास वाले व्यक्तियों के लिये, मनोविश्लेषण इन प्रवृत्तियों को समझने और प्रबंधित करने में सहायता कर सकता है।
    • गहरी भावनाओं और अनसुलझे संघर्षों की खोज करके, व्यक्ति अपनी भावनाओं तथा आवेगों को बेहतर ढंग से नियंत्रित करना सीख सकते हैं, जिससे दोबारा अपराध करने की संभावना कम हो जाती है।
  • पुनरावृत्ति को रोकना: मूल प्रेरणाओं को संबोधित करके, व्यक्ति विनाशकारी पैटर्न से मुक्त होने और सार्थक तरीके से समाज में पुन: एकीकृत होने के लिये बेहतर ढंग से सुसज्जित होते हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2