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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी मुद्रा भंडार में कमी

  • 06 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया आँकड़ों की मानें तो 26 मार्च, 2021 को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.986 बिलियन डॉलर की कटौती देखने को मिली है और वह घटकर 579.285 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।

  • विदेशी मुद्रा भंडार के स्वर्ण आरक्षित घटक में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि अन्य घटकों जैसे- विशेष आहरण अधिकार (SDR), विदेशी परिसंपत्तियों और IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच आदि में गिरावट दर्ज की गई है।

प्रमुख बिंदु

परिचय

  • विदेशी मुद्रा भंडार का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से होता है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
    • गौरतलब है कि अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किये जाते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार का उद्देश्य

  • मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन हेतु निर्मित नीतियों के प्रति समर्थन और विश्वास बनाए रखना।
  • केंद्रीय बैंक को राष्ट्रीय या संघ मुद्रा के समर्थन में यथासंभव हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करना।
  • संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है, तो संकट के समाधान के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए बाहरी प्रभाव को सीमित करता है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:

  • विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाॅण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
  • स्वर्ण भंडार
  • IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच 
  • विशेष आहरण अधिकार (SDR)

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ वे हैं जिनका मूल्यांकन उस देश की अपनी मुद्रा के बजाय किसी अन्य देश की मुद्रा में किया जाता है।
  • FCA विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के संदर्भ में व्यक्त किया जाता है।
  • गैर-अमेरिकी मुद्रा जैसे- यूरो, पाउंड और येन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को FCA में शामिल किया जाता है।

स्वर्ण भंडार

  • केंद्रीय बैंकों के विदेशी भंडार में सोना एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसे मुख्य तौर पर विविधीकरण के उद्देश्य से आरक्षित किया जाता है।
  • इसके अलावा स्वर्ण के भंडार को किसी देश की विश्वसनीयता का प्रतीक माना जाता है।
  • उच्च गुणवत्ता और तरलता के साथ स्वर्ण अन्य पारंपरिक आरक्षित परिसंपत्तियों की तुलना में बेहद अनुकूल होता है, जो केंद्रीय बैंकों को मध्यम और दीर्घकाल में पूंजी संरक्षण, पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिमों को कम करने में मदद करता है। 
    • स्वर्ण ने अन्य वैकल्पिक वित्तीय परिसंपत्तियों की तुलना में लगातार बेहतर औसत रिटर्न दिया है।

विशेष आहरण अधिकार (SDR)

  • विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
  • SDR न तो एक मुद्रा है और न ही IMF पर इसका दावा किया जा सकता है। बल्कि यह IMF के सदस्यों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने योग्य मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इन मुद्राओं के लिये SDR का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
  • SDR के मूल्य की गणना, ‘बास्केट ऑफ करेंसी’ में शामिल मुद्राओं के औसत भार के आधार पर की जाती है। इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर, यूरोप का यूरो, चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी, जापानी येन और ब्रिटेन का पाउंड।
  • विशेष आहरण अधिकार ब्याज (SDRi) सदस्य देशों को उनके द्वारा धारण किये जाने वाले SDR पर मिलने वाला ब्याज है।

IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच

  • रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं। 
  • रिज़र्व ट्रेंच मूलतः एक आपातकालीन कोष होता है जिसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य देशों द्वारा बिना किसी शर्त पर सहमत हुए अथवा सेवा शुल्क का भुगतान किये किसी भी समय प्राप्त किया जा सकता है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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