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भारतीय राजनीति

डेटा निगरानी और गोपनीयता

  • 19 May 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सामाजिक रजिस्ट्री, आरोग्य सेतु एप

मेन्स के लिये:

निजता के अधिकार से संबंधित विभिन्न पक्ष

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय सामाजिक रजिस्ट्री’ (National Social Registry) का निर्माण किया जा रहा है, जिसके माध्यम से सरकार सभी नागरिकों की विस्तृत जानकारी रखने/बनाने और उनकी गतिविधियों को ट्रैक कर सकती है।

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 में पेश किया गया व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा हेतु डेटा संरक्षण अधिनियम- 2019 भारत का पहला कानूनी ढाँचा है।
  • कार्नेगी इंडिया (Carnegie India) द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, नया डेटा संरक्षण बिल ऐसी निगरानी को पूरी तरह से रोकने में कारगर साबित नहीं होगा।
  • कानून व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य आपात स्थितियों का हवाला देते हुए सरकार किसी भी राज्य एजेंसी को इस अधिनियम के दायरे से छूट दे सकती है। 
  • हालाँकि यह अधिनियम निजी कंपनियों और राज्य दोनों पर लागू होता है, लेकिन यह सरकार को  छूट के माध्यम से  व्यापक शक्ति प्रदान करता है। कार्नेगी इंडिया का तर्क है कि मौजूदा बिल का दुरुपयोग हो सकता है।
  • इस अधिनियम की बुनियादी स्वरुप के तहत संग्रहकर्त्ता केवल उपयोगकर्त्ता की सहमति से ही डेटा को एकत्र और संसाधित कर सकता है
  • उपयोगकर्त्ता किसी भी समय सहमति समझौते को वापस ले सकता है। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या सहमति समझौते डेटा गोपनीयता की रक्षा करते हैं?
  • कई अध्ययनों के अनुसार, अधिकांश उपयोगकर्त्ता सॉफ्टवेयर और अनुप्रयोगों के लाइसेंस संबंधी समझौतों को सहमति देने से पहले नहीं पढ़ते हैं।
  • वर्ष 2011 के आईबीएम के एक अध्ययन के अनुसार, कुछ उपयोगकर्त्ताओं ने समझौते संबंधी सहमति को पढ़ने के लिये केवल छह सेकंड व्यतीत किये हैं और मात्र 8% उपयोगकर्त्ता सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने से पूर्व समझौते संबंधी सहमति को पढ़ते हैं।

हालिया घटना:

  • आरोग्य सेतु एप को लेकर कई विशेषज्ञों ने निजता संबंधी चिंता ज़ाहिर की है। हालाँकि केंद्र सरकार के अनुसार, किसी व्यक्ति की गोपनीयता सुनिश्चित करने हेतु लोगों का डेटा उनके फोन में लोकल स्टोरेज में ही सुरक्षित रखा जाएगा तथा इसका प्रयोग तभी होगा जब उपयोगकर्त्ता किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आएगा जिसकी COVID-19 की जाँच पॉजिटिव/सकारात्मक रही हो।
  • विशेषज्ञों का पक्ष:
    • क्या डेटा एकत्र किया जाएगा, इसे कब तक संग्रहीत किया जाएगा और इसका उपयोग किन कार्यों में किया जाएगा, इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। 
    • सरकार ऐसी कोई गारंटी नहीं दे रही कि हालात सुधरने के बाद इस डेटा को नष्ट कर दिया जाएगा।
    • इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिये एकत्रित किये जा रहे डेटा के प्रयोग में लाए जाने से निजता के अधिकार का हनन होने के साथ ही सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का भी उल्लंघन होगा जिसमें निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बताया गया है।
    • जिस तरह आधार नंबर एक सर्विलांस सिस्टम बन गया है और उसे हर चीज़ से जोड़ा जा रहा है वैसे ही कोरोना वायरस से जुड़े एप्लिकेशन में लोगों का डेटा लिया जा रहा है, जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी डेटा और निजी जानकारियाँ भी शामिल हैं। अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि सरकार किस प्रकार और कब तक इस डेटा का उपयोग करेगी।

डेटा और उसका महत्त्व:

  • सामान्य बोलचाल की भाषा में प्रायः मैसेज, सोशल मीडिया पोस्ट, ऑनलाइन ट्रांसफर और सर्च हिस्ट्री आदि के लिये डेटा शब्द का उपयोग किया जाता है।
  • तकनीकी रूप से डेटा को किसी ऐसी जानकारी के समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे कंप्यूटर आसानी से पढ़ सकता है।
  • गौरतलब है कि यह जानकारी दस्तावेज़, चित्र, ऑडियो क्लिप, सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम या किसी अन्य प्रारूप में हो सकती है।
  • अपने सबसे प्राथमिक स्तर पर कोई भी डेटा 1 और 0 का एक समूह होता है, जिसे बाइनरी डेटा के रूप में जाना जाता है, उदाहरण के लिये 011010101010।
  • आज के समय में व्यक्तिगत जानकारी का यह भंडार मुनाफे का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है और विभिन्न कंपनियाँ अपने उपयोगकर्त्ताओं के अनुभव को सुखद बनाने के उद्देश्य से इसे संग्रहीत कर इसका प्रयोग कर रही हैं।
  • सरकार एवं राजनीतिक दल भी नीति निर्माण एवं चुनावों में लाभ प्राप्त करने के लिये सूचनाओं के भंडार का उपयोग करते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में डेटा का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।
  • हालाँकि यह काफी जोखिमपूर्ण भी होता है क्योंकि हमारे द्वारा दी गई सूचना एक आभासी पहचान निर्मित करती है जिसका प्रयोग हमें नुकसान पहुँचाने के लिये भी किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सामाजिक रजिस्ट्री

(National Social Registry):

  • राष्ट्रीय सामाजिक रजिस्ट्री आधार से जुड़ा एक एकल डेटाबेस या एकीकृत डेटाबेस है। 
  • इसमें प्रत्येक नागरिक धर्म, जाति, आय, संपत्ति, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, रोज़गार, विकलांगता और पारिवारिक स्थिति के विवरण होंगे जिसको आधार संख्या का उपयोग करके तैयार किया जाएगा। यह वास्तविक समय में स्वतः अद्यतन हो जाएगा।

स्रोत: लाइव मिंट

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