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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत में सरसों की किस्मों पर विवाद

  • 14 Sep 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

जीएम सरसों को लेकर वैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के मध्य अक्सर विवाद चलता रहता है। कभी इसकी उपयोगिता पर सवाल उठाया जाता है तो कभी इसकी प्रजातियों की संख्या को लेकर। इसी संदर्भ में भारत के कृषि वैज्ञानिकों के एक प्रमुख संघ ने जीएम-मुक्त भारत संगठन (Coalition for GM-Free India) को सरसों की अधिक प्रजातियाँ उपलब्ध होने के बारे में दुष्प्रचार पर फटकार लगाते हुए कहा है कि भारत में सरसों की कम प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 

जीएम-मुक्त भारत संगठन का तर्क ?

  • इस संगठन का कहना है कि भारत में सरसों की नौ हज़ार से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती थीं जिनकी उत्पत्ति और विविधता का केंद्र भी भारत ही था। 
  • भारत में सरसों की विविधता के बारे में कुछ इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त तकनीकी सलाहकार समिति (Technical Advisory Committee) ने भी जीएम सरसों पर रोक लगा दी थी। समिति का कहना था कि भारत में सरसों की आनुवंशिक विविधता को खतरा है और इसके वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने से अपरिवर्तनीय संदूषण की संभावना भी है।  
  • इस संगठन का यह भी कहना है कि पौधों की प्रजातियों की संख्या का स्रोत नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज़ है। इस तरह एक वैज्ञानिक संस्था के लिये प्रजातीय विविधता तथा इसके प्रभाव को नज़रअंदाज़ करना अवैज्ञानिक है। 
  • अपनी प्रतिक्रिया में इसके कार्यकर्त्ताओं ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी की रिपोर्ट का विरोध किया और उस पर एक जनसंपर्क एजेंट होने का आरोप भी लगाया।

वैज्ञानिकों का तर्क 

  • 600 सदस्यों वाले कृषि वैज्ञानिकों के एक निकाय ‘राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी’ ( National Academy of Agricultural Sciences-NAAS) का कहना है कि भारत में सरसों की प्रजातियाँ  बहुत सीमित हैं, जिसके कारण हाल के वर्षों में सरसों के उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है।  
  • जून में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के 230 सदस्यों के एक कोरम ने एकमत से एक प्रस्ताव पास कर धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 (Dhara Mustard Hybrid-11) के वाणिज्यिक उत्पादन का समर्थन किया था।
  • वैज्ञानिकों का तर्क है कि भारत में सरसों की प्रजातियाँ सीमित हैं, इसलिये सरसों की और बेहतर प्रजातियों को विकसित करने के लिये संकर तकनीक की आवश्यकता है। हालाँकि, इसकी कुछ जंगली प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, लेकिन वे वाणिज्यिक रूप से तेल निकालने के लिये उपयुक्त नहीं हैं। 

सरसों से संबंधित कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • सरसों एक स्व-परागणकारी (self-pollinating) पौधा है और उसके संकर बीज की और प्रजातियाँ तैयार करने के लिये वह अन्य पौधों की तरह नर और मादा के संकरण के अनुकूल नहीं है।
  • जीएम सरसों एक नई प्रजाति है, जिसे आनुवांशिक रूप से रूपांतरित कर कीट प्रतिरोधी और अधिक पैदावार वाली प्रजाति के रूप में तैयार की गई है।
  • धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 एक ट्रांसजेनिक (transgenic) खाद्य फसल है, जिसके वाणिज्यिक उत्पादन के लिये जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee) की अनुमति प्राप्त हो चुकी है। 
  • डीएमएच -11 मृदा जीवाणु से जीन के कई संयोजन का उपयोग करता है जो सरसों को संकरीकरण के उपयुक्त बनता है।
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